उदयपुर. शहर में हथिनी 'सोनकली' की तबीयत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. ऐसे में सोनकली के उपचार के लिए उत्तर प्रदेश के मथुरा से डॉक्टरों की विशेष टीम उदयपुर आई है. डॉक्टरों ने सोनकली का उपचार शुरू कर दिया है.
बता दें कि सोनकली पिछले लंबे समय से अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही थी. ऐसे में पूर्व में भी उसे क्रेन की मदद से खड़ा कर फिर से चलाने की कोशिश की गई थी. लेकिन सोनकली अपने पैरों पर खड़ी होने में कामयाब नहीं हो पाई और जमीन पर धराशाई हो गई. इसके बाद अब डॉक्टर्स की विशेष टीम ने सोनकली का उपचार शुरू कर दिया है.
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मथुरा से पहुंचे डॉक्टर्स का कहना है कि लंबे समय से एक ही स्थान पर बैठे रहने से सोनकली के पांव में गठिया हो गया है. ऐसे में इसका उपचार समय रहते होना जरूरी है. मथुरा की हाथी शाला से पहुंचे डॉ. प्रमोद का कहना है कि सोनकली गठिया के चलते अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही है. वहीं इसके दूसरे पैर में भी लंबे समय से बैठे रहने से समस्या हो गई है. इसी का नतीजा है कि सोनकली की स्थिति काफी बिगड़ चुकी है, जिसका समय रहते उपचार काफी जरूरी है. वहीं सोनकली कि लंबे समय से देखभाल कर रहे महावत सत्यनारायण का कहना है कि सोनकली का उपचार उदयपुर में ही होना चाहिए. अगर सोनकली जिंदा नहीं रही तो मैं भी इसके साथ अपनी जान दे दूंगा.
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बता दें कि लॉकडाउन के बाद से ही सोनकली की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी. ऐसे में अब उसके उपचार के लिए देश के एकमात्र हाथी अस्पताल से डॉक्टर की विशेष टीम उदयपुर पहुंची है और सोनकली का उपचार कर रही है. वहीं सोनकली के चाहने वाले भी चाहते हैं कि वह फिर से तंदुरुस्त होकर शहर की सड़कों पर मदमस्त होकर पहले की तरह निकल पड़े.
क्यों मनाया जाता है विश्व हाथी दिवस?
विश्व हाथी दिवस हर साल 12 अगस्त को मनाया जाता है. इस अंतरराष्ट्रीय वार्षिक कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया भर के हाथियों के प्रति जागरूकता और संरक्षण को बढ़ावा देना है. दरअसल, साल 2011 में कनाडा फिल्म निर्माताओं पेट्रीसिया सिम्स कैनाजवेस्ट पिक्चर्स के माइकल क्लार्क और थाइलैंड में एलिफेंट रिइंट्रोडक्शन फाउंडेशन के महासचिव सिवापोर्न डार्डरानंद ने इस दिवस को मनाए जाने की कल्पना की थी.