उदयपुर. सोनल और उसके परिवार की कहानी देश की तमाम बेटियों के लिए प्रेरक मिसाल है. झीलों की नगरी उदयपुर में प्रतापनगर इलाके में रहने वाला सोनल का परिवार बहुत सामान्य है. पिता दूध बेचने का काम करते हैं. लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को इस तरह तैयार किया है, कि तंग हालात बच्चों की सोच और कोशिशों को तंग नहीं कर सके. सोनल की बड़ी बहन गुजरात से पीएचडी कर रही है, छोटी बहन ने केंद्रीय विद्यालय टॉप कर चुकी है, भाई मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहा है और खुद सोनल आरजेएस की परीक्षा पास कर जज बनने जा रही है...देखिये एक परिवार के संघर्ष और बेटी की उड़ान की ये खास रिपोर्ट....
कुछ कर गुजरने की चाहत दिल में हो तो सफलता की राह में न आर्थिक तंगी आड़े आती है और न गरीबी. उदयपुर के प्रताप नगर इलाके की रहने वाली 26 वर्षीय सोनल शर्मा ने भी गरीबी की बेड़ियों को तोड़ते हुए अपने सपनों के मुकाम को हासिल किया है. सोनल ने आरजेएस परीक्षा पास कर पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया है.
सोनल को यह सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली. सोनल के संघर्ष की इस दास्तान में कई बार हालात बाधा बनकर सामने आए, लेकिन उसने सभी बाधाओं लांघते हुए अपने सपनों को साकार कर दिखाया.
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गायों को चारा डालने, गोबर उठाने से लेकर सारा काम करती है सोनल
ईटीवी भारत की टीम जब सोनल के घर पहुंची तो उसके पिता गायों का दूध निकाल रहे थे. इस बीच सोनल भी पिता का हाथ बंटा रही थी. सोनल न केवल बाड़ी की साफ-सफाई करती हैं, बल्कि गायों का गोबर तक उठाती हैं. काम से फुरसत पाकर वह खाली पीपों की टेबल बनाकर उन पर अपनी किताबें रखती है और पढ़ाई में जुट जाती है. उसकी ऐसी ही लगन और मेहनत के बल पर उसके सपने सच हुए हैं.
इस संघर्षपूर्ण जिंदगी में सोनल के ख्वाबों को बुनने में कई बार आर्थिक तंगी बाधा भी बनी. सोनल बताती हैं कि पिता के पास कोचिंग कराने के पैसे नहीं थे. इसलिए वे अपने घर पर ही पढ़ाई करती थीं. सोनल ने बताया कि वे चार भाई-बहन है. जिसमें तीन बहन और एक छोटा भाई है. सोनल भाई-बहनों में दूसरे नंबर की है.
सोनल कहती हैं कि जब उन्होंने बीए एलएलबी में प्रवेश लिया तो वहां आने वाले जजों को देखकर उनके मन में जज बनने की लालसा पैदा हुई. उसने उसी दिन ठान लिया कि एक दिन जज बनना है. लक्ष्य इतना सरल नहीं था. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते सोनल को कई बार परेशानी से जूझना पड़ा. लेकिन पिता ने भी हर मुश्किल में सोनल का साथ दिया. प्रोत्साहित किया और बेटी ने मुकाम हासिल कर ही लिया.
मेहनत और संघर्ष से बनी जज
सोनल ने बताया कि आरजेएस परीक्षा पास करने के लिए पहली बार वह महज 3 अंकों से असफल हुई थी. उसने हार नहीं मानी, दोबारा परीक्षा दी. दूसरी बार 2018 में वह 1 अंक से अपनी मंजिल से दूर रह गई. उम्मीद धूमिल हो गई थी, सफलता के इतने करीब आकर वह उसे हासिल नहीं कर सकी थी. लेकिन यहां किस्मत ने उसका साथ दिया. हाल ही में जारी हुई वेटिंग लिस्ट में सोनल को सफल करार दिया गया. सोनल सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं.
सोनल के पिता ख्यालीलाल शर्मा मानते हैं कि यह सब गायों की सेवा करने का ही फल है. उन्होंने कहा कि उनके तीन बेटियां और एक बेटा है. सबसे बड़ी बेटी को गाड़िया लोहार समाज पर गहन अध्ययन करने पर फ्रांस सरकार की ओर से बुलावा मिल चुका है. हालांकि वह अब गुजरात के गांधीनगर में सेंट्रल यूनिवर्सिटी से किन्नरों पर पीएचडी कर रही है. सबसे छोटी बेटी किरण केंद्रीय विद्यालय टॉप कर चुकी है. एक बेटा है हिमांशु जो अजमेर से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहा है.
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ख्यालीराम कहते हैं कि जिंदगी में आर्थिक तंगी देखी, लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए दिन-रात एक कर इनके सपनों को बुनने का काम किया. सोनल की मां का कहना है कि शुरू से ही सोनल पढ़ाई में होशियार थी और परिवार का दर्द समझती थी. इसलिए दिन-रात एक कर पढ़ाई में जुटी रही. गायों का काम करना, दूध घर-घर देकर आना, यह उसकी दिनचर्या का हिस्सा था. सोनल की बहन ने कहा कि दीदी को मेहनत करते हुए देख वह भी पढ़ाई के प्रति और अधिक जागृत हुई है. ईटीवी भारत भी सोनल और उसके परिवार के जज्बे को सलाम करता है.