उदयपुर. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 28 वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को विवेकानंद ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ. कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए ऑफलाइन माध्यम से दीक्षांत समारोह करने वाला सुखाड़िया विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला शैक्षणिक संस्थान है. इसमें राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र और मुख्य वक्ता ऑनलाइन माध्यम से जुड़े. समारोह में 91 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री वर्चुअल तरीके से प्रदान की गई जबकि सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 51 स्वर्णपदक विजेता सभागार में उपस्थित थे, जिन्हें कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने गोल्ड मेडल प्रदान किए.
राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने सभी विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह की बधाई दी. उन्होंने कहा कि मैं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से ये उम्मीद करता हूं कि वे अपने व्यवहारिक जीवन में, हमारे समाज और देश में व्याप्त विषमताओं, कुरीतियों को खत्म करने की दिशा में अपने सीखे हुए ज्ञान का सदुपयोग करेंगे.
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उन्होंने कहा कि संविधान लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास का मूल मंत्र है. विश्वविद्यालयी शिक्षा में इससे विद्यार्थियों की निकटता भी जरूरी है क्योंकि इसके मनन से देश के जिम्मेदार नागरिक रूप में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सके. विद्यार्थी किसी भी देश और समाज के प्रकाश पुंज होते हैं उन्हीं के आलोक से राष्ट्र प्रकाशित होता है.
मेवाड़ को शौर्य और बलिदान की धरा बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि महाराणा कुंभा का भारतीय शिल्प, कला, स्थापत्य के उन्नयन में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है. उन पर शोध नई पीढ़ी में नवीन संस्कार के बीजारोपण कर सकता है. उन्होंने कहा कि महाराणा कुंभा के कामों पर शोध के लिहाज से और काम किया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आधुनिक ज्ञान विज्ञान से जुड़े समाज उपयोगी विषयों के पाठ्यक्रम अंग्रेजी के साथ ही हिंदी में भी तैयार किए जाने चाहिए. उन्होंने संस्कृत को भारतीय संस्कृति का मूल बताते हुए विश्वविद्यालय से कहा कि संस्कृत के ऐसे ग्रंथों को सूचीबद्ध किया जाए जिनमें हमारी सांस्कृतिक परंपराओं, कलाओं, ज्ञान विज्ञान और आयुर्वेद से जुड़ी महत्वपूर्ण सामग्री संग्रहित है.
उन्होंने नई शिक्षा नीति को भारतीय ज्ञान और विज्ञान के सतत विकास की मूल प्रेरणा के साथ समन्वय करने वाली बताया जोकि ज्ञान आधारित समाज के निर्माण के साथ ही विद्यार्थी केंद्रित है. तेजी से बदलते वैज्ञानिक युग में हमे वैश्विक मानकों के साथ चलना पड़ेगा. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वैश्वीकरण से हमारी संस्कृति का किसी भी स्तर पर नुकसान ना हो.
उन्होंने कहा कि किसी भी देश और उस के नागरिकों का विकास कुछ प्रमुख कारकों पर निर्भर करता है जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, समानता, रोजगार सृजन, धन सृजन, आर्थिक अवसर और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल शामिल है. भारत एक समृद्ध राष्ट्र है जो उर्जावान युवाशक्ति एवं विशाल संसाधनों से युक्त है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के द्वारा प्रोद्योगिकी का विकास इसका सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है. इसके जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, थ्रीडी प्रिंटिंग हमारे जीवन का रुप बदल रहे हैं और हमारी उत्पादकता में वृद्धि कर रहे हैं.
ब्रह्मोस की अपार सफलता की कहानी बताते हुए उन्होंने इसे दुनिया का सबसे तेज और घातक आक्रामक शस्त्र बताया. इस तकनीकी रूप से उन्नत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना के साथ तैनात किया गया है.
पिछले साल विभिन्न परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वालों को स्वर्ण पदक प्रदान किया जाता है इस वर्ष जिन 51 लोगों ने आवेदन किया था उनमें से 41 छात्राओं ने स्वर्ण पदक प्राप्त कर सुरहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज किया. चांसलर गोल्ड मेडल में सभी पांचों संकायों में छात्राओं का कब्जा रहा.
बीते शैक्षिक सत्र में कुल 139 विद्यार्थियों ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी इनमें से दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त करने के लिए 91 लोगों ने आवेदन किया था. इसमें प्रबंध अध्ययन संकाय में तीन वाणिज्य संकाय में साथ मानविकी संकाय में 27, सामाजिक एवं सामाजिक विज्ञान संकाय में 17 पृथ्वी विज्ञान संकाय में तीन विज्ञान संकाय में 16 शिक्षा संकाय में 19 और विधि संकाय में 2 विद्यार्थियों ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त कीदीक्षान्त समारोह में जनार्दन राय नागर विद्यापीठ के कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत और जिला प्रमुख ममता कुंवर भी उपस्थित थी.