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स्पेशल: 51 दिन से बंद है बाबा खाटूश्याम के पट, कोरोड़ों रुपए का हो रहा नुकसान

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Published : May 9, 2020, 8:40 PM IST

सीकर के विश्व प्रसिध्द खाटूश्यामजी मंदिर में भी कोरोना वायरस का ग्रहण लगा हुआ है. यहां 51 दिन में कम से कम 6 से 7 लाख श्रद्धालु खाटू पहुंचते थे. लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार वे नहीं आ सके. इस दौरान दान पात्रों में करोड़ों रुपए का चढ़ावा भगवान को नहीं चढ़ा. इसके साथ ही मंदिर से जुड़े लोगों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

राजस्थान की ताजा खबरें, rajasthan news, sikar latest news, लॉकडाउन का मंदिरों पर प्रभाव, lockdown effetc on temples
लॉकडाउन की वजह से खाटूश्याम की बंद हुई इनकम

सीकर. कोरोना वायरस आज अपना कहर हर क्षेत्र पर बरपा रहा है. अब इससे देवस्थान भी अछूते नहीं रहे हैं. जिले के खाटू श्यामजी में स्थित बाबा श्याम मन्दिर के पट पिछले 51 दिन से बंद है. हर दिन हजारों श्याम भक्तों से अटी रहने वाली बाबा श्याम की खाटू नगरी अब भक्तों की बाट जोह रही है. खाटू में जब से बाबा श्याम का मंदिर लॉकडाउन की वजह से बंद हुआ है. तब से यह पूरा कस्बा वीरान नजर आता है.

लॉकडाउन की वजह से खाटूश्याम की बंद हुई इनकम

लक्खी मेले में जुटती है लाखों की भीड़.

6 मार्च तक खाटूश्यामजी में बाबा श्याम का वार्षिक लक्खी मेला चलता है. इस मेले में 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु खाटू पहुंचते थे. लेकिन इस बार मेला संपन्न होने की कुछ दिन बाद ही यानी कि 19 मार्च को ही मंदिर के पट कोरोना वायरस की वजह से बंद हो गए. हालांकि उस वक्त भी हजारों की संख्या में श्रध्दालु यहां आए थे. जो जैसे-तैसे करके किसी तरह अपने घर पहुंच गए. लेकिन उसके बाद मंदिर के पट उसके बाद आज तक नहीं खुले.

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51 दिनों से भक्तों के लिए बंद हैं खाटूश्यामजी के पट

यह भी पढ़ें- SPECIAL: समय पर नहीं लगे टीके तो बच्चों पर गहरा सकता है गंभीर बीमारियों का संकट

क्यों लगता है यहां भक्तों का तांता

बाबा श्याम के दरबार में हर दिन करीब 5 से 6 हजार श्रद्धालु आते हैं. इस तरह पिछले 50 दिन में करीब 3 लाख श्रद्धालु यहां पहुंचते. इसके अलावा हर महीने की एकादशी को यहां मासिक मेला लगता है. दो दिन के इस मेले में करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु आते हैं. मन्दिर के पट बन्द होने के बाद दो एकादशी चली गई. इस प्रकार अब तक 6 से 7 लाख श्रद्धालु यहां नहीं पहुंच पाए.

करोड़ों के चढ़ावे का हुआ नुकसान

हालांकि मन्दिर कमेटी के पदाधिकारी कभी भी मन्दिर में आने वाले चढ़ावे का खुलासा नहीं करते हैं. लेकिन यह तय है कि मंदिर में इतने दिन में करोड़ों का चढ़ावा मिलता, क्योंकि खाटू श्याम जी में ज्यादातर पूरे देश से सम्पन्न लोग आते हैं और मन्दिर में काफी पैसा चढ़ाते हैं.

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सिर्फ पुजारी ही मंदिर में करते हैं पूजा

दुकानदारों को भी करोड़ों का नुकसान

खाटू कस्बे में मंदिर के आस-पास ही प्रसाद की 140 दुकानें है. अनुमान के मुताबिक इन दुकानों पर एकादशी के दो दिवसीय मेले के दौरान ही करीब ढाई करोड़ रुपए का प्रसाद बिकता है. इस तरह दो मेले एकादशी के निकल गए और इतने दिन से दुकानें बंद है. जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान प्रसाद बेचने वालों को हुआ है.

होटल और धर्मशालाएं भी पूरी तरह से बंद

खाटूश्यामजी में 300 से ज्यादा होटल और धर्मशालाएं हैं. बाहर से काफी श्रद्धालु आने की वजह से इनका कारोबार भी जोरों पर रहता है. लेकिन पिछले 51 दिन से यह लगातार बंद है. इस दौरान इस कारोबार को भी करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है.

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देशभर में यह है मान्यता

मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की श्याम यानी कृष्ण के रूप में पूजा की जाती है. इस मंदिर के लिए कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में जाता है. उन्हें श्याम बाबा का हर दिन नया रूप देखने को मिलता है. कई लोगों को तो इस विग्रह में कई बदलाव भी नजर आते हैं. कभी मोटा तो कभी दुबला. कभी हंसता हुआ तो कभी ऐसा तेज भरा कि नजरें भी नहीं हट पाती.

ऐसे में साफ है कि मंदिर बंद रहने से न केवल दान-पेटियां सूनी पड़ी हैं, बल्कि मंदिर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ें फूल-माला वाले, प्रसाद वाले और होटल प्रबंधन वालों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

सीकर. कोरोना वायरस आज अपना कहर हर क्षेत्र पर बरपा रहा है. अब इससे देवस्थान भी अछूते नहीं रहे हैं. जिले के खाटू श्यामजी में स्थित बाबा श्याम मन्दिर के पट पिछले 51 दिन से बंद है. हर दिन हजारों श्याम भक्तों से अटी रहने वाली बाबा श्याम की खाटू नगरी अब भक्तों की बाट जोह रही है. खाटू में जब से बाबा श्याम का मंदिर लॉकडाउन की वजह से बंद हुआ है. तब से यह पूरा कस्बा वीरान नजर आता है.

लॉकडाउन की वजह से खाटूश्याम की बंद हुई इनकम

लक्खी मेले में जुटती है लाखों की भीड़.

6 मार्च तक खाटूश्यामजी में बाबा श्याम का वार्षिक लक्खी मेला चलता है. इस मेले में 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु खाटू पहुंचते थे. लेकिन इस बार मेला संपन्न होने की कुछ दिन बाद ही यानी कि 19 मार्च को ही मंदिर के पट कोरोना वायरस की वजह से बंद हो गए. हालांकि उस वक्त भी हजारों की संख्या में श्रध्दालु यहां आए थे. जो जैसे-तैसे करके किसी तरह अपने घर पहुंच गए. लेकिन उसके बाद मंदिर के पट उसके बाद आज तक नहीं खुले.

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51 दिनों से भक्तों के लिए बंद हैं खाटूश्यामजी के पट

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क्यों लगता है यहां भक्तों का तांता

बाबा श्याम के दरबार में हर दिन करीब 5 से 6 हजार श्रद्धालु आते हैं. इस तरह पिछले 50 दिन में करीब 3 लाख श्रद्धालु यहां पहुंचते. इसके अलावा हर महीने की एकादशी को यहां मासिक मेला लगता है. दो दिन के इस मेले में करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु आते हैं. मन्दिर के पट बन्द होने के बाद दो एकादशी चली गई. इस प्रकार अब तक 6 से 7 लाख श्रद्धालु यहां नहीं पहुंच पाए.

करोड़ों के चढ़ावे का हुआ नुकसान

हालांकि मन्दिर कमेटी के पदाधिकारी कभी भी मन्दिर में आने वाले चढ़ावे का खुलासा नहीं करते हैं. लेकिन यह तय है कि मंदिर में इतने दिन में करोड़ों का चढ़ावा मिलता, क्योंकि खाटू श्याम जी में ज्यादातर पूरे देश से सम्पन्न लोग आते हैं और मन्दिर में काफी पैसा चढ़ाते हैं.

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सिर्फ पुजारी ही मंदिर में करते हैं पूजा

दुकानदारों को भी करोड़ों का नुकसान

खाटू कस्बे में मंदिर के आस-पास ही प्रसाद की 140 दुकानें है. अनुमान के मुताबिक इन दुकानों पर एकादशी के दो दिवसीय मेले के दौरान ही करीब ढाई करोड़ रुपए का प्रसाद बिकता है. इस तरह दो मेले एकादशी के निकल गए और इतने दिन से दुकानें बंद है. जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान प्रसाद बेचने वालों को हुआ है.

होटल और धर्मशालाएं भी पूरी तरह से बंद

खाटूश्यामजी में 300 से ज्यादा होटल और धर्मशालाएं हैं. बाहर से काफी श्रद्धालु आने की वजह से इनका कारोबार भी जोरों पर रहता है. लेकिन पिछले 51 दिन से यह लगातार बंद है. इस दौरान इस कारोबार को भी करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है.

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देशभर में यह है मान्यता

मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की श्याम यानी कृष्ण के रूप में पूजा की जाती है. इस मंदिर के लिए कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में जाता है. उन्हें श्याम बाबा का हर दिन नया रूप देखने को मिलता है. कई लोगों को तो इस विग्रह में कई बदलाव भी नजर आते हैं. कभी मोटा तो कभी दुबला. कभी हंसता हुआ तो कभी ऐसा तेज भरा कि नजरें भी नहीं हट पाती.

ऐसे में साफ है कि मंदिर बंद रहने से न केवल दान-पेटियां सूनी पड़ी हैं, बल्कि मंदिर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ें फूल-माला वाले, प्रसाद वाले और होटल प्रबंधन वालों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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