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श्रीगंगानगर: वित्तीय अधिकार छीनने से नाराज सरपंचों ने किया विरोध प्रदर्शन, CM के नाम सौंपा ज्ञापन

वित्तीय अधिकार छीनने से नाराज सरपंचों ने श्रीगंगानगर जिला कलेक्ट्रेट पर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर आक्रोश प्रकट किया. इस दौरान सरपंचों ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्ट्रेट को ज्ञापन सौंपकर सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश वापस लेने की मांग की.

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वित्तीय अधिकार छीनने से नाराज सरपंचों ने किया विरोध प्रदर्शन
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Published : Jan 15, 2021, 6:58 PM IST

श्रीगंगानगर. राज्य सरकार द्वारा सरपंचों से वित्तीय अधिकार छीनने पर पंचायती राज सिस्टम से जुड़े सरपंचों ने शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर आक्रोश प्रकट किया. इस दौरान सरपंचों ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा. सरपंचों का कहना है कि राज्य सरकार ने सरपंचों से वित्तीय अधिकार छीन लिए हैं. ऐसे में सरपंचों के पास ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए पैसा खर्च करने का अधिकार नहीं रहेगा.

वित्तीय अधिकार छीनने से नाराज सरपंचों ने किया विरोध प्रदर्शन

उनका कहना है कि सरकार द्वारा हर पंचायत के लिए पीडी खाते खोले जा रहे हैं, जो वित्तीय विभाग के कंट्रोल में रहेंगे. इनकी मानें तो सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों का बकाया पैसा अब तक नहीं दिया गया है. साथ ही सरपंचों से वित्तीय अधिकार भी छीन लिए गए हैं. सरपंच यूनियन ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश को वापस लेने की मांग की है.

सरपंच यूनियन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर विकास तथा त्वरित कार्य संपादन के लिए ग्राम पंचायतों का सशक्तिकरण आवश्यक है. इसके लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा अनुदान राशि का हस्तांतरण सीधा पंचायत खातों में किया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न विभागों के कार्यों के निर्देशन में मूल्यांकन के लिए उन्हें पंचायत राज के अधीन किया गया है. वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी करके पंचायतों को कमजोर करने का काम किया जा रहा है.

पढ़ें- अलवर के सरपंचों ने गहलोत सरकार के खिलाफ लगाए नारे, श्रम मंत्री को सौंपा ज्ञापन

उन्होंने कहा कि पंचायत बिलों को ट्रेजरी से पारित करने की जो प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा लागू करने के निर्देश दिए जा रहे हैं, उनसे ना केवल भुगतान में देरी होगी, बल्कि भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा. पंचायत से पृथक कोर कमेटी का गठन कार्य को पंचायत से नौकरशाही को हस्तांतरण करेगा. ऐसे में आक्रोशित सरपंचों ने सरकार के आदेश का विरोध जताते हुए फिर से सरपंचों को वित्तीय अधिकार देने की मांग की है. वहीं उन्होंने कहा कि बीएसआर निर्धारित होने के बाद टेंडर प्रक्रिया को बंद किया जाए तथा मनरेगा के पक्के कार्यों का भुगतान 2 माह में सुनिश्चित किया जाए.

श्रीगंगानगर. राज्य सरकार द्वारा सरपंचों से वित्तीय अधिकार छीनने पर पंचायती राज सिस्टम से जुड़े सरपंचों ने शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर आक्रोश प्रकट किया. इस दौरान सरपंचों ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा. सरपंचों का कहना है कि राज्य सरकार ने सरपंचों से वित्तीय अधिकार छीन लिए हैं. ऐसे में सरपंचों के पास ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए पैसा खर्च करने का अधिकार नहीं रहेगा.

वित्तीय अधिकार छीनने से नाराज सरपंचों ने किया विरोध प्रदर्शन

उनका कहना है कि सरकार द्वारा हर पंचायत के लिए पीडी खाते खोले जा रहे हैं, जो वित्तीय विभाग के कंट्रोल में रहेंगे. इनकी मानें तो सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों का बकाया पैसा अब तक नहीं दिया गया है. साथ ही सरपंचों से वित्तीय अधिकार भी छीन लिए गए हैं. सरपंच यूनियन ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश को वापस लेने की मांग की है.

सरपंच यूनियन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर विकास तथा त्वरित कार्य संपादन के लिए ग्राम पंचायतों का सशक्तिकरण आवश्यक है. इसके लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा अनुदान राशि का हस्तांतरण सीधा पंचायत खातों में किया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न विभागों के कार्यों के निर्देशन में मूल्यांकन के लिए उन्हें पंचायत राज के अधीन किया गया है. वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी करके पंचायतों को कमजोर करने का काम किया जा रहा है.

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उन्होंने कहा कि पंचायत बिलों को ट्रेजरी से पारित करने की जो प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा लागू करने के निर्देश दिए जा रहे हैं, उनसे ना केवल भुगतान में देरी होगी, बल्कि भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा. पंचायत से पृथक कोर कमेटी का गठन कार्य को पंचायत से नौकरशाही को हस्तांतरण करेगा. ऐसे में आक्रोशित सरपंचों ने सरकार के आदेश का विरोध जताते हुए फिर से सरपंचों को वित्तीय अधिकार देने की मांग की है. वहीं उन्होंने कहा कि बीएसआर निर्धारित होने के बाद टेंडर प्रक्रिया को बंद किया जाए तथा मनरेगा के पक्के कार्यों का भुगतान 2 माह में सुनिश्चित किया जाए.

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