ETV Bharat / city

स्पेशलः इस बार कैर सांगरी के स्वाद से महरूम रह सकते हैं राजस्थान के लोग

author img

By

Published : Jan 23, 2020, 1:41 PM IST

Updated : Jan 23, 2020, 2:15 PM IST

काफी दिनों तक तापमान माइनस में रहने और पाला पड़ने की वजह से कैर की काफी फसल बर्बाद हो गई है. अब अगर बसंत ऋतु में ये फिर से हरे भी होते हैं, तो भी इन पर फल लगना संभव नहीं होगा.

शेखावाटी न्यूज, कैर सांगरी, राजस्थान न्यूज
कैर की काफी फसल बर्बाद

सीकर. शुद्धता और स्वाद के लिए जानी जाने वाली शेखावाटी की प्रसिद्ध कैर सांगरी की सब्जी का जायका इस बार बिगड़ सकता है. खास तौर पर गर्मी के सीजन में बनाई जाने वाली अकेले कैर की सब्जी इस बार या तो थाली से गायब हो सकती है या फिर प्याज की तरह उसके भाव आसमान में जा सकते हैं.

स्वाद के कायल हैं लोग....

शेखावाटी और फतेहपुर बीड़ का कैर देशभर में प्रसिद्ध है. यहां का कैर अपने आप में एक अलग पहचान लिए हुए है. काफी बड़ा जंगल होने की वजह से यहां कैर के पेड़ भी हजारों की संख्या में हैं.

यह भी पढ़ेंः कांस्टेबल भर्ती: आवेदनकर्ताओं के लिए बड़ी खुशखबरी, 438 पदों की हुई वृद्धि

यहां का कैर इसलिए भी ज्यादा अच्छा माना जाता है क्योंकि, यह तापमान ज्यादा रहने की वजह से ज्यादा तपता है. इसी वजह से गर्मी की शुरुआत में ही इसकी मांग बढ़ जाती है. लेकिन, इस बार तेज सर्दी के कारण इसका उत्पादन काफी कम रहेगा.

कैर की काफी फसल बर्बाद

काफी दिनों तक तापमान माइनस में रहने और पाला पड़ने की वजह से कैर की काफी फसल बर्बाद हो गई है. अब अगर बसंत ऋतु में ये फिर से हरे भी होते हैं, तो भी इन पर फूल लगना संभव नहीं होगा. क्योंकि, हमेशा इनकी पुरानी टहनियों पर ही फूल आते हैं और उसके बाद सब्जी लगती है.

यह भी पढ़ेः पंचायत चुनाव 2020: दूसरे चरण में मतदाताओं ने दिखाया उत्साह, 82.78 प्रतिशत हुआ मतदान

सालों बाद देखने को मिली ऐसी स्थिति...

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो कई सालों बाद यह हालात बने हैं कि कैर और खेजड़ी के पेड़ जल गए हैं. सामान्य सर्दी में ये पेड़ नहीं जलते हैं लेकिन, इस बार अत्यधिक ठंड और पाले की वजह से इन्हें नुकसान पहुंचा है.

सीकर. शुद्धता और स्वाद के लिए जानी जाने वाली शेखावाटी की प्रसिद्ध कैर सांगरी की सब्जी का जायका इस बार बिगड़ सकता है. खास तौर पर गर्मी के सीजन में बनाई जाने वाली अकेले कैर की सब्जी इस बार या तो थाली से गायब हो सकती है या फिर प्याज की तरह उसके भाव आसमान में जा सकते हैं.

स्वाद के कायल हैं लोग....

शेखावाटी और फतेहपुर बीड़ का कैर देशभर में प्रसिद्ध है. यहां का कैर अपने आप में एक अलग पहचान लिए हुए है. काफी बड़ा जंगल होने की वजह से यहां कैर के पेड़ भी हजारों की संख्या में हैं.

यह भी पढ़ेंः कांस्टेबल भर्ती: आवेदनकर्ताओं के लिए बड़ी खुशखबरी, 438 पदों की हुई वृद्धि

यहां का कैर इसलिए भी ज्यादा अच्छा माना जाता है क्योंकि, यह तापमान ज्यादा रहने की वजह से ज्यादा तपता है. इसी वजह से गर्मी की शुरुआत में ही इसकी मांग बढ़ जाती है. लेकिन, इस बार तेज सर्दी के कारण इसका उत्पादन काफी कम रहेगा.

कैर की काफी फसल बर्बाद

काफी दिनों तक तापमान माइनस में रहने और पाला पड़ने की वजह से कैर की काफी फसल बर्बाद हो गई है. अब अगर बसंत ऋतु में ये फिर से हरे भी होते हैं, तो भी इन पर फूल लगना संभव नहीं होगा. क्योंकि, हमेशा इनकी पुरानी टहनियों पर ही फूल आते हैं और उसके बाद सब्जी लगती है.

यह भी पढ़ेः पंचायत चुनाव 2020: दूसरे चरण में मतदाताओं ने दिखाया उत्साह, 82.78 प्रतिशत हुआ मतदान

सालों बाद देखने को मिली ऐसी स्थिति...

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो कई सालों बाद यह हालात बने हैं कि कैर और खेजड़ी के पेड़ जल गए हैं. सामान्य सर्दी में ये पेड़ नहीं जलते हैं लेकिन, इस बार अत्यधिक ठंड और पाले की वजह से इन्हें नुकसान पहुंचा है.

Intro:सीकर 

शुद्धता और स्वाद के लिए जानी जाने वाली शेखावाटी की प्रसिद्ध कैर सांगरी की सब्जी का जायका इस बार बिगड़ सकता है। खास तौर पर गर्मी के सीजन में बनाई जाने वाली अकेले कैर की सब्जी इस बार या तो थाली से गायब हो सकती है या फिर प्याज की तरह उसके भाव आसमान में जा सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह इस बार कड़ाके की ठंड और पाले को माना जा रहा है। बरसों बाद ऐसा हुआ है कि कैर और खेजड़ी के पेड़ भी पाले की चपेट में आ गए हैं। 





Body:जानकारी के मुताबिक शेखावाटी फतेहपुर बीड़ का कैर देशभर में प्रसिद्ध है। यहां का कैर अपने आप में अलग पहचान लिए हुए है और काफी बड़ा जंगल होने की वजह से यहां कैर के पेड़ भी हजारों की तादाद में है। यहां का कैर इसलिए भी ज्यादा अच्छा माना जाता है कि तापमान ज्यादा रहने की वजह से ज्यादा तपता है। इसी वजह से गर्मी की शुरुआत में ही इसकी मांग बढ़ जाती है। लेकिन इस बार सर्दी की वजह से इसक उत्पादन काफी कम रहेगा। तापमान माइनस में जाने और पाला पडऩे की वजह से कैर के ज्यादात्तर पेड़ जल गए हैं। अब अगर बसंत ऋतु में ये फिर से हरे भी होते हैं तो भी इन पर फल लगना संभव नहीं होगा क्योंकि हमेशा इनकी पुरानी टहनियों पर ही फूल आते हैं और उसके बाद फल लगते हैं। कृषि विशेषज्ञों की माने तो कई बरसों बाद यह हालात बने हैं कि कैर और खेजड़ी के पेड़ जल गए हैं। ज्यादा सर्दी में भी ये पेड़ नहीं जलते हैं लेकिन इस बार पाले की वजह से जल गए। 


घुमंतू जातियों का छिनेगा रोजगार 

कैर का उत्पादन कम होने से आसपास रहने वाली घुमंतू जातियों के लोगों का रोजगार भी छिनेगा। काफी संख्या में लोग इसे बेचने का काम करते हैं इस बार उत्पादन कम होने की वजह से इनके काम पर भी असर पड़ेगा। 








Conclusion:बाइट 

लालाराम कृषि वैज्ञानिक 

बीएल आसीवाल कृषि वैज्ञानिक 
Last Updated : Jan 23, 2020, 2:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.