सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). वैश्विक महामारी कोरोना को इलाके के बड़े बुजुर्ग बड़े ही आश्चर्य से देख रहे हैं. उनका कहना है कि इस बीमारी से बचने के लिए घर में ही रहना जरूरी है, वह बार-बार अपने बच्चों को यह हिदायत देते रहते हैं. परंतु उनके मन में कहीं ना कहीं इस बात का घोर आश्चर्य है कि यह बीमारी क्या है और इससे कब पीछा छूटेगा.
इस दौरान एक बुजुर्ग ने कहा कि ऐसी बीमारी 100 साल पहले आई थी, जब 12 कोस पर दीपक जलता दिखाई देता था और गांव के गांव खाली हो गए थे. वहीं, रामेश्वर दास स्वामी ने बताया कि 100 साल पहले ऐसी बीमारी आई थी, जब मृत शरीर को कल्याण भूमि ले जाने वालों की कमी आ गई थी, तब ऊटों पर लाशें लादकर अंतिम क्रिया के लिए ले जाया करते थे.
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इसी प्रकार बुजुर्ग धनाराम ने कहा कि संवत 1975 में काती वाली बीमारी आई थी, जिसमें देश में महामारी के रूप में आज भी चर्चा की जाती है. उसके बाद हमारे देखने में इतनी बड़ी बीमारी नहीं आई. युवाओं को हिदायत देते हुए बुजुर्ग ने कहा कि इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है. सभी अपने घरों में रहे और मुंह पर मास्क लगाकर दूरी बनाकर रखें. गौरतलब है कि बड़े-बूढ़े बुजर्गों ने भी ऐसी बीमारी नहीं देखी है, जिसके कारण इतने लंबे समय तक घरों में बंद रहना पड़ा हो.