उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर के रहने वाले इकबाल सक्का ने एक बार फिर ऐसा कर दिखाया कि हर कोई उन पर फक्र कर रहा है. अपनी अद्भुत कला के दम पर उन्होंने एक बार फिर राजस्थान का मान बढ़ाया है. देश के इतिहास में पहली बार उदयपुर के अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण शिल्पकार इकबाल सक्का ने विश्व के सबसे लंबे भारतीय संविधान की विशेषताओं को गजल में लिखकर गुणगान किया है. विशेष बात तो यह है कि उन्होंने इन शायरियों को संविधान की प्रति के रूप में भी उकेरा है.
आजादी की 75वीं वर्षगांठ और गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में स्वर्ण शिल्पकार ने अपनी कला-कौशल के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विश्व विख्यात संविधान के गौरव को सम्मान देने के लिए उन्होंने संविधान की विशेषताओं को गजल रूप में लिखने का प्रयास किया है.
120 पृष्ठों में लिखी संविधान की विशेषताएं: सक्का के अनुसार संविधान की गजलमयी विशेषताओं को चर्मपत्र पर 120 पृष्ठों में 615 शायरियों के माध्यम से शब्दों में चित्रित किया गया है. इसके प्रथम पृष्ठ पर शीर्षक 'संविधान-ए-गजल' को चांदी के अक्षरों में लिखा है. उन्होंने बताया कि भारतीय मूल संविधान की तर्ज पर इस संविधान की गजल पुस्तिका का प्रत्येक पृष्ठ 58.4 सेमी ऊंचा और 47.7 सेमी चौड़ा है. इसका वजन 13 किलो है. इसे मूल संविधान की तरह ही काली स्याही में लिखा गया है. इकबाल सक्का ने इसे विश्व का पहला और सबसे लंबा चर्मपत्र पर हस्तलिखित संविधान-ए-गजल होने का दावा किया है.
इस तरह लिखी हैं शायरियां: स्वर्ण शिल्पकार सक्का ने मूल संविधान में लिखी इबारतों के मंतव्य का समावेश करते हुए गजल रूप में शायरियों केे माध्यम से प्रस्तुत किया है. ये शायरियां कुछ इस तरह हैं.
इब्तिदा करता हूं मैं, पढ़कर संविधान हमारा।
लिख रहा हूं मैं गजल में, संविधान हमारा।।
हर धर्म व मजहब को, लगाने गले सिखाता।
प्रकृति पर्यावरण की हिफाजत का संविधान हमारा।।
दखल अन्दाजी न होगी लेखनी-ए-कलम पर।
आजाद रही कलम आजादी का संविधान हमारा।।
प्यासा न रहे कोई भूखा न सोए कोई कभी।
सरकार को देता हुक्म संविधान हमारा।।
चरींदे हो या परिंदे रखा सबका ख्याल।
कुछ नहीं रखता कसर ऐसा संविधान हमारा।।
सक्का ने अपने नाम किए 75 वर्ल्ड रिकॉर्ड: इससे पहले इकबाल सक्का ने 75 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. जो गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स, यूनिक वर्ल्ड रिकार्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, वर्ल्ड अमेजिंग विश्व रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हैं. इकबाल सक्का को बचपन से ही कुछ हटकर करने का जुनून था. उन्होंने स्वर्णशिल्प कार्य के हुनर को अपनाया और फिर देखते ही देखते उसमें महारत हासिल कर ली. इकबाल बताते हैं कि बचपन से ही वे अखबार में स्वर्ण शिल्पकारी के बारे में पढ़ते थे. दुनिया के सबसे बेहतरीन स्वर्णशिल्प कारी के रिकॉर्ड अमेरिका ऑस्ट्रेलिया चीन जैसे देशों के नाम थे.
00.75 मिलीमीटर का सूक्ष्म तिरंगा बनाया: भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर झीलों की नगरी उदयपुर के रहने वाले स्वर्ण शिल्पकार इकबाल सक्का (75th anniversary of independence Iqbal special gift) ने कुछ अनोखा कर दिखाया है. अपनी कला के दम पर 75 से अधिक वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले इकबाल ने 00.75 मिलीमीटर का सूक्ष्म तिरंगा (Iqbal made 00.75 mm national flag) बनाया है. सोने से बने इस तिरंगे को सूक्ष्मदर्शी यंत्र की सहायता से देखा जा सकता है.
इकबाल ने तिरंगे को बनाने के दौरान काफी बारीकियों का ध्यान रखा है. उन्होंने बताया कि चींटी के 100 हिस्से जितनी बारिक सोने के टुकड़े को जोड़-जोड़ कर इस सूक्ष्म तिरंगे को बनाया गया है. उन्होंने बताया कि कपड़े सिलाई के लिए 12 नंबर की सुई सबसे पतली सुई हुई होती है. ऐसे में उसके छेद में से इस तिरंगे को आसानी से निकाला जा सकता है. इस तिरंगे में तीनों रंगों को मीना कलर से भरा गया है. तिरंगे के बीच में अशोक चक्र को सुई की नोक से बनाया गया है. इस तिरंगे की कुल लंबाई 00.75 मिलीमीटर रखी गई है. जो कि दुनिया में अपने आप में सबसे छोटा तिरंगा है. इस तिरंगे को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए दावा पेश किया है.