सीकर. शहर में बड़े-बड़े सैलून, जेंट्स पार्लर और छोटी से छोटी नाई की दुकान चलाने वाले सैन समाज के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट पैदा हो गया है. इस समाज के ज्यादातर लोग अपने पुश्तैनी काम से जुड़े हुए हैं और इनके पास रोजगार का कोई दूसरा साधन भी नहीं है.
बता दें कि प्रदेश में जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से इनका कारोबार पूरी तरह से बंद है. इस वजह से समाज के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. क्योंकि न तो इनकी दुकानें खुल रही हैं और न ही इनको कोई घर बुला रहा है.
करीब 5 करोड़ से ज्यादा का नुकसान
अगर नाई समाज की बात की जाए तो अकेले सीकर शहर में ही पांच से सात करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. सीकर में छोटी मोटी दुकानें और सैलून सभी मिलाकर करीब 230 दुकानें हैं. इनमें हर दुकान में 3 से लेकर 7 लोग काम करते हैं. अगर एक दुकान की हर दिन की औसत बिक्री 4 हजार भी मानी जाए तो भी 5 करोड़ से ज्यादा का नुकसान झेल चुके हैं, क्योंकि 56 दिन से इनकी दुकानें बंद हैं. सरकार ने हर कारोबार की तरफ ध्यान दिया, लेकिन इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है. बाकी के काम धंधे जो बंद हैं, वह भी चोरी-छिपे सामान बेच रहे हैं. लेकिन नाई की दुकान पूरी तरह से बंद है.
फूटा दर्द, कहा- साहब सभी नियमों का पालन करेंगे, लेकिन अनुमति तो दो
काम धंधे बंद होने की बात पर सैन समाज के लोगों का कहना है कि जब सभी को किसी ने किसी तरह से अनुमति दी जा रही है तो हमें क्यों नहीं. हम भी सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए काम करने के लिए तैयार है. मास्क लगाकर और हमारे औजारों को सेनेटाइज कर काम में लेंगे, लेकिन सरकार हमें अनुमति तो दे सही. मिठाई की दुकानें खुल गईं, शराब की दुकानें खुल गईं और भी बाजार में कई तरह की दुकानें खुल गईं तो हमारी क्यों नहीं.