सीकर. लोकसभा सीट सीकर पर हमेशा से ही बाहरी सांसदों का दबदबा रहा है. 1952 के आम चुनाव में अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक ज्यादातर बाहरी निवासी ही सांसद बने हैं. यहां तक कि मौजूदा सांसद सुमेधानंद सरस्वती भी मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं. भाजपा ने एक बार फिर से उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है.
जानकारी के मुताबिक सीकर लोकसभा सीट पर अब तक हुए 16 चुनाव में 12 व्यक्ति सांसद चुने गए हैं. इनमें सुभाष महरिया तीन बार, बलराम जाखड़ दो बार और रामेश्वर टांटिया दो बार सांसद रहे. इसके अलावा कोई भी सांसद दो बार नहीं जीत पाया है. 12 सांसदों में से 7 सांसद ऐसे थे, जो सीकर जिले के या सीकर संसदीय क्षेत्र के रहने वाले नहीं थे.
अब तक यह बाहरी बने सीकर सांसद
साल 1952 के आम चुनाव में बनारस के नंदलाल शर्मा सीकर से सांसद बने. इसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में सरदार शहर के रामेश्वर टांटिया यहां से सांसद चुने गए. 1980 में हनुमानगढ़ के कुंभाराम आर्य सीकर से सांसद चुने गए. 1984 और 1991 में पंजाब के फिरोजपुर के बलराम जाखड़ सीकर से सांसद बने. 1989 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल सांसद चुने गए. तो 1996 में झुंझुनूं के डॉ. हरिसिंह सीकर से सांसद बने. 2014 के चुनाव में हरियाणा के रहने वाले सुमेधानंद सरस्वती को सीकर से सांसद बनने का मौका मिला.
अब तक केवल यही स्थानीय बने सांसद
1967 में गोपाल साबू, 1971 में श्रीकृष्णन् मोदी और 1977 में जगदीश प्रसाद सीकर से सांसद चुने गए, जो सीकर जिले के ही रहने वाले थे. 1977 के चुनाव के बाद लगातार बाहरी निवासी ही सीकर सांसद बनते गए. इसके बाद साल 1996 में सुभाष महरिया सीकर से सांसद चुने गए, जो सीकर जिले के कूदन गांव के निवासी हैं. 1998 और 2004 के चुनाव में भी मेहरिया ही सीकर से सांसद बने. 2009 के चुनाव में महादेव सिंह खंडेला सीकर के सांसद बने. इस बार के चुनाव में बीजेपी के सुमेधानंद सरस्वती और कांग्रेस सुभाष महरिया के बीच मुकाबला है.