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Special : राजस्थान के इस पंचायत समिति में 25 साल से हो रहा भाजपा-कांग्रेस का गठबंधन...कहानी दिलचस्प है

सीकर जिले की धोद पंचायत समिति और धोद विधानसभा क्षेत्र में 25 साल भाजपा और कांग्रेस का आपस में गठबंधन रहता चला आ रहा है. ऐसा इसलिए, जब पंचायत समिति सदस्य के चुनाव संपन्न हो जाते हैं और प्रधान का चुनाव होता है उस वक्त माकपा के खिलाफ वोट डालने के लिए और अपना प्रधान बनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के पंचायत समिति सदस्य एक साथ ही वोट देते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Panchayat Committee in Sikar, Sikar Special News
25 साल से हो रहा भाजपा-कांग्रेस का गठबंधन
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Published : Nov 4, 2020, 9:52 PM IST

सीकर. देश की 2 प्रमुख राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही पार्टियां एक दूसरे की धुर-विरोधी हैं. देश में कई राजनीतिक दलों के गठबंधन होते हैं और साथ में चुनाव भी लड़ते हैं. कुछ राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन करते हैं तो कुछ राजनीतिक दल कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन करते हैं, लेकिन देशभर में ऐसा शायद ही कहीं देखने को मिले जहां पर भाजपा और कांग्रेस का आपस का गठबंधन हो जाता है. यह अनूठा उदाहरण हर बार पंचायत चुनाव के वक्त सीकर जिले की धोद पंचायत समिति में देखने को मिलता है और पिछले 25 साल से यही चल रहा है.

25 साल से हो रहा भाजपा-कांग्रेस का गठबंधन

जानकारी के मुताबिक सीकर जिले की धोद पंचायत समिति और धोद विधानसभा क्षेत्र में माकपा का दबदबा रहता है और यहां पर माकपा ने लगातार चार बार विधायक की कुर्सी पर भी कब्जा किया था. इसके साथ-साथ पंचायत समिति में हमेशा ही माकपा दोनों राजनीतिक दलों से आगे रही है और इसी वजह से माकपा को हराने के लिए दोनों राजनीतिक दल साथ हो जाते हैं.

पढ़ेंः हमें उम्मीद थी कि जहां विधायक जीते हुए हैं वहां प्रदर्शन बेहतर रहेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका : खाचरियावास

जब पंचायत समिति सदस्य के चुनाव होते हैं तो कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने ही चुनाव लड़ते हैं और माकपा भी इनके सामने चुनाव लड़ती है. लेकिन जब पंचायत समिति सदस्य के चुनाव संपन्न हो जाते हैं और प्रधान का चुनाव होता है, उस वक्त माकपा के खिलाफ वोट डालने के लिए और अपना प्रधान बनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के पंचायत समिति सदस्य एक साथ ही वोट देते हैं. ये सिलसिला 25 साल से चल रहा है और माकपा दोनों दलों को कड़ी टक्कर देती है.

पंचायत समिति सदस्य को निर्दलीय बनाते हैं प्रधान का उम्मीदवार...

धोद पंचायत समिति में प्रधान के चुनाव में 1995 से लेकर अब तक हर बार कांग्रेस और भाजपा के पंचायत समिति सदस्यों ने एक साथ वोट किया है. हर बार पार्टी के किसी जीते हुए सदस्य को निर्दलीय प्रधान का चुनाव लड़ाया है. इसके बाद निर्दलीय प्रधान उम्मीदवार को कांग्रेस को भाजपा के जीते हुए सदस्यों ने एक साथ मतदान किया है. यही वजह है कि आज तक धोद पंचायत समिति में कांग्रेस और भाजपा का प्रधान नहीं बना है. इन्होंने निर्दलीय प्रधान बनाए हैं, जबकि माकपा का दो बार प्रधान बना है.

पिछले 25 साल में इस तरह हुआ कांग्रेस और भाजपा का गठबंधन...

पंचायत चुनाव 2015: इस चुनाव में कांग्रेस के सिंबल पर पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीतने वाले ओमप्रकाश झीगर को कांग्रेस और भाजपा दोनों के सदस्यों ने वोट किया. कांग्रेस का पंचायत समिति सदस्य होने के बाद भी ओमप्रकाश ने प्रधान का चुनाव निर्दलीय लड़ा, क्योंकि दोनों दलों के वोट हासिल करने दे.

पंचायत चुनाव 2010: इस चुनाव में माकपा के उस्मान खान प्रधान बने, लेकिन उनके सामने कांग्रेस और भाजपा ने एक ही प्रत्याशी को वोट किए और निर्दलीय चुनाव लड़ा था.

पंचायत चुनाव 2005: इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीतने वाले गोवर्धन वर्मा धोद पंचायत समिति के प्रधान बने थे. लेकिन उन्होंने प्रधान का चुनाव निर्दलीय लड़ा और कांग्रेस के सदस्य ने भी उनको वोट दिए.

पंचायत चुनाव 2000: इस चुनाव में माकपा के भैरू सिंह प्रधान बने थे. लेकिन उनके सामने कांग्रेस और भाजपा के पंचायत समिति सदस्य ने मिलकर निर्दलीय प्रत्याशी उतारा था. लेकिन माकपा के 25 में से 13 सदस्य होने के कारण माकपा को जीत हासिल हुई.

पंचायत चुनाव 1995: इस चुनाव में भी कांग्रेस और भाजपा के सदस्यों ने एक साथ हीरा देवी को वोट किया और वह प्रधान बनी. इन सभी चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने एक साथ वोट दिया.

सीकर. देश की 2 प्रमुख राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही पार्टियां एक दूसरे की धुर-विरोधी हैं. देश में कई राजनीतिक दलों के गठबंधन होते हैं और साथ में चुनाव भी लड़ते हैं. कुछ राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन करते हैं तो कुछ राजनीतिक दल कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन करते हैं, लेकिन देशभर में ऐसा शायद ही कहीं देखने को मिले जहां पर भाजपा और कांग्रेस का आपस का गठबंधन हो जाता है. यह अनूठा उदाहरण हर बार पंचायत चुनाव के वक्त सीकर जिले की धोद पंचायत समिति में देखने को मिलता है और पिछले 25 साल से यही चल रहा है.

25 साल से हो रहा भाजपा-कांग्रेस का गठबंधन

जानकारी के मुताबिक सीकर जिले की धोद पंचायत समिति और धोद विधानसभा क्षेत्र में माकपा का दबदबा रहता है और यहां पर माकपा ने लगातार चार बार विधायक की कुर्सी पर भी कब्जा किया था. इसके साथ-साथ पंचायत समिति में हमेशा ही माकपा दोनों राजनीतिक दलों से आगे रही है और इसी वजह से माकपा को हराने के लिए दोनों राजनीतिक दल साथ हो जाते हैं.

पढ़ेंः हमें उम्मीद थी कि जहां विधायक जीते हुए हैं वहां प्रदर्शन बेहतर रहेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका : खाचरियावास

जब पंचायत समिति सदस्य के चुनाव होते हैं तो कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने ही चुनाव लड़ते हैं और माकपा भी इनके सामने चुनाव लड़ती है. लेकिन जब पंचायत समिति सदस्य के चुनाव संपन्न हो जाते हैं और प्रधान का चुनाव होता है, उस वक्त माकपा के खिलाफ वोट डालने के लिए और अपना प्रधान बनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के पंचायत समिति सदस्य एक साथ ही वोट देते हैं. ये सिलसिला 25 साल से चल रहा है और माकपा दोनों दलों को कड़ी टक्कर देती है.

पंचायत समिति सदस्य को निर्दलीय बनाते हैं प्रधान का उम्मीदवार...

धोद पंचायत समिति में प्रधान के चुनाव में 1995 से लेकर अब तक हर बार कांग्रेस और भाजपा के पंचायत समिति सदस्यों ने एक साथ वोट किया है. हर बार पार्टी के किसी जीते हुए सदस्य को निर्दलीय प्रधान का चुनाव लड़ाया है. इसके बाद निर्दलीय प्रधान उम्मीदवार को कांग्रेस को भाजपा के जीते हुए सदस्यों ने एक साथ मतदान किया है. यही वजह है कि आज तक धोद पंचायत समिति में कांग्रेस और भाजपा का प्रधान नहीं बना है. इन्होंने निर्दलीय प्रधान बनाए हैं, जबकि माकपा का दो बार प्रधान बना है.

पिछले 25 साल में इस तरह हुआ कांग्रेस और भाजपा का गठबंधन...

पंचायत चुनाव 2015: इस चुनाव में कांग्रेस के सिंबल पर पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीतने वाले ओमप्रकाश झीगर को कांग्रेस और भाजपा दोनों के सदस्यों ने वोट किया. कांग्रेस का पंचायत समिति सदस्य होने के बाद भी ओमप्रकाश ने प्रधान का चुनाव निर्दलीय लड़ा, क्योंकि दोनों दलों के वोट हासिल करने दे.

पंचायत चुनाव 2010: इस चुनाव में माकपा के उस्मान खान प्रधान बने, लेकिन उनके सामने कांग्रेस और भाजपा ने एक ही प्रत्याशी को वोट किए और निर्दलीय चुनाव लड़ा था.

पंचायत चुनाव 2005: इस चुनाव में भाजपा के टिकट पर पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीतने वाले गोवर्धन वर्मा धोद पंचायत समिति के प्रधान बने थे. लेकिन उन्होंने प्रधान का चुनाव निर्दलीय लड़ा और कांग्रेस के सदस्य ने भी उनको वोट दिए.

पंचायत चुनाव 2000: इस चुनाव में माकपा के भैरू सिंह प्रधान बने थे. लेकिन उनके सामने कांग्रेस और भाजपा के पंचायत समिति सदस्य ने मिलकर निर्दलीय प्रत्याशी उतारा था. लेकिन माकपा के 25 में से 13 सदस्य होने के कारण माकपा को जीत हासिल हुई.

पंचायत चुनाव 1995: इस चुनाव में भी कांग्रेस और भाजपा के सदस्यों ने एक साथ हीरा देवी को वोट किया और वह प्रधान बनी. इन सभी चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने एक साथ वोट दिया.

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