उदयपुर. भागती दौड़ती जिंदगी में शरीर की थकान एक आम बात है. लेकिन कभी-कभी यह थकान मानसिक बीमारी का रूप ले लेती है और इससे पीड़ित व्यक्ति को इसकी जानकारी भी नहीं लग पाती. 10 अक्टूबर को विश्व भर में मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, ताकि आम लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा सके. वहीं कोविड- 19 के इस दौर में उदयपुर के कुछ मानसिक रोगी ही आम जनता को एक बड़ा संदेश देंगे.
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आम लोगों को मानसिक रोगों के प्रति जागरूक किया जाता है, ताकि लगातार हो रही मानसिक बीमारियों से उन्हें बचाया जा सके. लेकिन इसी दौरान उदयपुर के कुछ मानसिक रोगी ऐसे भी हैं, जिन्होंने कोविड- 19 के दौर में आम जनता की मानसिक स्थिति को दुरुस्त करने की कोशिश की है. Etv Bharat की टीम ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर उदयपुर के महाराणा भोपाल चिकित्सालय में बने मानसिक रोगी विंग का निरीक्षण किया. इस दौरान देखा कि मानसिक रोगी वार्ड में मौजूद सभी मानसिक रोगियों ने अपने चेहरे पर फेस मास्क लगा रखा है और सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो कर रहे हैं.
क्या कहना है मानसिक रोगियों का?
जब ईटीवी भारत की टीम ने मानसिक रोगियों से बात की तो उनका कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इससे बचने के लिए सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग और चेहरे पर लगा मास्क ही बचाव का उपचार है. ऐसे में हमें इसको पूरी तरह फॉलो करते हुए ही आम जनजीवन में रहना होगा. मानसिक रोगी लालचंद का कहना है कि कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए मैंने चेहरे पर फेस मास्क लगा रखा है. बिना फेस मास्क संक्रमण किसी भी व्यक्ति में फैल सकता है. ऐसे में मैं जनता से अपील करूंगा कि सभी चेहरे पर मास्क लगाएं और कोरोना वायरस से बचने के उपायों का पालन करें.
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मानसिक रोगी मनोज का कहना है कि कोरोना वायरस की दवा नहीं आई है. ऐसे में फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही इसकी वैक्सीन है और बचाव ही उपचार है. ऐसे में आम जनता को नियमों की पालना करनी चाहिए. अन्यथा वे भी कोरोना वायरस की चपेट में आ जाएंगे. वहीं शांता ने कहा कि कोरोना बहुत तेजी से फैल रहा है. ऐसे में हमें खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है.
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वहीं इस दौरान आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल लाखन पोसवाल ने भी मानसिक रोगियों की स्थिति को लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि कोरोना के इस दौर में आम जनता बिना मास्क के घूमती है, सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना करती है. लेकिन जो लोग किसी कारणवश मानसिक रोगी हैं, वे सभी इस लाइलाज बीमारी के खतरे को भागते हुए कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हैं. हम सबको भी सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना गाइडलाइन की पालना करने की प्रेरणा देते हैं. वैसे तो डॉक्टर्स की भाषा में ये लोग मानसिक रोगी हैं. लेकिन इन लोगों की सोच आम जनता को एक बड़ा संदेश देती है कि कोरोना वायरस संक्रमण को हम किस तरह रोक सकते हैं. बता दें कि विश्व मानसिक दिवस पहली बार साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की पहल पर मनाया गया था यह डेढ़ सौ से अधिक सदस्य देशों वाला एक वैश्विक मानसिक संगठन है.
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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020 की थीम
हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के लिए एक थीम रखी जाती है. इस बार की थीम 'सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य: अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुंच' रखी गई है. इसी थीम पर पूरे विश्व में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र (UN)के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (World Health Fedreation For Mental Health) की पहल पर मनाया गया था. ये 150 से अधिक सदस्य देशों वाला एक वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य संगठन है. इसके बाद साल 1994 में तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव यूजीन ब्रॉडी के सुझाव के बाद विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को एक थीम के साथ मनाने की शुरुआत की गई. साल 1994 में पहली बार 'दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार' नामक थीम के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था. तब से हर साल 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ देशों में मानसिक रोगों से बचने और उनके नुकसान के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह (Mental Health Week) भी मनाया जाता है.