उदयपुर. राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का तीन दिवसीय नव संकल्प शिविर गहन मंथन और आत्म चिंतन के बाद संपन्न हुआ. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने अपने संगठन के ढांचे में बदलाव के साथ युवाओं को अधिक तवज्जो देने के लिए प्रस्ताव (Absence Of Kapil Sibbal And Hardik Patel In Udaipur) पास किए. इस चिंतन शिविर में जहां देशभर से करीब साढ़े 400 से अधिक राजनेता पहुंचे. वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिनका इस चिंतन शिविर में बुलावे के बाद भी नहीं पहुंचना आंतरिक गुटबाजी का संकेत दे रहा है. कांग्रेस पार्टी के इस नव संकल्प शिविर (Udaipur national brainstorming session of Congress) में दो नेताओं की गैरमौजूदगी अब कई सवाल खड़े कर रही है. जिनमें से एक कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता कपिल सिब्बल का है. जी 23 ग्रुप के उन लोगों में से एक हैं जो लगातार कांग्रेस के आंतरिक संगठनात्मक रवैए को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. दूसरे गुजरात के कार्यकारी अध्यक्ष और Dynamic युवा चेहरा हार्दिक पटेल हैं.
हार्दिक की अनुपस्थिति कुछ कहती है: एक और कांग्रेस पार्टी इस नव संकल्प शिविर में आगामी चुनाव को जीतने के लिए मंथन और चिंतन कर रही है. गुजरात पार्टी के लिए बहुत अहम है. यहां वापसी के लिए कांग्रेस पार्टी हर संभव प्रयास कर रही है. पार्टी को लंबे समय से गुजरात में सत्ता का स्वाद न चख पाने का मलाल भी है. कांग्रेस अपनी जमीन मजबूत करने के लिए आदिवासियों के सबसे बड़े स्थान बेणेश्वर धाम तक पहुंची. वहां से अपनी मजबूती का संदेश दिया. पूरा जोर लगाया जा रहा है लेकिन ऐसी कोशिशों में ही हार्दिक पटेल की गैरमौजूदगी अखर रही है.
कद्दावर कपिल सिब्बल भी रहे Absent: पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल भी नदारद रहे. उनकी Absence कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी को दर्शाता है. वो जी 23 के सदस्य हैं. वही ग्रुप जो कांग्रेस में बदलाव की वकालत पार्टी के भीतर और बाहर उठाता रहा है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल जिन बातों को लेकर सवाल उठा रहे थे उन्हें इस नव संकल्प शिविर में अड्रेस किया गया है. ऐसे में वो गायब क्यों हुए ये समझ से परे है.
दोनों ही बड़े नामों का शिविर से गायब होना सवाल खड़े कर रहा है. इनका गायब होना बेसबब नहीं है. जानकार भी मानते हैं कि राजनीति में कोई भी चीज बिना कारण नहीं होती है. कांग्रेस के जी 23 ग्रुप के कई नेता इस नव संकल्प शिविर में शामिल हुए लेकिन उन्होंने किसी तरह का कोई सवाल और विवाद खड़ा नहीं किया. राजनीतिक विश्लेषक संजय लोढ़ा कहते हैं कि कपिल सिब्बल ने जो सवाल उठाए थे उन पर इस चिंतन शिविर में संवाद हुआ. ऐसे में हो सकता है कि कपिल सिब्बल के चिंतन शिविर में नहीं आने का कोई निजी कारण रहा हो. हार्दिक पटेल का भी कोई व्यक्तिगत कारण रहा हो क्योंकि गुजरात में भी चुनाव होने हैं. ऐसे में उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है.