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मजबूत उम्मीदवारों की कमी बनी सुमेधानंद के टिकट का आधार...अब सीट बचाने की चुनौती

लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपनी पहली सूची में ही सुमेधानंद सरस्वती को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. हालांकि सुमेधानंद सरस्वती पार्टी के लिहाज से ज्यादा मजबूत उम्मीदवार नहीं थे लेकिन जो टिकट मांग रहे थे, उनमें से सबसे ज्यादा मजबूत सुमेधानंद को ही माना जा रहा था.

सुमेधानंद सरस्वती उम्मीदवार घोषित
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Published : Mar 22, 2019, 4:11 PM IST

सीकर.सुमेधानंद सरस्वती को देने में टिकट में सबसे बडी़ भूमिका संघ की है. हालांकि सीकर से 15 लोग टिकट मांग रहे थे लेकिन उनमें से भी पार्टी को कोई ऐसा दावेदार नजर नहीं आया जो सीट जीत सके. इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि सीकर जिले में विधानसभा चुनाव में भाजपा का एक भी विधायक नहीं जीता था. हालांकि सीकर लोकसभा में जयपुर की चोमूं विधानसभा सीट आती है और वहां से भाजपा के विधायक भी हैं.

सुमेधानंद सरस्वती को टिकट


आचार संहिता के बाद भाजपा में सीकर संसदीय क्षेत्र को लेकर 3 बैठकों में रायशुमारी हुई. पार्टी से पूर्व जिला अध्यक्ष हरिराम रणवा, पूर्व विधायक झाबर सिंह खर्रा और पूर्व विधायक रतन जलधारी सहित 15 दावेदारों ने टिकट की मांग की थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में लचर प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी भी यह मान रही थी कि सीकर सीट निकालना काफी मुश्किल होगा. आखिर में संघ का दावा मजबूत हुआ और सुमेधानंद को टिकट दिया गया.


पार्टी में निर्विरोध चुने गए सरस्वती...
हालांकि पार्टी में 15 और दावेदार थे वे सभी अपने लिए टिकट तो मांग रहे थे, लेकिन सुमेधानंद के विरोध में कोई नहीं था. यही वजह रही कि पार्टी ने एक बार फिर से यहां से मौजूदा सांसद पर ही भरोसा जताया.

छवि बेदाग, लेकिन कोई बड़ी उपलब्धि खाते में नहीं...
सुमेधानंद सरस्वती के लिए इस बार का चुनाव बड़ी चुनौती होगा क्योंकि पिछले 5 साल में सीकर के लिए उनकी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है. जिले के मेडिकल कॉलेज और ब्रॉड गेज शुरू करने को सांसद अपनी उपलब्धि बता रहे हैं लेकिन मेडिकल कॉलेज आज तक शुरू नहीं हुआ है और ब्रॉड गेज का काम पहले से चल रहा था.

सीकर.सुमेधानंद सरस्वती को देने में टिकट में सबसे बडी़ भूमिका संघ की है. हालांकि सीकर से 15 लोग टिकट मांग रहे थे लेकिन उनमें से भी पार्टी को कोई ऐसा दावेदार नजर नहीं आया जो सीट जीत सके. इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि सीकर जिले में विधानसभा चुनाव में भाजपा का एक भी विधायक नहीं जीता था. हालांकि सीकर लोकसभा में जयपुर की चोमूं विधानसभा सीट आती है और वहां से भाजपा के विधायक भी हैं.

सुमेधानंद सरस्वती को टिकट


आचार संहिता के बाद भाजपा में सीकर संसदीय क्षेत्र को लेकर 3 बैठकों में रायशुमारी हुई. पार्टी से पूर्व जिला अध्यक्ष हरिराम रणवा, पूर्व विधायक झाबर सिंह खर्रा और पूर्व विधायक रतन जलधारी सहित 15 दावेदारों ने टिकट की मांग की थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में लचर प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी भी यह मान रही थी कि सीकर सीट निकालना काफी मुश्किल होगा. आखिर में संघ का दावा मजबूत हुआ और सुमेधानंद को टिकट दिया गया.


पार्टी में निर्विरोध चुने गए सरस्वती...
हालांकि पार्टी में 15 और दावेदार थे वे सभी अपने लिए टिकट तो मांग रहे थे, लेकिन सुमेधानंद के विरोध में कोई नहीं था. यही वजह रही कि पार्टी ने एक बार फिर से यहां से मौजूदा सांसद पर ही भरोसा जताया.

छवि बेदाग, लेकिन कोई बड़ी उपलब्धि खाते में नहीं...
सुमेधानंद सरस्वती के लिए इस बार का चुनाव बड़ी चुनौती होगा क्योंकि पिछले 5 साल में सीकर के लिए उनकी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है. जिले के मेडिकल कॉलेज और ब्रॉड गेज शुरू करने को सांसद अपनी उपलब्धि बता रहे हैं लेकिन मेडिकल कॉलेज आज तक शुरू नहीं हुआ है और ब्रॉड गेज का काम पहले से चल रहा था.

Intro:सीकर लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपनी पहली सूची में ही उम्मीदवार घोषित कर दिया है यहां से मौजूदा सांसद सुमेधानंद सरस्वती को टिकट दिया गया है। हालांकि सुमेधानंद सरस्वती पार्टी के लिहाज से ज्यादा मजबूत उम्मीदवार नहीं थे लेकिन जो टिकट मांग रहे थे उनमें से सबसे ज्यादा मजबूत सुमेधानंद को ही माना जा रहा था। उनकी टिकट में सबसे ज्यादा भूमिका संघ की रही है। हालांकि सीकर से 15 लोग टिकट मांग रहे थे लेकिन उनमें से भी पार्टी को कोई ऐसा दावेदार नजर नहीं आया जो सीट निकाल सके। इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि सीकर जिले में विधानसभा चुनाव में भाजपा का एक भी विधायक नहीं जीता था। हालांकि सीकर लोकसभा में जयपुर की चोमू विधानसभा सीट आती है और वहां से भाजपा के विधायक भी हैं।


Body:आचार संहिता के बाद भाजपा में सीकर संसदीय क्षेत्र को लेकर 3 बैठकों में रायशुमारी हुई। पार्टी से पूर्व जिला अध्यक्ष हरिराम रणवा, पूर्व विधायक झाबर सिंह खर्रा और पूर्व विधायक रतन जलधारी सहित 15 दावेदारों ने टिकट की मांग की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में लचर प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी भी यह मान रही थी कि सीकर सीट निकालना काफी मुश्किल होगा। आखिर में संघ का दावा मजबूत हुआ और सुमेधानंद को टिकट दिया गया।

कोई नहीं कर रहा था विरोध
हालांकि पार्टी में 15 लोग दावेदार थे वे सभी अपने लिए टिकट तो मांग रहे थे। लेकिन सुमेधानंद का विरोध भी कोई नहीं कर रहा था। यही वजह रही कि पार्टी नहीं एक बार फिर से यहां से मौजूदा सांसद पर ही भरोसा जताया।

छवि पर कोई दाग नहीं लेकिन कोई बड़ी उपलब्धि भी नहीं
सुमेधानंद सरस्वती के लिए इस बार का चुनाव बड़ी चुनौती होगा क्योंकि पिछले 5 साल में सीकर के लिए उनकी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। जिले के मेडिकल कॉलेज और ब्रॉड गेज शुरू करने को सांसद अपनी उपलब्धि बता रहे हैं लेकिन मेडिकल कॉलेज आज तक शुरू नहीं हुआ है और ब्रॉड गेज पहले से काम चल रहा था।



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