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श्रीगंगानगर में कोरोना मरीज की मौत, परिजनों ने निजी अस्पताल पर लगाए गंभीर आरोप

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Published : Jun 4, 2021, 8:39 PM IST

श्रीगंगानगर में कोरोना मरीज की मौत के बाद परिजनों ने निजी अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. परिजनों का कहना है कि अस्पताल अवैध रूप से मरीजों का इलाज कर रहा था. जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने भी अस्पताल पर जुर्माना लगाया है.

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कोरोना मरीज के इलाज में लापरवाही

श्रीगंगानगर. कोरोना में एक तरफ जहां डॉक्टर संक्रमित मरीजों की जान बचाकर भगवान के रूम में सामने आए हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ निजी अस्पताल संचालकों के ऐसे कारनामे भी सामने आ रहे हैं इंसानियत को शर्मसार करने वाले हैं. अवैध रूप से कोरोना का इलाज करके मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे हैं. ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर सामने आया. जहां निजी अस्पताल संचालक ने कोरोना मरीज को भर्ती तो कर लिया लेकिन कोरोना का इलाज नहीं मिलने से मरीज की मौत हो गई.

पढ़ें: केंद्र सरकार वैक्सीन के ऑर्डर देने में लेट हो गई, इसलिए वैक्सीन मिलने में हो रही परेशानी - महेश जोशी

मामले में निजी अस्पताल संचालकों पर कार्रवाई नहीं होने से मृतक के परिजनों का आक्रोश बढ़ गया है. आक्रोशित परिजनों को शुक्रवार को हॉस्पिटल के बाहर चिलचिलाती धूप में धरना शुरू कर दिया. धरने पर मृतक निर्मल सिंह की पत्नी हरमीत कौर, बेटा जसवीर सिंह, हरमीत कौर और पड़ोसी हरीश अरोड़ा बैठे हैं. मृतक के बेटे जसवीर सिंह ने बताया कि उनके 52 साल के पिता निर्मल सिंह को इलाज के लिए 13 मई की सुबह सुखाड़िया मार्ग स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. जहां डॉक्टर ने उनके पिता की सीटी स्कैन करवाने की बात कही. जिसके बाद परिजनों ने 1700 रुपये खर्च कर सीटी स्कैन करवाया. रिपोर्ट चेक करने के बाद डॉक्टर ने बताया कि मरीज के फेफड़ों में इन्फेक्शन है.

कोरोना मृतक के परिवार ने लगाए निजी अस्पताल पर गंभीर आरोप

जसवीर सिंह ने बताया कि 20 मई को उनके पिता की हालत बिगड़ गई. जिसके बाद उन्हें सरकारी हॉस्पिटल में ले गए. 21 मई को करोना जांच करवाई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई. 27 मई को सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान उनके पिता की मौत हो गई. जसवीर सिंह ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि निजी अस्पताल में अवैध रूप से कोरोना इलाज किया जा रहा है. डॉक्टर ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि उसके पिता का सही तरीके से इलाज किया जाएगा. जबकि अस्पताल में अवैध रूप से कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा था. जिसकी पुष्टि स्वास्थ्य विभाग ने भी की है.

अस्पताल पर स्वास्थ्य विभाग ने जुर्माना भी लगाया है. मृतक के परिजनों ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में जवाहर नगर थाना में परिवाद दिया लेकिन उनका मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. परिजनों की मांग है कि निजी अस्पताल संचालकों व चिकित्सकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।फिलहाल मृतक के परिजन ठोस कारवाई की मांग को लेकर गिरी हॉस्पीटल के बाहर धरने पर बेठे है।वहीं परिजनो ने इस पुरे मामले की शिकायत प्रभारी मंत्री बीड़ी कल्ला को कर न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।जिस पर प्रभारी मंत्री ने पुरे मामले की जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से लेकर कार्रवाई की बात कही है.

श्रीगंगानगर. कोरोना में एक तरफ जहां डॉक्टर संक्रमित मरीजों की जान बचाकर भगवान के रूम में सामने आए हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ निजी अस्पताल संचालकों के ऐसे कारनामे भी सामने आ रहे हैं इंसानियत को शर्मसार करने वाले हैं. अवैध रूप से कोरोना का इलाज करके मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे हैं. ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर सामने आया. जहां निजी अस्पताल संचालक ने कोरोना मरीज को भर्ती तो कर लिया लेकिन कोरोना का इलाज नहीं मिलने से मरीज की मौत हो गई.

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मामले में निजी अस्पताल संचालकों पर कार्रवाई नहीं होने से मृतक के परिजनों का आक्रोश बढ़ गया है. आक्रोशित परिजनों को शुक्रवार को हॉस्पिटल के बाहर चिलचिलाती धूप में धरना शुरू कर दिया. धरने पर मृतक निर्मल सिंह की पत्नी हरमीत कौर, बेटा जसवीर सिंह, हरमीत कौर और पड़ोसी हरीश अरोड़ा बैठे हैं. मृतक के बेटे जसवीर सिंह ने बताया कि उनके 52 साल के पिता निर्मल सिंह को इलाज के लिए 13 मई की सुबह सुखाड़िया मार्ग स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. जहां डॉक्टर ने उनके पिता की सीटी स्कैन करवाने की बात कही. जिसके बाद परिजनों ने 1700 रुपये खर्च कर सीटी स्कैन करवाया. रिपोर्ट चेक करने के बाद डॉक्टर ने बताया कि मरीज के फेफड़ों में इन्फेक्शन है.

कोरोना मृतक के परिवार ने लगाए निजी अस्पताल पर गंभीर आरोप

जसवीर सिंह ने बताया कि 20 मई को उनके पिता की हालत बिगड़ गई. जिसके बाद उन्हें सरकारी हॉस्पिटल में ले गए. 21 मई को करोना जांच करवाई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई. 27 मई को सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान उनके पिता की मौत हो गई. जसवीर सिंह ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि निजी अस्पताल में अवैध रूप से कोरोना इलाज किया जा रहा है. डॉक्टर ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि उसके पिता का सही तरीके से इलाज किया जाएगा. जबकि अस्पताल में अवैध रूप से कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा था. जिसकी पुष्टि स्वास्थ्य विभाग ने भी की है.

अस्पताल पर स्वास्थ्य विभाग ने जुर्माना भी लगाया है. मृतक के परिजनों ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में जवाहर नगर थाना में परिवाद दिया लेकिन उनका मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. परिजनों की मांग है कि निजी अस्पताल संचालकों व चिकित्सकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।फिलहाल मृतक के परिजन ठोस कारवाई की मांग को लेकर गिरी हॉस्पीटल के बाहर धरने पर बेठे है।वहीं परिजनो ने इस पुरे मामले की शिकायत प्रभारी मंत्री बीड़ी कल्ला को कर न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।जिस पर प्रभारी मंत्री ने पुरे मामले की जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से लेकर कार्रवाई की बात कही है.

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