श्रीगंगानगर. लॉकडाउन में आमलोगों को जरूरत की सामग्री पहुंचाई जा रही है. उसके बाद भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं लॉकडाउन में अब पशुपालक भी परेशान नजर आने लगे हैं.
पशुपालकों की परेशानी एक नहीं है, बल्कि कई है. पशुओं के लिए एक और जहां हरे और सूखे चारे की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. वहीं दुधारू पशुओं के लिए दाना भी बाजार में दुकानदार महंगे दामों पर बेच रहे हैं. पशुपालकों की इससे भी बड़ी समस्या यह आ रही है कि उनके दूध को अब ओने पौने दामों में खरीदा जा रहा है. जिससे पशुपालक बर्बादी के कगार पर आ गए हैं.
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लॉकडाउन में हरा और सूखा चारा नहीं मिलने से दुधारू पशुओं का दूध कम होता जा रहा है, वहीं बाजार में दाना नहीं आने से दुकानदार मनचाहे दामों में दाना बेच रहे है. श्रीगंगानगर शहर के आसपास बड़ी संख्या में गाय और भैंसों की डेरी चलती है.
लॉकडाउन के बाद बाजार बंद होने से ना केवल दुधारू पशुओं को रखने वाले यह पशुपालक दाना नहीं मिलने से परेशान हैं. वहीं दूध नहीं बिकने से अब इनके सामने आर्थिक तंगी भी आ गई है. डेयरी चलाने वाले भागू और बिट्टू बताते हैं कि उनके पास करीब 20 से अधिक गाय हैं. जिनका दूध लॉकडाउन से पहले बाजार में 30 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेच रहे थे. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन के बाद अब इनका दूध ओने पौने दामों में बेचना पड़ रहा है.
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जबकि बाजार में डेयरी और दुकानदार इसी दूध को पहले से अधिक दामों में आम उपभोक्ता को बेच रहे हैं. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान सबसे बड़ी मार पशुपालकों और डेयरी चलाने वाले लोगों पर पड़ रही है. जिला प्रशासन पशुपालकों के लिए चारे और दाने की माकूल व्यवस्था करवाएं तो इनको बर्बादी से बचाया जा सकता है.