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20 साल कारगिल: शहीद बनवारी लाल बगड़िया जिन्होंने दुश्मन की मांद में भी नहीं टेके थे घुटने

बजरंग पोस्ट पर अपने साथियों के साथ बनवारी लाल बगड़िया पेट्रोलिंग करते समय कैप्टन सौरभ कालिया की अगुआई में उनकी मुठभेड़ पाकिस्तानी सैनिकों से हुई थी. महज 7 सैनिकों ने पाकिस्थान के 200 सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया था.

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Published : Jul 23, 2019, 7:53 PM IST

20 साल कारगिल: शहीद बनवाली बगड़िया जिन्होंने दुश्मन की मांद में भी घुटने नहीं टेके

सीकर. यह कहानी है सीकर के जांबाज़ कारगिल में शहीद बनवारीलाल बगड़िया की. बगड़िया हिंदुस्तान के वहीं जांबाज सिपाही थे जिन्हें पाकिस्तान की सेना ने गोला-बारूद खत्म होने के बाद बंधक बना लिया था. उनके साथ पाक सेना ने 6 और लोगों को भी बंधक बनाया था. पाकिस्तान सेना ने इन्हें 24 दिन तक कड़ी यातनाएं दी लेकिन इन्होंने पाकिस्तानी सेना के सामने घुटने नहीं टेके. आखिर में पाकिस्तानी सेना ने अपने खुंखार मंसूबों को अंजाम देते हुए इन वीर सपूतों के शव क्षत-विक्षत हालत में फेंक दिया. आज भी इनके शौर्य और बलिदानी के किस्से चर्चा में रहते हैं.

  • सीकर के सिगडोला गांव के रहने वाले शहीद बनवारी लाल बगड़िया
  • साल 1996 में जाट रेजिमेंट में भर्ती हुए थे शहीद बनवारी लाल बगडिया
  • 1999 में करगिल युद्ध के दौरान उनकी ड्यूटी काकसर सेक्टर में लगी थी

15 मई 1999 को बजरंग पोस्ट पर अपने साथियों के साथ बनवारी लाल बगड़िया पेट्रोलिंग करते समय कैप्टन सौरभ कालिया की अगुआई में उनकी मुठभेड़ पाकिस्तानी सैनिकों से हो गई. महज 7 सैनिकों के सामने पाकिस्तान के करीब 200 थे और दोनों ओर से जबरदस्त फायरिंग और गोलाबारी शुरू हो गई.

20 साल कारगिल: शहीद बनवाली बगड़िया जिन्होंने दुश्मन की मांद में भी घुटने नहीं टेके

घंटों तक जाट रेजिमेंट के यह जाबांज दुश्मनों के सामने लड़ते रहे. लेकिन आखिर में गोला बारूद खत्म होने की वजह से पाकिस्तानी सेना ने इनको बंधक बना लिया और यातनाओं का दौर चला. 24 दिन तक इन को कड़ी यातना दी गई. पाकिस्तानी सेना ने खुफिया जानकारी जुटाने के खातिर प्रताड़ित करती रही और जब इस जबाजों ने अपनी जुबान नहीं खोली तो जिस्म से कई अंग भी काट भी काट दिए..इन्होंने अपना मुंह नहीं खोला और आखिर में इन्हें क्षत-विक्षत कर फेंक दिया गया.

शहीद पति के बारे में बताते हुए शहीद बनवारी लाल बगड़िया की पत्नी रोने लगती है. पत्नी संतोष कहती है कि शहादत से 7 दिन पहले पति से बात हुई थी और उन्होंने कहा था कि जल्द ही छुट्टी लेकिन आने वाले हैं...वक्त के साथ 20 साल बीच गए लेकिन शहीद के परिजनों से मिलने के बाद तस्वीरे नजर आने लगती है. वो दर्ज आज भी इन परिजनों के आखों में दिखता. अपने देश के लिए मर मिटने वाले इन वीर सपूतों को देश हमेशा याद रखेगा.

सीकर. यह कहानी है सीकर के जांबाज़ कारगिल में शहीद बनवारीलाल बगड़िया की. बगड़िया हिंदुस्तान के वहीं जांबाज सिपाही थे जिन्हें पाकिस्तान की सेना ने गोला-बारूद खत्म होने के बाद बंधक बना लिया था. उनके साथ पाक सेना ने 6 और लोगों को भी बंधक बनाया था. पाकिस्तान सेना ने इन्हें 24 दिन तक कड़ी यातनाएं दी लेकिन इन्होंने पाकिस्तानी सेना के सामने घुटने नहीं टेके. आखिर में पाकिस्तानी सेना ने अपने खुंखार मंसूबों को अंजाम देते हुए इन वीर सपूतों के शव क्षत-विक्षत हालत में फेंक दिया. आज भी इनके शौर्य और बलिदानी के किस्से चर्चा में रहते हैं.

  • सीकर के सिगडोला गांव के रहने वाले शहीद बनवारी लाल बगड़िया
  • साल 1996 में जाट रेजिमेंट में भर्ती हुए थे शहीद बनवारी लाल बगडिया
  • 1999 में करगिल युद्ध के दौरान उनकी ड्यूटी काकसर सेक्टर में लगी थी

15 मई 1999 को बजरंग पोस्ट पर अपने साथियों के साथ बनवारी लाल बगड़िया पेट्रोलिंग करते समय कैप्टन सौरभ कालिया की अगुआई में उनकी मुठभेड़ पाकिस्तानी सैनिकों से हो गई. महज 7 सैनिकों के सामने पाकिस्तान के करीब 200 थे और दोनों ओर से जबरदस्त फायरिंग और गोलाबारी शुरू हो गई.

20 साल कारगिल: शहीद बनवाली बगड़िया जिन्होंने दुश्मन की मांद में भी घुटने नहीं टेके

घंटों तक जाट रेजिमेंट के यह जाबांज दुश्मनों के सामने लड़ते रहे. लेकिन आखिर में गोला बारूद खत्म होने की वजह से पाकिस्तानी सेना ने इनको बंधक बना लिया और यातनाओं का दौर चला. 24 दिन तक इन को कड़ी यातना दी गई. पाकिस्तानी सेना ने खुफिया जानकारी जुटाने के खातिर प्रताड़ित करती रही और जब इस जबाजों ने अपनी जुबान नहीं खोली तो जिस्म से कई अंग भी काट भी काट दिए..इन्होंने अपना मुंह नहीं खोला और आखिर में इन्हें क्षत-विक्षत कर फेंक दिया गया.

शहीद पति के बारे में बताते हुए शहीद बनवारी लाल बगड़िया की पत्नी रोने लगती है. पत्नी संतोष कहती है कि शहादत से 7 दिन पहले पति से बात हुई थी और उन्होंने कहा था कि जल्द ही छुट्टी लेकिन आने वाले हैं...वक्त के साथ 20 साल बीच गए लेकिन शहीद के परिजनों से मिलने के बाद तस्वीरे नजर आने लगती है. वो दर्ज आज भी इन परिजनों के आखों में दिखता. अपने देश के लिए मर मिटने वाले इन वीर सपूतों को देश हमेशा याद रखेगा.

Intro:सीकर
यह कहानी है सीकर के जांबाज़ कारगिल शहीद बनवारीलाल बगड़िया की। बनवारीलाल बगड़िया को पाकिस्तान की सेना ने गोला-बारूद खत्म होने के बाद बंधक बना लिया था इनके साथ छह और लोगों को बंधक बनाया गया था। इन्हें 24 दिन तक कड़ी यातना दी गई। लेकिन इन्होंने पाकिस्तानी सेना के सामने मुंह तक नहीं खोला। आखिर में इनको क्षतविक्षत कर फेंक दिया गया। आज भी उनकी बलिदानी के किस्से चर्चा में रहते हैं।Body: सीकर के सिगडोला गांव के रहने वाले शहीद बनवारी लाल बगडिय़ा। वे 1996 में जाट रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान उनकी ड्यूटी काकसर सेक्टर में थी। जहां 15 मई 1999 को बजरंग पोस्ट पर अपने साथियों के साथ पेट्रोलिंग करते समय कैप्टन सौरभ कालिया की अगुआई में उनकी मुठभेड़ पाकिस्तानी सैनिकों से हो गई। महज सात सैनिकों के सामने पाकिस्तान के करीब 200 सैनिक आ डटे और दोनों ओर से जबरदस्त फायरिंग और गोलाबारी शुरू हो गई। जिसमें काफी देर तक जाट रेजिमेंट के यह जाबांज दुश्मनों के सामने टिके रहे । लेकिन आखिर में इनके हथियार खत्म हो गए और पाकिस्तानी सेना ने इन को बंधक बना लिया। 24 दिन तक इन को कड़ी यातना दी गई। कई अंग काट दिए गए और हर दिन इन्हें हिंदुस्तान के बारे में गोपनीय जानकारियां देने के लिए बाध्य किया गया। लेकिन इन्होंने अपना मुंह नहीं खोला और आखिर में इन्हें क्षत-विक्षत कर फेंक दिया गया।

आज भी रोने लग जाती है पत्नी
अपने शहीद पति का हिस्सा बताते हुए शहीद बनवारीलाल बगड़िया की पत्नी आज की रोने लगती है। उनका कहना है कि शहादत से पहले 7 दिन पहले उनके पति से बात हुई थी और उन्होंने कहा था कि जल्द ही छुट्टी आने वाले हैं। वे कहती हैं कि सरकार को सेना को खुली छूट देनी चाहिए कि आतंकवादियों और पत्थरबाजों को देखते ही गोली मार दी जाए। उनका कहना है कि वे अपने दो बच्चों को पढ़ा रही है बेटे को इंजीनियर और बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती है।Conclusion:बाईट
1 संतोष देवी शहीद वीरांगना
2 सीताराम शहीद के भाई
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