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खास बातचीत: 5 साल पहले कॉलेज में पढ़ते हुई सीकर की जिला प्रमुख बनी थीं अपर्णा रोलन, कैसा रहा 5 साल का कार्यकाल?

राजस्थान में पंचायत चुनाव 2020 के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं. साथ ही प्रदेश में जिला प्रमुखों के लिए आरक्षण लॉटरी भी निकाल गई है. ऐसे में जिला प्रमुख की लॉटरी में 16 सीटें अनुसूचित जाति (SC) , जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित रखी गई हैं. जबकि करीब 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है. यानि प्रदेश के कुल 33 जिलों में से 16 जिलों में महिलाएं जिला प्रमुख बनेगी. ऐसे में ईटीवी भारत ने सीकर जिला प्रमुख अपर्णा रोलन से खास बातचीत की.

Sikar District head,  District head Aparna Rolan
सीकर की जिला प्रमुख अपर्णा रोलन
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Published : Dec 23, 2019, 5:35 PM IST

Updated : Dec 23, 2019, 7:24 PM IST

सीकर. प्रदेश में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. सरकार ने ग्राम पंचायत से लेकर जिला स्तर तक लॉटरी प्रक्रिया भी पूरी करवा दी है. ऐसे में मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है. सीकर जिले की बात करें तो 5 साल पहले यहां कॉलेज में पढ़ रही छात्रा को महज साढे 22 साल की उम्र में जिला प्रमुख की कुर्सी मिली थी. इसके बाद 5 साल तक उन्होंने इस पद पर कार्य किया ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने अपने 5 साल के अनुभव साझा किए.

सीकर की जिला प्रमुख अपर्णा रोलन से बातचीत

सीकर जिला प्रमुख अपर्णा रोलन बताती है कि उन्होंने कभी राजनीति में आने का सपना भी नहीं देखा था. सीकर की जिला प्रमुख की सीट भी महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं थी. पिछले चुनाव में जिला परिषद सदस्य के लिए 10वीं पास होना जरूरी था और शिक्षा की बाध्यता के चलते ही उनके परिवार से उन्हें जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ाया गया. सीकर के जिला प्रमुख की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, लेकिन अनुसूचित जाति से जिला प्रमुख के सभी प्रमुख दावेदार चुनाव हार चुके थे. सीकर भाजपा का बोर्ड तो बना लेकिन भाजपा से कोई भी पुरुष सदस्य चुनाव जीतकर नहीं आया इसलिए कॉलेज में पढ़ रही अपर्णा रोलन को जिला प्रमुख का पद मिल गया.

पढ़ें- ईवीएम से हो सकते हैं जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव, सीकर को अलॉट हुई 3 हजार मशीनें

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि जब यह पहली बार सदन में आई तो बहुत घबराई हुई थी और कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन उसके बाद उन्होंने 5 साल तक लगातार जिला प्रमुख का संचालन किया. इन 5 साल में उन पर कोई भी आरोप नहीं लगा. आपको बता दें कि अपर्णा रोलन को प्रदेश में सबसे युवा जिला प्रमुख होने का गौरव प्राप्त है. सीकर जिले को अपर्णा रोलन के रूप में लगातार तीसरी बार महिला जिला प्रमुख मिली हैं. अपर्णा जिला प्रमुख बनीं तब राजस्थान यूनिवसिर्टी में फाइन आर्ट की स्टूडेंट थीं.

जिला प्रमुखों की जिलेवार आरक्षण की स्थिति

महिलाओं के लिए आरक्षित जिले

  • करौली, चूरू और हनुमानगढ़ (एससी)
  • भीलवाड़ा और डूंगरपुर (एसटी)
  • राजसमंद, झुझुंनू और झालावाड़ (ओबीसी)
  • सीकर, जोधपुर, बारां, धौलपुर, जयपुर, पाली, टोंक और उदयपुर (अनारक्षित महिलाएं)

पढ़ें- 60 साल में डूंगरपुर में दूसरी बार महिला जिला प्रमुख बनने का मौका, कई महिला दावेदारों के नाम आए सामने

अन्य जिलों में आरक्षण की स्थिति

  • अजमेर, बाड़मेर, भरतपुर, बूंदी, चितौडगढ़, सवाईमाधोपुर, सिरोही, जैसलमेर और नागौर (अनारक्षित सीटें)
  • बांसवाड़ा, जालोर और प्रतापगढ़ (एसटी)
  • बीकानेर, श्रीगंगानगर और कोटा (एससी)
  • अलवर और दौसा (ओबीसी)

सीकर. प्रदेश में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. सरकार ने ग्राम पंचायत से लेकर जिला स्तर तक लॉटरी प्रक्रिया भी पूरी करवा दी है. ऐसे में मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है. सीकर जिले की बात करें तो 5 साल पहले यहां कॉलेज में पढ़ रही छात्रा को महज साढे 22 साल की उम्र में जिला प्रमुख की कुर्सी मिली थी. इसके बाद 5 साल तक उन्होंने इस पद पर कार्य किया ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने अपने 5 साल के अनुभव साझा किए.

सीकर की जिला प्रमुख अपर्णा रोलन से बातचीत

सीकर जिला प्रमुख अपर्णा रोलन बताती है कि उन्होंने कभी राजनीति में आने का सपना भी नहीं देखा था. सीकर की जिला प्रमुख की सीट भी महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं थी. पिछले चुनाव में जिला परिषद सदस्य के लिए 10वीं पास होना जरूरी था और शिक्षा की बाध्यता के चलते ही उनके परिवार से उन्हें जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ाया गया. सीकर के जिला प्रमुख की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, लेकिन अनुसूचित जाति से जिला प्रमुख के सभी प्रमुख दावेदार चुनाव हार चुके थे. सीकर भाजपा का बोर्ड तो बना लेकिन भाजपा से कोई भी पुरुष सदस्य चुनाव जीतकर नहीं आया इसलिए कॉलेज में पढ़ रही अपर्णा रोलन को जिला प्रमुख का पद मिल गया.

पढ़ें- ईवीएम से हो सकते हैं जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव, सीकर को अलॉट हुई 3 हजार मशीनें

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि जब यह पहली बार सदन में आई तो बहुत घबराई हुई थी और कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन उसके बाद उन्होंने 5 साल तक लगातार जिला प्रमुख का संचालन किया. इन 5 साल में उन पर कोई भी आरोप नहीं लगा. आपको बता दें कि अपर्णा रोलन को प्रदेश में सबसे युवा जिला प्रमुख होने का गौरव प्राप्त है. सीकर जिले को अपर्णा रोलन के रूप में लगातार तीसरी बार महिला जिला प्रमुख मिली हैं. अपर्णा जिला प्रमुख बनीं तब राजस्थान यूनिवसिर्टी में फाइन आर्ट की स्टूडेंट थीं.

जिला प्रमुखों की जिलेवार आरक्षण की स्थिति

महिलाओं के लिए आरक्षित जिले

  • करौली, चूरू और हनुमानगढ़ (एससी)
  • भीलवाड़ा और डूंगरपुर (एसटी)
  • राजसमंद, झुझुंनू और झालावाड़ (ओबीसी)
  • सीकर, जोधपुर, बारां, धौलपुर, जयपुर, पाली, टोंक और उदयपुर (अनारक्षित महिलाएं)

पढ़ें- 60 साल में डूंगरपुर में दूसरी बार महिला जिला प्रमुख बनने का मौका, कई महिला दावेदारों के नाम आए सामने

अन्य जिलों में आरक्षण की स्थिति

  • अजमेर, बाड़मेर, भरतपुर, बूंदी, चितौडगढ़, सवाईमाधोपुर, सिरोही, जैसलमेर और नागौर (अनारक्षित सीटें)
  • बांसवाड़ा, जालोर और प्रतापगढ़ (एसटी)
  • बीकानेर, श्रीगंगानगर और कोटा (एससी)
  • अलवर और दौसा (ओबीसी)
Intro:सीकर
प्रदेश में नए पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सरकार ने ग्राम पंचायत से लेकर जिला स्तर तक लॉटरी प्रक्रिया भी पूरी करवा दी है। ऐसे में मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है। सीकर जिले की बात करें तो 5 साल पहले यहां कॉलेज में पढ़ रही छात्रा को महज साढे 22 साल की उम्र में जिला प्रमुख की कुर्सी मिली थी। इसके बाद 5 साल तक उन्होंने इस पद पर कार्य किया ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने अपने 5 साल के अनुभव साझा किए।


Body:सीकर की जिला प्रमुख अपर्णा रोलन बताती है कि उन्होंने कभी राजनीति में आने का सपना भी नहीं देखा था। सीकर की जिला प्रमुख की सीट भी महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं थी। पिछले चुनाव में जिला परिषद सदस्य के लिए 10वीं पास होना जरूरी था और शिक्षा की बाध्यता के चलते ही उनके परिवार से उन्हें जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ाया गया। सीकर के जिला प्रमुख की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी लेकिन अनुसूचित जाति से जिला प्रमुख के सभी प्रमुख दावेदार चुनाव हार चुके थे। सीकर भाजपा का बोर्ड तो बना लेकिन भाजपा से कोई भी पुरुष सदस्य चुनाव जीतकर नहीं आया इसलिए कॉलेज में पढ़ रही अपर्णा रोलन को जिला प्रमुख का पद मिल गया। ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि जब यह पहली बार सदन में आई तो बहुत घबराई हुई थी और कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था लेकिन उसके बाद उन्होंने 5 साल तक लगातार जिला प्रमुख का संचालन किया। 5 साल में उन पर कोई भी आरोप नहीं लगा।


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Last Updated : Dec 23, 2019, 7:24 PM IST
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