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Special: यहां तो बिना छीले आंसू निकाल रहा 'प्याज'

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Published : Nov 30, 2019, 10:41 AM IST

प्रदेश के सबसे बड़े प्याज उत्पादकों में एक सीकर जिले का प्याज अपने आप में एक अलग पहचान भी रखता है. वह पहचान है मीठे प्याज के रूप में. लेकिन महंगाई ने रसोई का बजट ही बिगाड़ दिया है.

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सीकर में भी रूला रहा प्याज...

सीकर. प्याज की बढ़ते दाम इन दिनों सीकर में भी लोगों को रूला रहे हैं. हालात यह है कि प्रदेश के सबसे बड़े प्याज उत्पादकों में से एक सीकर जिले में प्याज सेब, संतरे और अन्य फलों से भी महंगा बिक रहा है.प्रदेश के सबसे बड़े प्याज उत्पादकों में एक जिला सीकर भी है. यहां का प्याज अपने आप में एक अलग पहचान भी रखता है. वह पहचान है मीठे प्याज के रूप में. लेकिन महंगाई ने रसोई का बजट ही बिगाड़ दिया है.

सीकर में भी रूला रही प्याज...

जानकारी के मुताबिक, सीकर जिले में मंडी में ही थोक के भाव में प्याज 40 से 60 रुपए किलो तक बिक रहा है. जबकि खुदरा में तो 80 रुपए तक के भाव चल रहे हैं. इतना महंगा होने की वजह से प्याज ने रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है. लोगों को मजबूरन महंगा प्याज खरीदना पड़ रहा है. दूसरी तरफ शादियों के सीजन में प्याज की खपत ज्यादा हो रही है, जबकि प्याज की आवक बहुत ही कम है. मंडी में प्याज भी फलों की तरह छोटी-छोटी थैलियों में बिकने लग गया है. कुछ महीने पहले तक सीकर में प्याज को कोई पूछने वाला नहीं था.

यह भी पढ़ें- स्पेशल: बाप रे बाप! यहां तो प्याज 'शतक' भी पार कर गया...

खुद का प्याज बेचना पड़ा कौड़ियों के भाव...

ईटीवी भारत ने प्याज व्यापारी रतन सैनी से बात की तो उन्होंने बताया कि आवक कम होने से भाव ज्यादा है. साथ ही शादियों का सीजन होने से खपत ज्यादा है. सीकर जिला प्याज का बड़ा उत्पादक है. प्याज के सीजन में यहां के किसानों और व्यापारियों ने यहां का प्याज कौड़ियों के भाव बेचा था. प्याज के सीजन में कभी यहां 2 से 5 रुपए किलो तक में भी बिकता था. अब यहीं के लोगों को महंगा प्याज खरीदना पड़ रहा है. जिले में हर साल करीब 15 हजार क्विंटल प्याज का उत्पादन होता है.

यह भी पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: प्याज खाने के शौकीन लोगों को अब होटल में देना होगा EXTRA CHARGE

स्टोरेज नहीं होने की वजह से परेशानी...

सीकर जिले में प्याज के भाव कम हो सकते हैं, लेकिन यहां पर कोल्ड स्टोरेज नहीं होने की वजह से लोगों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है. सीकर में होने वाला प्याज मीठा प्याज माना जाता है और वह ज्यादा समय तक नहीं टिकता है. इसलिए उत्पादन के तुरंत बाद यहां के प्याज को बेचना पड़ता है. यहां बनने वाला प्याज बाहर जाने के बाद यहीं के लोगों को महंगा खरीदना पड़ता है.

फरवरी तक रहेगी तेजी...

सीकर जिले में इस बार भी प्याज की अच्छी बुवाई हुई है. लेकिन फरवरी से पहले यहां का प्याज बाजार में नहीं आएगा. फरवरी में जब यहां का प्याज बाजार में आ जाएगा तो इसके दामों में कमी आएगी.

यह भी पढ़ें- हाय रे प्याज! कितना रुलाएगी...कितना सताएगी, गृहणियां कह रहीं- प्याज की खुशबू निकाल लेते हैं, सूंघ लेते हैं और डालना छोड़ देते हैं

वहीं प्याज के दाम को थामने में केंद्र सरकार लाचार नजर रही है, क्योंकि सरकार के पास एकमात्र उपाय है कि विदेशों से प्याज मंगाकर इसकी उपलब्धता बढ़ाई जाए, लेकिन कारोबारियों और कृषि विशेषज्ञों की मानें तो देश में प्याज की जितनी मांग है, उसकी पूर्ति आयात से करना मुश्किल है.

सीकर. प्याज की बढ़ते दाम इन दिनों सीकर में भी लोगों को रूला रहे हैं. हालात यह है कि प्रदेश के सबसे बड़े प्याज उत्पादकों में से एक सीकर जिले में प्याज सेब, संतरे और अन्य फलों से भी महंगा बिक रहा है.प्रदेश के सबसे बड़े प्याज उत्पादकों में एक जिला सीकर भी है. यहां का प्याज अपने आप में एक अलग पहचान भी रखता है. वह पहचान है मीठे प्याज के रूप में. लेकिन महंगाई ने रसोई का बजट ही बिगाड़ दिया है.

सीकर में भी रूला रही प्याज...

जानकारी के मुताबिक, सीकर जिले में मंडी में ही थोक के भाव में प्याज 40 से 60 रुपए किलो तक बिक रहा है. जबकि खुदरा में तो 80 रुपए तक के भाव चल रहे हैं. इतना महंगा होने की वजह से प्याज ने रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है. लोगों को मजबूरन महंगा प्याज खरीदना पड़ रहा है. दूसरी तरफ शादियों के सीजन में प्याज की खपत ज्यादा हो रही है, जबकि प्याज की आवक बहुत ही कम है. मंडी में प्याज भी फलों की तरह छोटी-छोटी थैलियों में बिकने लग गया है. कुछ महीने पहले तक सीकर में प्याज को कोई पूछने वाला नहीं था.

यह भी पढ़ें- स्पेशल: बाप रे बाप! यहां तो प्याज 'शतक' भी पार कर गया...

खुद का प्याज बेचना पड़ा कौड़ियों के भाव...

ईटीवी भारत ने प्याज व्यापारी रतन सैनी से बात की तो उन्होंने बताया कि आवक कम होने से भाव ज्यादा है. साथ ही शादियों का सीजन होने से खपत ज्यादा है. सीकर जिला प्याज का बड़ा उत्पादक है. प्याज के सीजन में यहां के किसानों और व्यापारियों ने यहां का प्याज कौड़ियों के भाव बेचा था. प्याज के सीजन में कभी यहां 2 से 5 रुपए किलो तक में भी बिकता था. अब यहीं के लोगों को महंगा प्याज खरीदना पड़ रहा है. जिले में हर साल करीब 15 हजार क्विंटल प्याज का उत्पादन होता है.

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स्टोरेज नहीं होने की वजह से परेशानी...

सीकर जिले में प्याज के भाव कम हो सकते हैं, लेकिन यहां पर कोल्ड स्टोरेज नहीं होने की वजह से लोगों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है. सीकर में होने वाला प्याज मीठा प्याज माना जाता है और वह ज्यादा समय तक नहीं टिकता है. इसलिए उत्पादन के तुरंत बाद यहां के प्याज को बेचना पड़ता है. यहां बनने वाला प्याज बाहर जाने के बाद यहीं के लोगों को महंगा खरीदना पड़ता है.

फरवरी तक रहेगी तेजी...

सीकर जिले में इस बार भी प्याज की अच्छी बुवाई हुई है. लेकिन फरवरी से पहले यहां का प्याज बाजार में नहीं आएगा. फरवरी में जब यहां का प्याज बाजार में आ जाएगा तो इसके दामों में कमी आएगी.

यह भी पढ़ें- हाय रे प्याज! कितना रुलाएगी...कितना सताएगी, गृहणियां कह रहीं- प्याज की खुशबू निकाल लेते हैं, सूंघ लेते हैं और डालना छोड़ देते हैं

वहीं प्याज के दाम को थामने में केंद्र सरकार लाचार नजर रही है, क्योंकि सरकार के पास एकमात्र उपाय है कि विदेशों से प्याज मंगाकर इसकी उपलब्धता बढ़ाई जाए, लेकिन कारोबारियों और कृषि विशेषज्ञों की मानें तो देश में प्याज की जितनी मांग है, उसकी पूर्ति आयात से करना मुश्किल है.

Intro:सीकर
सीकर जिला प्रदेश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक जिला माना जाता है। यहां का प्याज अपने आप में एक अलग पहचान भी रखता है और वह पहचान है मीठे प्याज के रूप में। लेकिन इन दिनों सीकर में भी प्याज लोगों को आंसू ला रहा है। हालात यह है कि प्रदेश की बड़े प्याज उत्पादक जिले में भी प्याज सेब संतरे और अन्य फलों से महंगा बिक रहा है।


Body:जानकारी के मुताबिक सीकर जिले में सीकर मंडी में ही थोक के भाव में प्याज 40 से ₹60 किलो तक बिक रहा है। जबकि खुदरा में तो ₹80 तक भाव चल रहे हैं। इतना महंगा होने की वजह से प्याज ने रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। लोगों को मजबूरन महंगा प्याज खरीदना पड़ रहा है दूसरी तरफ इस वक्त शादियों का सीजन भी चल रहा है इसलिए प्याज की खपत भी ज्यादा हो रही है। जबकि प्याज की आवक बहुत ही कम है। मंडी में प्याज भी फलों की तरह छोटी-छोटी थैलियों में बिकने लग गया है। सबकी कुछ महीने पहले तक सीकर में प्याज को कोई पूछने वाला नहीं था।

खुद का प्याज बेचा कौड़ियों के भाव
सीकर जिला प्याज का बड़ा उत्पादक है प्याज की सीजन में यहां के किसानों ने और व्यापारियों ने यहां का त्याग कौड़ियों के भाव बेचा था। प्याज की सीजन में यहां का प्यास है दो से ₹5 किलो तक में बिका अब यहीं के लोगों को महंगा प्याज खरीदना पड़ रहा है। सीकर जिले में हर साल करीब 15000 मित्तल प्याज का उत्पादन होता है।

स्टोरेज नहीं होने की वजह से परेशानी
सीकर जिले में प्याज के भाव कम रह सकते हैं लेकिन यहां पर कोल्ड स्टोरेज नहीं होने की वजह से लोगों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। सीकर में होने वाला प्याज मीठा प्याज माना जाता है और वह ज्यादा समय तक टिकता नहीं है इसलिए उत्पादन के तुरंत बाद यहां के प्याज को बेचना पड़ता है। ओर यहां का प्याज बाहर जाने के बाद यही के लोगों को महंगा प्याज खरीदना पड़ता है

फरवरी तक रहेगी तेजी
सीकर जिले में इस बार भी प्याज की अच्छी बुवाई हुई है लेकिन फरवरी से पहले यहां का प्याज बाजार में नहीं आएगा। फरवरी में जब यहां का प्याज बाजार में आ जाएगा तो इसके दामों में कमी आएगी।


Conclusion:बाईट
1 रतन सैनी, प्याज व्यापारी
2 मोहम्मद इस्माइल,खुदरा प्याज विक्रेता
3 सांवरमल मुवाल , होटल संचालक
पीटीसी
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