सीकर. शहर की लेबोरेटरी में 4 मई को कोरोना वायरस की जांच शुरू हो गई थी. उस वक्त माना जा रहा था कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सीकर में यह एक महत्वपूर्ण कदम है और लगातार जांच होने से कोरोना पर काबू पाया जा सकेगा. लेकिन इसके बाद भी सीकर जिले में कोरोना वायरस की जांच जितनी होनी चाहिए थी, उतनी नहीं हो रही हैं.
सीकर जिले में कोरोना वायरस की जांच के लिए लैब में दो मशीनें लगाई गई है. 4 मई को जब जांच शुरू की गई, तब बताया गया था कि हर दिन 500 सैंपल की जांच यहां पर की जाएगी. इससे जल्द से जल्द कोरोना के मरीजों की पहचान होगी और जिले में संक्रमण को रोका जा सकेगा. लेकिन पिछले 11 दिन में यहां से एक हजार से भी कम सैंपल की जांच रिपोर्ट मिली हैं. जबकि इतने दिन में 5000 से ज्यादा की जांच होनी चाहिए थी.
पढ़ें- राजनीतिक लॉकडाउन की समाप्ति के संकेत, राज्यसभा चुनाव की तारीख का जल्द हो सकता है ऐलान
इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि मापदंडों के आधार पर जांच की जा रही है, लेकिन उस वक्त दावा किया गया था कि हर दिन 500 की रिपोर्ट मिलेगी. जिला कलेक्टर का कहना है कि सैंपल में कहीं कोताही नहीं बरती जा रही है, लेकिन हकीकत यह है कि जितनी क्षमता है, उतनी रिपोर्ट नहीं मिल रही हैं.
पढ़ें- राजनीतिक लॉकडाउन की समाप्ति के संकेत, राज्यसभा चुनाव की तारीख का जल्द हो सकता है ऐलान
1566 से 2513 तक पहुंची जांच
जिस दिन सीकर में कोरोना वायरस की जांच शुरू की गई, उससे पहले दिन तक 1 हजार 566 सैंपल की रिपोर्ट आ चुकी थी और ऐसे में अब तक जिले में 2 हजार 513 सैंपल की रिपोर्ट आई है. यानी कि 11 दिन में एक हजार की जांच भी नहीं हुई.