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सोनलः मैंने गरीबी को जिया है...अपने साथ तो जस्टिस कर लिया...अब लोगों के साथ न्याय करना है

कुछ कर गुजरने का इरादा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. उदयपुर की एक बेटी ने गरीबी की बेड़ियों को तोड़ते हुए कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. तमाम अभावों और चुनौतियों के बीच उदयपुर के प्रताप नगर इलाके की रहने वाली सोनल ने आरजेएस परीक्षा पास कर अपने परिवार का ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया है.

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Published : Dec 27, 2020, 8:00 PM IST

Updated : Dec 28, 2020, 9:52 AM IST

सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज, Sonal judge made of hard work and struggle
दूध बेचने वाले की बेटी बनी जज

उदयपुर. सोनल और उसके परिवार की कहानी देश की तमाम बेटियों के लिए प्रेरक मिसाल है. झीलों की नगरी उदयपुर में प्रतापनगर इलाके में रहने वाला सोनल का परिवार बहुत सामान्य है. पिता दूध बेचने का काम करते हैं. लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को इस तरह तैयार किया है, कि तंग हालात बच्चों की सोच और कोशिशों को तंग नहीं कर सके. सोनल की बड़ी बहन गुजरात से पीएचडी कर रही है, छोटी बहन ने केंद्रीय विद्यालय टॉप कर चुकी है, भाई मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहा है और खुद सोनल आरजेएस की परीक्षा पास कर जज बनने जा रही है...देखिये एक परिवार के संघर्ष और बेटी की उड़ान की ये खास रिपोर्ट....

सोनल की उड़ान हर बेटी के लिए प्रेरणा

कुछ कर गुजरने की चाहत दिल में हो तो सफलता की राह में न आर्थिक तंगी आड़े आती है और न गरीबी. उदयपुर के प्रताप नगर इलाके की रहने वाली 26 वर्षीय सोनल शर्मा ने भी गरीबी की बेड़ियों को तोड़ते हुए अपने सपनों के मुकाम को हासिल किया है. सोनल ने आरजेएस परीक्षा पास कर पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया है.

सोनल को यह सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली. सोनल के संघर्ष की इस दास्तान में कई बार हालात बाधा बनकर सामने आए, लेकिन उसने सभी बाधाओं लांघते हुए अपने सपनों को साकार कर दिखाया.

पढ़ें- Special : छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं...महिलाएं कराटे और ताइक्वांडो से मनचलों को सिखाएंगी सबक

गायों को चारा डालने, गोबर उठाने से लेकर सारा काम करती है सोनल

सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज, Sonal judge made of hard work and struggle
पढ़ाई के साथ साथ पशुओं को डालती है चारा

ईटीवी भारत की टीम जब सोनल के घर पहुंची तो उसके पिता गायों का दूध निकाल रहे थे. इस बीच सोनल भी पिता का हाथ बंटा रही थी. सोनल न केवल बाड़ी की साफ-सफाई करती हैं, बल्कि गायों का गोबर तक उठाती हैं. काम से फुरसत पाकर वह खाली पीपों की टेबल बनाकर उन पर अपनी किताबें रखती है और पढ़ाई में जुट जाती है. उसकी ऐसी ही लगन और मेहनत के बल पर उसके सपने सच हुए हैं.

इस संघर्षपूर्ण जिंदगी में सोनल के ख्वाबों को बुनने में कई बार आर्थिक तंगी बाधा भी बनी. सोनल बताती हैं कि पिता के पास कोचिंग कराने के पैसे नहीं थे. इसलिए वे अपने घर पर ही पढ़ाई करती थीं. सोनल ने बताया कि वे चार भाई-बहन है. जिसमें तीन बहन और एक छोटा भाई है. सोनल भाई-बहनों में दूसरे नंबर की है.

सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज, Sonal judge made of hard work and struggle
घर के सारे काम करती है सोनल

सोनल कहती हैं कि जब उन्होंने बीए एलएलबी में प्रवेश लिया तो वहां आने वाले जजों को देखकर उनके मन में जज बनने की लालसा पैदा हुई. उसने उसी दिन ठान लिया कि एक दिन जज बनना है. लक्ष्य इतना सरल नहीं था. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते सोनल को कई बार परेशानी से जूझना पड़ा. लेकिन पिता ने भी हर मुश्किल में सोनल का साथ दिया. प्रोत्साहित किया और बेटी ने मुकाम हासिल कर ही लिया.

पढ़ें- Special: जैसलमेर के लोंगेवाला में 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध की कहानी, सुनिए नायक भैरो सिंह राठौड़ की जुबानी...

मेहनत और संघर्ष से बनी जज

सोनल ने बताया कि आरजेएस परीक्षा पास करने के लिए पहली बार वह महज 3 अंकों से असफल हुई थी. उसने हार नहीं मानी, दोबारा परीक्षा दी. दूसरी बार 2018 में वह 1 अंक से अपनी मंजिल से दूर रह गई. उम्मीद धूमिल हो गई थी, सफलता के इतने करीब आकर वह उसे हासिल नहीं कर सकी थी. लेकिन यहां किस्मत ने उसका साथ दिया. हाल ही में जारी हुई वेटिंग लिस्ट में सोनल को सफल करार दिया गया. सोनल सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं.

सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज, Sonal judge made of hard work and struggle
सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज

सोनल के पिता ख्यालीलाल शर्मा मानते हैं कि यह सब गायों की सेवा करने का ही फल है. उन्होंने कहा कि उनके तीन बेटियां और एक बेटा है. सबसे बड़ी बेटी को गाड़िया लोहार समाज पर गहन अध्ययन करने पर फ्रांस सरकार की ओर से बुलावा मिल चुका है. हालांकि वह अब गुजरात के गांधीनगर में सेंट्रल यूनिवर्सिटी से किन्नरों पर पीएचडी कर रही है. सबसे छोटी बेटी किरण केंद्रीय विद्यालय टॉप कर चुकी है. एक बेटा है हिमांशु जो अजमेर से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहा है.

सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज, Sonal judge made of hard work and struggle
पिता का हर काम में बंटाती है हाथ...

पढ़ें- Special: अब भारत में भी खूब हो रहा कीवी फल का उत्पादन, श्रीगंगानगर में 50 फीसदी से ज्यादा घटे दाम

ख्यालीराम कहते हैं कि जिंदगी में आर्थिक तंगी देखी, लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए दिन-रात एक कर इनके सपनों को बुनने का काम किया. सोनल की मां का कहना है कि शुरू से ही सोनल पढ़ाई में होशियार थी और परिवार का दर्द समझती थी. इसलिए दिन-रात एक कर पढ़ाई में जुटी रही. गायों का काम करना, दूध घर-घर देकर आना, यह उसकी दिनचर्या का हिस्सा था. सोनल की बहन ने कहा कि दीदी को मेहनत करते हुए देख वह भी पढ़ाई के प्रति और अधिक जागृत हुई है. ईटीवी भारत भी सोनल और उसके परिवार के जज्बे को सलाम करता है.

उदयपुर. सोनल और उसके परिवार की कहानी देश की तमाम बेटियों के लिए प्रेरक मिसाल है. झीलों की नगरी उदयपुर में प्रतापनगर इलाके में रहने वाला सोनल का परिवार बहुत सामान्य है. पिता दूध बेचने का काम करते हैं. लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को इस तरह तैयार किया है, कि तंग हालात बच्चों की सोच और कोशिशों को तंग नहीं कर सके. सोनल की बड़ी बहन गुजरात से पीएचडी कर रही है, छोटी बहन ने केंद्रीय विद्यालय टॉप कर चुकी है, भाई मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहा है और खुद सोनल आरजेएस की परीक्षा पास कर जज बनने जा रही है...देखिये एक परिवार के संघर्ष और बेटी की उड़ान की ये खास रिपोर्ट....

सोनल की उड़ान हर बेटी के लिए प्रेरणा

कुछ कर गुजरने की चाहत दिल में हो तो सफलता की राह में न आर्थिक तंगी आड़े आती है और न गरीबी. उदयपुर के प्रताप नगर इलाके की रहने वाली 26 वर्षीय सोनल शर्मा ने भी गरीबी की बेड़ियों को तोड़ते हुए अपने सपनों के मुकाम को हासिल किया है. सोनल ने आरजेएस परीक्षा पास कर पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया है.

सोनल को यह सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली. सोनल के संघर्ष की इस दास्तान में कई बार हालात बाधा बनकर सामने आए, लेकिन उसने सभी बाधाओं लांघते हुए अपने सपनों को साकार कर दिखाया.

पढ़ें- Special : छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं...महिलाएं कराटे और ताइक्वांडो से मनचलों को सिखाएंगी सबक

गायों को चारा डालने, गोबर उठाने से लेकर सारा काम करती है सोनल

सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज, Sonal judge made of hard work and struggle
पढ़ाई के साथ साथ पशुओं को डालती है चारा

ईटीवी भारत की टीम जब सोनल के घर पहुंची तो उसके पिता गायों का दूध निकाल रहे थे. इस बीच सोनल भी पिता का हाथ बंटा रही थी. सोनल न केवल बाड़ी की साफ-सफाई करती हैं, बल्कि गायों का गोबर तक उठाती हैं. काम से फुरसत पाकर वह खाली पीपों की टेबल बनाकर उन पर अपनी किताबें रखती है और पढ़ाई में जुट जाती है. उसकी ऐसी ही लगन और मेहनत के बल पर उसके सपने सच हुए हैं.

इस संघर्षपूर्ण जिंदगी में सोनल के ख्वाबों को बुनने में कई बार आर्थिक तंगी बाधा भी बनी. सोनल बताती हैं कि पिता के पास कोचिंग कराने के पैसे नहीं थे. इसलिए वे अपने घर पर ही पढ़ाई करती थीं. सोनल ने बताया कि वे चार भाई-बहन है. जिसमें तीन बहन और एक छोटा भाई है. सोनल भाई-बहनों में दूसरे नंबर की है.

सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज, Sonal judge made of hard work and struggle
घर के सारे काम करती है सोनल

सोनल कहती हैं कि जब उन्होंने बीए एलएलबी में प्रवेश लिया तो वहां आने वाले जजों को देखकर उनके मन में जज बनने की लालसा पैदा हुई. उसने उसी दिन ठान लिया कि एक दिन जज बनना है. लक्ष्य इतना सरल नहीं था. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते सोनल को कई बार परेशानी से जूझना पड़ा. लेकिन पिता ने भी हर मुश्किल में सोनल का साथ दिया. प्रोत्साहित किया और बेटी ने मुकाम हासिल कर ही लिया.

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मेहनत और संघर्ष से बनी जज

सोनल ने बताया कि आरजेएस परीक्षा पास करने के लिए पहली बार वह महज 3 अंकों से असफल हुई थी. उसने हार नहीं मानी, दोबारा परीक्षा दी. दूसरी बार 2018 में वह 1 अंक से अपनी मंजिल से दूर रह गई. उम्मीद धूमिल हो गई थी, सफलता के इतने करीब आकर वह उसे हासिल नहीं कर सकी थी. लेकिन यहां किस्मत ने उसका साथ दिया. हाल ही में जारी हुई वेटिंग लिस्ट में सोनल को सफल करार दिया गया. सोनल सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं.

सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज, Sonal judge made of hard work and struggle
सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज

सोनल के पिता ख्यालीलाल शर्मा मानते हैं कि यह सब गायों की सेवा करने का ही फल है. उन्होंने कहा कि उनके तीन बेटियां और एक बेटा है. सबसे बड़ी बेटी को गाड़िया लोहार समाज पर गहन अध्ययन करने पर फ्रांस सरकार की ओर से बुलावा मिल चुका है. हालांकि वह अब गुजरात के गांधीनगर में सेंट्रल यूनिवर्सिटी से किन्नरों पर पीएचडी कर रही है. सबसे छोटी बेटी किरण केंद्रीय विद्यालय टॉप कर चुकी है. एक बेटा है हिमांशु जो अजमेर से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहा है.

सोनल मेहनत और संघर्ष से बनी जज, Sonal judge made of hard work and struggle
पिता का हर काम में बंटाती है हाथ...

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ख्यालीराम कहते हैं कि जिंदगी में आर्थिक तंगी देखी, लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए दिन-रात एक कर इनके सपनों को बुनने का काम किया. सोनल की मां का कहना है कि शुरू से ही सोनल पढ़ाई में होशियार थी और परिवार का दर्द समझती थी. इसलिए दिन-रात एक कर पढ़ाई में जुटी रही. गायों का काम करना, दूध घर-घर देकर आना, यह उसकी दिनचर्या का हिस्सा था. सोनल की बहन ने कहा कि दीदी को मेहनत करते हुए देख वह भी पढ़ाई के प्रति और अधिक जागृत हुई है. ईटीवी भारत भी सोनल और उसके परिवार के जज्बे को सलाम करता है.

Last Updated : Dec 28, 2020, 9:52 AM IST
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