श्रीगंगानगर. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आयुष चिकित्सक संयुक्त संघर्ष समिति ने आन्दोलन शुरू किया है. इसी क्रम में जिले के करीब 61 चिकित्सक पिछले कुछ दिनों से हड़ताल व कार्य बहिष्कार पर हैं. चिकित्सकों ने अब आंदोलन तेज करके आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है.
चिकित्सकों की मानें तो कोरोना की रोकथाम के लिए राज्य में लगभग 2 हजार एनएचएम संविदा आयुष चिकित्सक फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम कर रहे हैं, जो इस महामारी में अपनी जान जोखिम में डालकर परिवार एवं बच्चों से दूर रहकर राज्य हित में अल्प वेतन में संविदा पर निष्ठा पूर्वक निरंतर सेवा दे रहे हैं. लेकिन आयुष चिकित्सकों को मिलने वाला वेतन काफी कम है.
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आंदोलनरत चिकित्सकों ने पूर्व में कई बार राज्य सरकार, मुख्यमंत्री महोदय, शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव सहित मिशन निदेशक को इन मांगों को लेकर अवगत कराते हुए ज्ञापन दिया था, लेकिन सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हुआ. जबकि अलग वेतन एवं हीन भावना से ग्रसित आयुष चिकित्सकों के लिए हाल ही में चिकित्सा मंत्री ने मानदेय वृद्धि हेतु कमेटी का गठन किया है. नियमानुसार गठित कमेटी ने आयुष शिक्षकों की मांगों की पत्रावली भी भेज दी है, लेकिन फिर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं होने से सभी आयुष चिकित्सकों में असंतोष है.
सभी संविदा आयुष चिकित्सकों ने 7 अगस्त से पहले काली पट्टी बांधकर कार्य किया और अब लगातार 2 घंटे का कार्य बहिष्कार करते हुए वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं. आयुष चिकित्सक संपूर्ण रूप से सामूहिक कार्य बहिष्कार करने का प्लान भी बना रहे हैं. सरकार के जन घोषणा पत्र के अनुसार वर्षों से संविदा पर कार्यरत अल्प वेतनभोगी आयुष चिकित्सकों को नियमित किया जाना था.
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ऐसे में आयुष चिकित्सकों ने मांग की है कि जब तक उनकी नियमितीकरण प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती है, तब तक मानदेय वृद्धि 2010 की भांति एलोपैथिक चिकित्सकों के समक्ष 39300 की जाए. ऐसे में मांगों पर विचार नहीं किया गया तो समस्त प्रदेश में कार्यरत समस्त आयुष चिकित्सक अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार आंदोलन की राह अपनाने के लिए विवश होंगे.