सीकर. एक साल पहले दिल्ली में एनआरसी और सीएए के खिलाफ हुए आंदोलन के बाद भड़की हिंसा में सीकर के हेड कांस्टेबल रतन लाल बारी की मौत हो गई थी. उनके परिजनों को 1 साल बीत जाने के बाद भी वह सब कुछ नहीं मिल पाया, जिसकी घोषणा उस वक्त सांसद और केंद्र सरकार ने की थी.
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1 साल के बाद रविवार को रतनलाल की प्रतिमा का अनावरण भी हो गया और फिर से वही सभी नेता गांव भी पहुंचे, लेकिन परिवार को मुआवजा देने की बात किसी ने नहीं कही. उस वक्त केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों ने एक-एक करोड़ रुपए के मुआवजे का एलान किया था. साथ ही यह भी घोषणा की गई थी कि शहीद का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन आज तक कानूनी रूप से वह भी नहीं मिला.
जानकारी के मुताबिक सीकर जिले के तिहावली गांव के रहने वाले रतन लाल दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल थे. पिछले साल जब दिल्ली में हिंसा भड़की तो गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी. उसके बाद जब उनका शव उनके पैतृक गांव लाया जा रहा था तो बीच रास्ते में ग्रामीणों ने हाईवे को जाम कर दिया था. हाईवे जाम होने के बाद सीकर सांसद भी मौके पर पहुंचे थे और केंद्र सरकार की तरफ से यह संदेश दिया गया था कि रतनलाल को शहीद का दर्जा दिया जाएगा.
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केंद्र सरकार की ओर से यह भी घोषणा की गई थी कि रतन लाल के परिवार को एक करोड़ का मुआवजा मिलेगा. उस वक्त दिल्ली सरकार ने भी यह घोषणा की थी एक करोड़ का पैकेज रतन लाल के परिवार को दिया जाएगा. दिल्ली सरकार ने तो अपने वादे के मुताबिक परिवार राहत पैकेज दे दिया, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक कुछ भी नहीं दिया. यहां तक कि शहीद का दर्जा भी कानूनी रूप से नहीं दिया. परिजनों का कहना है कि वे केंद्रीय गृह मंत्रालय से लेकर स्थानीय सांसद और नेताओं को कई बार पत्र लिख चुके हैं, लेकिन आज तक उन्हें उनके पत्र का जवाब भी नहीं मिला.
परिजन लगा रहे चक्कर, सांसद बोले- मामला मेरी जानकारी में नहीं
इस मामले में परिजनों का कहना है कि वह कई बार केंद्र सरकार को पत्र लिख चुके हैं. प्रदेश के केंद्रीय मंत्रियों को भी कई बार अवगत करवा चुके हैं, लेकिन उन्हें आज तक किसी पत्र का जवाब नहीं मिला. वहीं, मामले को लेकर स्थानीय सांसद नरेंद्र खीचड़ का कहना है कि सभी शहीद परिवारों को केंद्र सरकार समय पर सहायता देती है. इस परिवार को अभी तक सहायता नहीं मिली है, यह उनकी जानकारी में नहीं है.
अपने स्तर पर किया है स्मारक का निर्माण
परिजनों का कहना है कि दिल्ली सरकार से जो सहायता मिली थी, उससे रतन लाल की मां और परिवार के लोगों ने मिलकर स्मारक का निर्माण करवाया है. प्रतिमा का खर्चा पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजोर ने दिया है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने कोई सहायता नहीं दी.