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सैन समाज का दर्द, कहा- खाने के लाले पड़ गए, हमारी भी दुकान खुलवा दो साहब

प्रदेश में लॉकडाउन लागू हुए 55 दिन से अधिक हो चुके हैं. ऐसे में सरकार अब धीरे-धीरे कारोबारियों को कारोबार शुरू करने की अनुमति भी दे रही है और कुछ काम धंधे शुरू भी हुए हैं. लेकिन लॉकडाउन में सबसे ज्यादा संकट अगर किसी समाज के सामने पैदा हुआ है तो वह समाज है नाई यानि सैन समाज. बाकी लोगों के काम धंधे किसी न किसी तरीके से चल रहे हैं, लेकिन यह एक मात्र ऐसा समाज है, जिसका काम कहीं भी नहीं चल रहा है. न तो कहीं भी इनकी दुकानें खुली हैं और न ही इनको काम के लिए कोई घर बुला रहा है, क्योंकि सभी को संक्रमण का खतरा है.

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सैन समाज के सामने रोजी-रोटी का संकट
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Published : May 16, 2020, 7:23 PM IST

सीकर. शहर में बड़े-बड़े सैलून, जेंट्स पार्लर और छोटी से छोटी नाई की दुकान चलाने वाले सैन समाज के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट पैदा हो गया है. इस समाज के ज्यादातर लोग अपने पुश्तैनी काम से जुड़े हुए हैं और इनके पास रोजगार का कोई दूसरा साधन भी नहीं है.

सैन समाज के सामने रोजी-रोटी का संकट

बता दें कि प्रदेश में जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से इनका कारोबार पूरी तरह से बंद है. इस वजह से समाज के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. क्योंकि न तो इनकी दुकानें खुल रही हैं और न ही इनको कोई घर बुला रहा है.

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सैलून, जेंट्स पार्लर और नाई की दुकान बंद

करीब 5 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

अगर नाई समाज की बात की जाए तो अकेले सीकर शहर में ही पांच से सात करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. सीकर में छोटी मोटी दुकानें और सैलून सभी मिलाकर करीब 230 दुकानें हैं. इनमें हर दुकान में 3 से लेकर 7 लोग काम करते हैं. अगर एक दुकान की हर दिन की औसत बिक्री 4 हजार भी मानी जाए तो भी 5 करोड़ से ज्यादा का नुकसान झेल चुके हैं, क्योंकि 56 दिन से इनकी दुकानें बंद हैं. सरकार ने हर कारोबार की तरफ ध्यान दिया, लेकिन इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है. बाकी के काम धंधे जो बंद हैं, वह भी चोरी-छिपे सामान बेच रहे हैं. लेकिन नाई की दुकान पूरी तरह से बंद है.

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5 करोड़ से अधिक का नुकसान

फूटा दर्द, कहा- साहब सभी नियमों का पालन करेंगे, लेकिन अनुमति तो दो

काम धंधे बंद होने की बात पर सैन समाज के लोगों का कहना है कि जब सभी को किसी ने किसी तरह से अनुमति दी जा रही है तो हमें क्यों नहीं. हम भी सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए काम करने के लिए तैयार है. मास्क लगाकर और हमारे औजारों को सेनेटाइज कर काम में लेंगे, लेकिन सरकार हमें अनुमति तो दे सही. मिठाई की दुकानें खुल गईं, शराब की दुकानें खुल गईं और भी बाजार में कई तरह की दुकानें खुल गईं तो हमारी क्यों नहीं.

सीकर. शहर में बड़े-बड़े सैलून, जेंट्स पार्लर और छोटी से छोटी नाई की दुकान चलाने वाले सैन समाज के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट पैदा हो गया है. इस समाज के ज्यादातर लोग अपने पुश्तैनी काम से जुड़े हुए हैं और इनके पास रोजगार का कोई दूसरा साधन भी नहीं है.

सैन समाज के सामने रोजी-रोटी का संकट

बता दें कि प्रदेश में जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से इनका कारोबार पूरी तरह से बंद है. इस वजह से समाज के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. क्योंकि न तो इनकी दुकानें खुल रही हैं और न ही इनको कोई घर बुला रहा है.

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सैलून, जेंट्स पार्लर और नाई की दुकान बंद

करीब 5 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

अगर नाई समाज की बात की जाए तो अकेले सीकर शहर में ही पांच से सात करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. सीकर में छोटी मोटी दुकानें और सैलून सभी मिलाकर करीब 230 दुकानें हैं. इनमें हर दुकान में 3 से लेकर 7 लोग काम करते हैं. अगर एक दुकान की हर दिन की औसत बिक्री 4 हजार भी मानी जाए तो भी 5 करोड़ से ज्यादा का नुकसान झेल चुके हैं, क्योंकि 56 दिन से इनकी दुकानें बंद हैं. सरकार ने हर कारोबार की तरफ ध्यान दिया, लेकिन इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है. बाकी के काम धंधे जो बंद हैं, वह भी चोरी-छिपे सामान बेच रहे हैं. लेकिन नाई की दुकान पूरी तरह से बंद है.

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5 करोड़ से अधिक का नुकसान

फूटा दर्द, कहा- साहब सभी नियमों का पालन करेंगे, लेकिन अनुमति तो दो

काम धंधे बंद होने की बात पर सैन समाज के लोगों का कहना है कि जब सभी को किसी ने किसी तरह से अनुमति दी जा रही है तो हमें क्यों नहीं. हम भी सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए काम करने के लिए तैयार है. मास्क लगाकर और हमारे औजारों को सेनेटाइज कर काम में लेंगे, लेकिन सरकार हमें अनुमति तो दे सही. मिठाई की दुकानें खुल गईं, शराब की दुकानें खुल गईं और भी बाजार में कई तरह की दुकानें खुल गईं तो हमारी क्यों नहीं.

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