श्रीगंगानगर. कोरोना वायरस का खतरा पूरी दुनिया पर लगातार बना हुआ है. लाखों लोग इससे जंग जीतकर ठीक हो चुके हैं तो लाखों लोग आज भी संक्रमित हैं. श्रीगंगानगर जिले की बात की जाए तो जिले में अभी तक 1418 मामले सामने आए हैं, जिसमें से 1182 लोगों ने कोरोना से जंग जीत कर अपने घर लौट चुके हैं.
कोरोना से जंग जीतने वाले लोगों का कहना है कि कोरोना से रिकवर होने के बाद उन्हें काफी दिनों तक घर से और परिवार से दूरी बनानी पड़ी, लेकिन उन्होंने कोरोना को हराकर जीत हासिल कर ली. साथ ही इन लोगों ने मिसाल कायम की कि साहस और पॉजिटिव सोच से किसी भी बीमारी को हराया जा सकता है.
केस-1
ये हैं 32 वर्षीय विजय कुमार. विजय कुमार कोरोना पॉजिटिव होने से पहले श्रीगंगानगर जिला अस्पताल में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के ड्राइवर थे. विजय कुमार अस्पताल में अपने किसी परिचित के संपर्क में आने के बाद अपना करोना सैंपल दिया तो सैंपल पॉजिटिव निकला. जिसके बाद विजय कुमार को चिकित्सा विभाग की टीम ने घर में क्वॉरेंटाइन कर इलाज शुरू किया.
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विजय कुमार का कहना है कि पॉजिटिव आने से पहले और बाद में उनके शरीर पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा. उनका कहना है कि पॉजिटिव होने के बाद घर में अकेले रहने के कारण समय व्यतीत करना बड़ा मुश्किल हो रहा था. पॉजिटिव होने के 7 दिन बाद जब उन्होंने फिर से कोरोना टेस्ट करवाया तो उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई.
विजय कुमार पिछले 20 दिनों से घर पर हैं, लेकिन कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव होने के दौरान किसी प्रकार का उनके शरीर पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया. उनका कहना है कि लोगों को इससे बचने के लिए सावधानी रखनी चाहिए.
केस-2
श्रीगंगानगर एसडीएम उमेद सिंह रत्नु भी अतिरिक्त जिला कलेक्टर के संपर्क में आने के बाद कोरोना पॉजिटिव आए थे. कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उमेद सिंह रत्नु खुद को होम क्वॉरेंटाइन कर अपना इलाज शुरू किया. उनका कहना है कि पहले दिन बुखार आने के बाद कमजोरी महसूस हुई और अगले 6 दोनों तक शरीर में बेचैनी बनी रही.
उमेद सिंह रत्नु का कहना है कि सरकार की ओर से कोरोना को लेकर जो गाइडलाइन जारी की गई है, उसका फॉलो किया जाए तो काफी हद तक इस संक्रमण को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि संक्रमण के दौरान योग सबसे ज्यादा कारगर साबित हुआ. योग से मानसिक रूप से भी मजबूत मिली और उन्हें ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा.
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उमेद सिंह कहते हैं कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद किस तरह से उन्होंने अपना समय घर में बंद होकर किताबें और नोवेल पढ़कर बिताया, उसको देख कर लगता है कि होम क्वॉरेंटाइन के दौरान अकेले रहना ही सबसे मुश्किल समय होता है. उमेद सिंह रत्नु अब दफ्तर आते हैं और बड़ी ही सावधानी के साथ मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग की दूरी बनाकर अपने कार्मिकों के साथ कार्य करते हैं. दफ्तर में भी फाइलों में साइन करने के दौरान लगातार सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहते हैं.
केस-3
कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव हो चुके मेडिकल संचालक कपिल कुमार जब करोना पॉजिटिव आए तो उनके पूरे परिवार की सैंपलिंग हुई. जिसके बाद उनके परिवार के बाकी सदस्य भी पॉजिटिव आ गए. कपिल कुमार का कहना है कि पॉजिटिव आने के बाद वे 14 दिनों तक घर में क्वॉरेंटाइन रहे. उनका कहना है कि इन 14 दिनों में उन्होंने अकेलापन महसूस किया, जिससे वे डिप्रेशन में चला गया था.
फिलहाल, कपिल कुमार का पूरा परिवार पॉजिटिव से नेगेटिव हो चुका है, लेकिन ठीक होने के बाद भी सामाजिक रूप से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कपिल कुमार का कहना है कि वे जब पॉजिटिव आए थे तो लोग उन्हें अछूत जैसी नजर से देखते थे.