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SPECIAL : संत राम रूप दास महाराज कर रहे 37 वर्षों से गौ भक्ति, दीपावली पर गायों को खिलाते हैं देसी घी के लड्डू - Cow devotion

संत राम रूप दास महाराज पिछले 37 वर्षों से गौ भक्ति में लीन हैं. कम आयु में ही जीवन के सारे सुख त्याग कर उन्होंने भगवा पहन लिया और गायों की भक्ति में लग गए. देखिए श्रीगंगानगर से खास रिपोर्ट...

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37 वर्षों से गौ सेवा कर रहे संत राम रूप दास जी महाराज
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Published : Feb 10, 2020, 4:41 PM IST

Updated : Feb 10, 2020, 5:51 PM IST

श्रीगंगानगर. गौ सेवा का ऐसा जुनून कि एक साधारण परिवार के लड़के ने जीवन की सारी चाहते छोड़ कर अपना जीवन गौ सेवा में समर्पित कर दिया. हम बात कर रहे हैं भगवा वेशभूषा धारण किए संत राम रूप दास महाराज की. जो पिछले 37 वर्षों से देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर गायों की सेवा कर रहे हैं.

37 वर्षों से गौ सेवा कर रहे संत राम रूप दास जी महाराज

जिले के ढ़िगावाली गांव में बने आश्रम में रहने वाले संत रामरूप दास ने कम आयु में ही गौ सेवा करना शुरु कर दिया था. संत रामरूप दास का कहना है कि वे 1984 में ढ़िगावाली आश्रम में संत मुनिदास के संपर्क में आए और उन्हें अपना गुरु बना लिया. उसके बाद वे सांसारिक दुनिया का त्याग कर गुरु के साथ गौ सेवा करने में लग गए.

1999 में मिली गौ सेवा कार्य की पूरी जिम्मेदारी

संत ने बताया कि गुरु जी 13 साल की उम्र से गायों की सेवा करने लग गए थे. उसके बाद जब गुरु जी ने शरीर छोड़ दिया तो 1999 में गौ सेवा कार्य की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से उन पर आ गयी. तब से गौ भक्तों के साथ मिलकर देश के अलग-अलग हिस्सों में गायों की सेवाएं कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- सरसों की खराब फसल लेकर विधानसभा पहुंचे भाजपा विधायक बलवीर सिंह लूथरा, गहलोत सरकार को घेरा

सच्चे मन से करते हैं गायों की सेवा

उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में गायों को गुड़ डाला जाता है और गर्मियों में हरा चारा डाला जाता है. संत राम रूप दास अपने समर्थकों के साथ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान सहित कई राज्यों में गायों की सेवा करने के लिए जाते हैं. जब उनसे पूछा गया कि गायों की सेवा के लिए इतना धन कहां से आता है तो उन्होंने बताया कि यह सब सेवादार जिनके मन में गौ भक्ति का भाव है वे अपने सामर्थ्य के हिसाब से सेवा करते हैं.

यह भी पढे़ं : स्पेशल रिपोर्ट: कैंसर से लड़ने में कारगर है सरसों की ये खास नस्ल, कई बीमारियों की रोकथाम में भी गुणकारी

दीपावली पर गायों के लिए बनते हैं देसी घी के लड्डू

गौ भगत प्रेम कुमार ने बताया कि सेवादार देश के अलग-अलग हिस्सों में है और सभी सेवादार मिलकर संत राम रूप दास जी के मार्गदर्शन में गायों की सेवा करते हैं. उन्होंने बताया कि अप्रैल माह में लोग गेहूं का चारा गायों के लिए छोड़ते हैं और हरे के सीजन में हरा चारा गायों के लिए किसान लोग दान में देते हैं. इनकी सेवा में खास बात यह भी है कि संत राम रूप दास दीपावली पर गायों के लिए देसी घी के लड्डू बनाकर सभी गायों को खिलाते हैं.

श्रीगंगानगर. गौ सेवा का ऐसा जुनून कि एक साधारण परिवार के लड़के ने जीवन की सारी चाहते छोड़ कर अपना जीवन गौ सेवा में समर्पित कर दिया. हम बात कर रहे हैं भगवा वेशभूषा धारण किए संत राम रूप दास महाराज की. जो पिछले 37 वर्षों से देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर गायों की सेवा कर रहे हैं.

37 वर्षों से गौ सेवा कर रहे संत राम रूप दास जी महाराज

जिले के ढ़िगावाली गांव में बने आश्रम में रहने वाले संत रामरूप दास ने कम आयु में ही गौ सेवा करना शुरु कर दिया था. संत रामरूप दास का कहना है कि वे 1984 में ढ़िगावाली आश्रम में संत मुनिदास के संपर्क में आए और उन्हें अपना गुरु बना लिया. उसके बाद वे सांसारिक दुनिया का त्याग कर गुरु के साथ गौ सेवा करने में लग गए.

1999 में मिली गौ सेवा कार्य की पूरी जिम्मेदारी

संत ने बताया कि गुरु जी 13 साल की उम्र से गायों की सेवा करने लग गए थे. उसके बाद जब गुरु जी ने शरीर छोड़ दिया तो 1999 में गौ सेवा कार्य की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से उन पर आ गयी. तब से गौ भक्तों के साथ मिलकर देश के अलग-अलग हिस्सों में गायों की सेवाएं कर रहे हैं.

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सच्चे मन से करते हैं गायों की सेवा

उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में गायों को गुड़ डाला जाता है और गर्मियों में हरा चारा डाला जाता है. संत राम रूप दास अपने समर्थकों के साथ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान सहित कई राज्यों में गायों की सेवा करने के लिए जाते हैं. जब उनसे पूछा गया कि गायों की सेवा के लिए इतना धन कहां से आता है तो उन्होंने बताया कि यह सब सेवादार जिनके मन में गौ भक्ति का भाव है वे अपने सामर्थ्य के हिसाब से सेवा करते हैं.

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दीपावली पर गायों के लिए बनते हैं देसी घी के लड्डू

गौ भगत प्रेम कुमार ने बताया कि सेवादार देश के अलग-अलग हिस्सों में है और सभी सेवादार मिलकर संत राम रूप दास जी के मार्गदर्शन में गायों की सेवा करते हैं. उन्होंने बताया कि अप्रैल माह में लोग गेहूं का चारा गायों के लिए छोड़ते हैं और हरे के सीजन में हरा चारा गायों के लिए किसान लोग दान में देते हैं. इनकी सेवा में खास बात यह भी है कि संत राम रूप दास दीपावली पर गायों के लिए देसी घी के लड्डू बनाकर सभी गायों को खिलाते हैं.

Intro:श्रीगंगानगर : गौ सेवा का ऐसा जुनून कि एक साधारण परिवार के बालक ने जीवन की सारी चाहते छोड़ कर अपना जीवन ही गौ सेवा में समर्पित कर दिया। जी हां हम बात कर रहे हैं भगवा वेशभूषा धारण किए संत राम रूप दास महाराज की। जो पिछले 37 वर्षों से देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर गायों की सेवा कर रहे हैं। श्रीगंगानगर जिले के ढ़िगावाली गांव में बने आश्रम में संत मुनिदास 13 वर्ष की आयु में गौ सेवा के कार्य में जुटे थे।संत रामरूप दास 1984 में उनके संपर्क में आए। उसके बाद संत रामरूप दास उनके शिष्य बन गए और गौ सेवा के कार्य में उनके साथ लग गए। संत मुनिदास ने 1999 में जब देह त्याग दिया तो उसके बाद आश्रम का उत्तराधिकारी संत रामरूप दास बन गए। तब से संत रामरूप दास गौ भक्तो के साथ मिलकर लगातार गौ सेवा के कार्य में जुटे हुए हैं।


Body:संत रामरूप दास कहते हैं कि वे 1984 में ढ़िगावाली आश्रम में संत मुनिदास के संपर्क में आए और उन्हें अपना गुरु बना लिया। उसके बाद वे सांसारिक दुनिया का त्याग कर गुरु के साथ गौ सेवा करने में लग गए। वे बताते हैं कि गुरु जी 13 साल की उम्र से गायों की सेवा करने लगे थे। उसके बाद जब गुरु जी ने शरीर छोड़ दिया तो 1999 में गौ सेवा कार्य की जिम्मेवारी पूर्ण रूप से उन पर आ गयी।तब से गो भक्तों के साथ मिलकर देश के अलग-अलग हिस्सों में गायों की सर्दी-गर्मी लगातार सेवाएं की जा रही है। वे कहते हैं कि सर्दी के मौसम में गायों को गुड़ डाला जाता है और गर्मियों में हरा चारा डाला जाता है।संत राम रूप दास अपने समर्थकों के साथ पंजाब,हरियाणा,उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,राजस्थान सहित कई राज्यों में गायों की सेवा करने के लिए जाते हैं।जब उनसे पूछा जाता है कि गायों की सेवा के लिए इतना धन कहां से आता है तो वह कहते हैं कि यह सब सेवादार जिनके मन में गो भक्ति का भाव है वे गो भगत अपने सामर्थ्य के हिसाब से सेवा करते हैं। वे तो सिर्फ माध्यम है। गो भगत प्रेम कुमार कहते हैं कि पहले संत मुनि दास जी महाराज ढ़िगावाली में रहकर करीब 100 सालों तक गौ सेवा की थी। संत मुनि दास गायों की सेवा के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में जाते रहते थे। राम रूप दास जी संत मुनि दास महाराज के शिष्य रहे हैं और उनके साथ भी गायों की सेवा करते रहे हैं। बाद में जब संत मुनि दास ने अपनी देह त्याग दी तो ढ़िगावाली में संत राम रूप दास ने आश्रम की गद्दी संभाल कर गो सेवा शुरू कर दी। तब से लगातार गायों की सेवा हर रोज की जा रही है। वे कहते हैं कि सेवादार देश के अलग-अलग हिस्सों में है और सभी सेवादार मिलकर संत राम रूप दास जी के मार्गदर्शन में गायों की सेवा करते हैं।गो सेवादार बताते हैं कि अप्रैल माह में लोग गेहूं का चारा गायों के लिए छोड़ते हैं और हरे के सीजन में हरा चारा गायों के लिए किसान लोग दान देते हैं। इनकी सेवा में खास बात यह भी है कि संत राम रूप दास दीपावली पर गायों के लिए देसी घी के लड्डू बनाकर सभी गायो को खिलाते है।

बाईट : संत रामरूप दास ढ़िगावाली डेरा।
बाइट : प्रेम कुमार, गौ भगत।


Conclusion:गायों की सेवा में किया जीवन समर्पित।

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Last Updated : Feb 10, 2020, 5:51 PM IST
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