श्रीगंगानगर. गौ सेवा का ऐसा जुनून कि एक साधारण परिवार के लड़के ने जीवन की सारी चाहते छोड़ कर अपना जीवन गौ सेवा में समर्पित कर दिया. हम बात कर रहे हैं भगवा वेशभूषा धारण किए संत राम रूप दास महाराज की. जो पिछले 37 वर्षों से देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर गायों की सेवा कर रहे हैं.
जिले के ढ़िगावाली गांव में बने आश्रम में रहने वाले संत रामरूप दास ने कम आयु में ही गौ सेवा करना शुरु कर दिया था. संत रामरूप दास का कहना है कि वे 1984 में ढ़िगावाली आश्रम में संत मुनिदास के संपर्क में आए और उन्हें अपना गुरु बना लिया. उसके बाद वे सांसारिक दुनिया का त्याग कर गुरु के साथ गौ सेवा करने में लग गए.
1999 में मिली गौ सेवा कार्य की पूरी जिम्मेदारी
संत ने बताया कि गुरु जी 13 साल की उम्र से गायों की सेवा करने लग गए थे. उसके बाद जब गुरु जी ने शरीर छोड़ दिया तो 1999 में गौ सेवा कार्य की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से उन पर आ गयी. तब से गौ भक्तों के साथ मिलकर देश के अलग-अलग हिस्सों में गायों की सेवाएं कर रहे हैं.
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सच्चे मन से करते हैं गायों की सेवा
उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में गायों को गुड़ डाला जाता है और गर्मियों में हरा चारा डाला जाता है. संत राम रूप दास अपने समर्थकों के साथ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान सहित कई राज्यों में गायों की सेवा करने के लिए जाते हैं. जब उनसे पूछा गया कि गायों की सेवा के लिए इतना धन कहां से आता है तो उन्होंने बताया कि यह सब सेवादार जिनके मन में गौ भक्ति का भाव है वे अपने सामर्थ्य के हिसाब से सेवा करते हैं.
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दीपावली पर गायों के लिए बनते हैं देसी घी के लड्डू
गौ भगत प्रेम कुमार ने बताया कि सेवादार देश के अलग-अलग हिस्सों में है और सभी सेवादार मिलकर संत राम रूप दास जी के मार्गदर्शन में गायों की सेवा करते हैं. उन्होंने बताया कि अप्रैल माह में लोग गेहूं का चारा गायों के लिए छोड़ते हैं और हरे के सीजन में हरा चारा गायों के लिए किसान लोग दान में देते हैं. इनकी सेवा में खास बात यह भी है कि संत राम रूप दास दीपावली पर गायों के लिए देसी घी के लड्डू बनाकर सभी गायों को खिलाते हैं.