ETV Bharat / city

स्पेशल रिपोर्ट: नागौर में तेजाजी ने 916 साल पहले दिया था बलिदान...जन्मस्थान खरनाल में हर साल लगता है मेला

नागौर के खरनाल गांव में वीर तेजाजी ने गायों की रक्षा और वचन पालन के लिए करीब 916 साल पहले सर्वोच्च बलिदान दिया और लोकमानस में लोकदेवता के रूप में अमर हो गए. जहां हर साल भाद्रपद शुक्ल दशमी को विशाल मेला भरता है.

Tejaji sacrificed 916 years ago, तेजाजी महाराज, नागौर न्यूज
author img

By

Published : Sep 8, 2019, 8:13 AM IST

Updated : Sep 9, 2019, 8:05 AM IST

नागौर. राजस्थान को शूरवीरों की धरती कहा जाता है. यहां की मिट्टी में जन्म लेने वाले कई महापुरुष हुए. जो परमार्थ के लिए अपने प्राणों तक की बाजी लगाने से पीछे नहीं हटे. ऐसे ही महापुरुषों में से एक हैं वीर तेजाजी महाराज. जो राजस्थान के साथ ही देश के कई हिस्सों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं.

तेजाजी ने 916 साल पहले दिया था बलिदान

बता दें कि उनका जन्म नागौर के खरनाल गांव में हुआ था. उन्होंने न केवल गायों की रक्षा के लिए 150 चोरों का अकेले मुकाबला कर गायों को छुड़ाया. बल्कि वचन का पालन करने के लिए सांप को अपनी जीभ पर डसवाया और प्राण त्यागे.

पढ़ें- वैभव गहलोत पहुंचे नागौर, कृपाराम सोलंकी के परिजनों को दी सांत्वना

भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजाजी ने बलिदान दिया था. यह दिन आज भी हर साल तेजा दशमी के रूप में मनाया जाता है. वीर तेजाजी की जन्मस्थली खरनाल में तेजादशमी पर हर साल मेला रहता है. जिसमें प्रदेशभर के अलवा देश के कई राज्यों से भी भक्त आते हैं. कई भक्त तो पैदल ही वीर तेजाजी के दर्शन को खरनाल पहुंचते हैं.

वहीं प्रचलित कथाओं के अनुसार तेजाजी अपनी पत्नी को लेने ससुराल जाते हैं और वहां लाछां नामक एक महिला के गायों को चोर चुरा ले जाते हैं. चोरों का आतंक इतना था कि गांव का कोई भी व्यक्ति लाछां की मदद को तैयार नहीं हुआ.

पढ़ें- नागौर : लापता किशोर पहुंचा घर...बोला मेरा अपहरण हुआ था...पुलिस पड़ताल में कहानी निकली झूठी

तब तेजाजी अकेले ही अपनी घोड़ी लीलण को लेकर चोरों का मुकाबला करने निकल पड़े. रास्ते में उन्होंने देखा की एक सांप आग से जल रहा है. उन्होंने अपने भाले से उस सांप को आग से दूर कर दिया. इस पर सांप ने तेजाजी से कहा कि वह तो अपना हजार साल का जीवन पूरा कर मुक्ति पा रहा था. आपने बचकर गलत किया है. इसलिए मैं आपको डसुंगा.

वहीं तेजाजी ने कहा की गायों को चोरों से छुड़ाकर लाने के बाद वह वापस आएंगे. तब डस लेना. चोरों से मुकाबला करते हुए तेजाजी का शरीर लहुलुहान हो गया था. फिर भी वे सांप के पास पहुंचे और वचन के मुताबिक डसने को कहा. उनके लहुलुहान होने की बात कहकर सांप ने डसने से इनकार किया तो तेजाजी ने अपनी जीभ पर सांप को डसवाया और वचन का पालन किया.

नागौर. राजस्थान को शूरवीरों की धरती कहा जाता है. यहां की मिट्टी में जन्म लेने वाले कई महापुरुष हुए. जो परमार्थ के लिए अपने प्राणों तक की बाजी लगाने से पीछे नहीं हटे. ऐसे ही महापुरुषों में से एक हैं वीर तेजाजी महाराज. जो राजस्थान के साथ ही देश के कई हिस्सों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं.

तेजाजी ने 916 साल पहले दिया था बलिदान

बता दें कि उनका जन्म नागौर के खरनाल गांव में हुआ था. उन्होंने न केवल गायों की रक्षा के लिए 150 चोरों का अकेले मुकाबला कर गायों को छुड़ाया. बल्कि वचन का पालन करने के लिए सांप को अपनी जीभ पर डसवाया और प्राण त्यागे.

पढ़ें- वैभव गहलोत पहुंचे नागौर, कृपाराम सोलंकी के परिजनों को दी सांत्वना

भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजाजी ने बलिदान दिया था. यह दिन आज भी हर साल तेजा दशमी के रूप में मनाया जाता है. वीर तेजाजी की जन्मस्थली खरनाल में तेजादशमी पर हर साल मेला रहता है. जिसमें प्रदेशभर के अलवा देश के कई राज्यों से भी भक्त आते हैं. कई भक्त तो पैदल ही वीर तेजाजी के दर्शन को खरनाल पहुंचते हैं.

वहीं प्रचलित कथाओं के अनुसार तेजाजी अपनी पत्नी को लेने ससुराल जाते हैं और वहां लाछां नामक एक महिला के गायों को चोर चुरा ले जाते हैं. चोरों का आतंक इतना था कि गांव का कोई भी व्यक्ति लाछां की मदद को तैयार नहीं हुआ.

पढ़ें- नागौर : लापता किशोर पहुंचा घर...बोला मेरा अपहरण हुआ था...पुलिस पड़ताल में कहानी निकली झूठी

तब तेजाजी अकेले ही अपनी घोड़ी लीलण को लेकर चोरों का मुकाबला करने निकल पड़े. रास्ते में उन्होंने देखा की एक सांप आग से जल रहा है. उन्होंने अपने भाले से उस सांप को आग से दूर कर दिया. इस पर सांप ने तेजाजी से कहा कि वह तो अपना हजार साल का जीवन पूरा कर मुक्ति पा रहा था. आपने बचकर गलत किया है. इसलिए मैं आपको डसुंगा.

वहीं तेजाजी ने कहा की गायों को चोरों से छुड़ाकर लाने के बाद वह वापस आएंगे. तब डस लेना. चोरों से मुकाबला करते हुए तेजाजी का शरीर लहुलुहान हो गया था. फिर भी वे सांप के पास पहुंचे और वचन के मुताबिक डसने को कहा. उनके लहुलुहान होने की बात कहकर सांप ने डसने से इनकार किया तो तेजाजी ने अपनी जीभ पर सांप को डसवाया और वचन का पालन किया.

Intro:वीर तेजाजी ने गायों की रक्षा और वचन पालन के लिए करीब 916 साल पहले सर्वोच्च बलिदान दिया और लोकमानस में लोकदेवता के रूप में अमर हो गए। उनकी जन्मस्थली नागौर जिले का खरनाल गांव है। जहां हर साल भाद्रपद शुक्ल दशमी को विशाल मेला भरता है। इस दिन वीर तेजाजी ने वचन पालन के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। इस साल तेजा दशमी 8 सितम्बर को मनाई जाएगी।


Body:नागौर. राजस्थान को शूरवीरों की धरती कहा जाता है। यहां की मिट्टी में जन्म लेने वाले कई महापुरुष हुए। जो परमार्थ के लिए अपने प्राणों तक की बाजी लगाने से पीछे नहीं हटे। ऐसे ही महापुरुषों में से एक हैं वीर तेजाजी महाराज। जो राजस्थान के साथ ही देश के कई हिस्सों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। उनका जन्म नागौर के खरनाल गांव में पिता ताहड़देव और माता रामकंवरी के घर हुआ था। उन्होंने न केवल गायों की रक्षा के लिए 150 चोरों का अकेले मुकाबला कर गायों को छुड़ाया। बल्कि वचन का पालन करने के लिए सांप को अपनी जीभ पर डसवाया और प्राण त्यागे। भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजाजी ने बलिदान दिया था। यह दिन आज भी हर साल तेजा दशमी के रूप में मनाया जाता है। वीर तेजाजी की जन्मस्थली खरनाल में तेजादशमी पर हर साल मेला भरता है। जिसमें प्रदेशभर के अलवा देश के कई राज्यों से भी भक्त आते हैं। कई भक्त तो पैदल ही वीर तेजाजी के दर्शन को खरनाल पहुंचते हैं।
प्रचलित कथाओं के अनुसार तेजाजी अपनी पत्नी को लेने ससुराल जाते हैं और वहां लाछां नामक एक महिला के गायों को चोर चुरा ले जाते हैं। चोरों का आतंक इतना था कि गांव का कोई भी व्यक्ति लाछां की मदद को तैयार नहीं हुआ। तब तेजाजी अकेले ही अपनी घोड़ी लीलण को लेकर चोरों का मुकाबला करने निकल पड़े। रास्ते में उन्होंने देखा की एक सांप आग से जल रहा है। उन्होंने अपने भाले से उस सांप को आग से दूर कर दिया। इस पर सांप ने तेजाजी से कहा कि वह तो अपना हजार साल का जीवन पूरा कर मुक्ति पा रहा था। आपने बचकर गलत किया है। इसलिए मैं आपको डसुंगा। तेजाजी ने कहा की गायों को चोरों से छुड़ाकर लाने के बाद वह वापस आएंगे। तब डस लेना। चोरों से मुकाबला करते हुए तेजाजी का शरीर लहुलुहान हो गया था। फिर भी वे सांप के पास पहुंचे और वचन के मुताबिक डसने को कहा। उनके लहुलुहान होने की बात कहकर सांप ने डसने से इनकार किया तो तेजाजी ने अपनी जीभ पर सांप को डसवाया और वचन का पालन किया।


Conclusion:मान्यता यह भी है कि तेजाजी की वचन के प्रति निष्ठा से सांप भी प्रभावित हुआ और उन्हें वरदान दिया कि सर्पदंश से पीड़ित कोई भी व्यक्ति उनके नाम की भभूत लगाएगा तो उसे जहर नहीं चढ़ेगा। इसिलिए राजस्थान के कई ग्रामीण इलाकों में आज भी सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को तेजाजी के धाम पर ले जाया जाता है।
.......
बाईट 1व 2-प्रेमसुख जाजड़ा, पूर्व अध्यक्ष, वीर तेजास्थली, खरनाल।
बाईट 3 - विकास पाठक, एसपी, नागौर।
बाईट 4- भंवरलाल शर्मा, पुजारी, वीर तेजाजी मन्दिर, खरनाल।
Last Updated : Sep 9, 2019, 8:05 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.