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रिपोर्ट: 5 साल बीते, सरकार भी बदली, लेकिन नहीं बदला तो डांगावास हत्याकांड के पीड़ितों का दर्द - दलित उत्पीड़न

नागौर के पचौड़ी थाना इलाके में हाल ही में हुई दलित परिवार के दो युवकों से बर्बरता और अमानवीयता की घटना ने देशभर में दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर नई बहस छेड़ दी है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार पीड़ित परिवार को सुरक्षा, आर्थिक मदद और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दे रही है. इधर, पांच साल पहले नागौर जिले के ही डांगावास गांव में दलित परिवार के पांच सहित कुल छह लोगों को नृशंसतापूर्वक मौत के घाट उतार दिया गया था. तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी. तब भी मदद के नाम पर कई भरोसे दिलाए गए थे. लेकिन पांच साल बीतने और सरकार बदलने के बावजूद डांगावास पीड़ितों को आज भी न्याय का इंतजार हैं.

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5 साल बाद भी नहीं मिला डांगावास हत्याकांड के पीड़ितों को न्याय
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Published : Feb 24, 2020, 8:03 PM IST

नागौर. जिले के पचौड़ी थाना इलाके में दलित परिवार के दो युवकों के साथ अमानवीयता की घटना के बाद दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर देशभए में एक नई बहस शुरू हो गई है. सरकार पर आरोप लग रहे हैं और बचाव में सरकार पीड़ितों की हरसंभव मदद और निष्पक्ष जांच की का भरोसा दिला रही है, लेकिन नागौर जिले के ही डांगावास गांव में पांच साल पहले हुए दलित हत्याकांड के पीड़ित परिवारों को आज भी न्याय का इंतजार है.

पढ़ें: नागौर: 2 युवकों की बेरहमी से पिटाई... VIDEO वायरल

14 मई 2015 को दलितों को बनाया था निशाना

करीब पांच साल पीछे चले तो डांगावास गांव में 14 मई 2015 को दबंगों ने दलित परिवारों को निशाना बनाकर हमला किया था. यहां दलित परिवार के लोगों को ट्रैक्टर से कुचला गया और उनके आशियानों को आग लगा दी गई. इस नृशंस घटना में दलित परिवार के 5 सहित कुल 6 लोगों की जान गई थी. तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी.

5 साल बाद भी नहीं मिला डांगावास हत्याकांड के पीड़ितों को न्याय

सीबीआई कर रही मामले की जांच

मामले की गूंज देशभर में सुनाई दी तो सरकार ने आनन-फानन में सीबीआई से इस मामले की जांच करवाने की सिफारिश कर डाली. मृतकों के परिवारों को 25-25 लाख रुपए और घायलों को 10-10 लाख रुपए की सहायता दिलाने, मृतकों के एक-एक परिजन को सरकारी नौकरी देने, विवादित जमीन धारा 145 की कार्रवाई निरस्त करने और दलित परिवारों की जमीन पर बाउंड्रीवाल बनवाने और जमीन कब्जा भूमि मालिकों को देने सहित 18 सूत्री मांग पत्र पर भी सरकार ने सहमति जताई थी.

पढ़ें: प्रदेश में बढ़ रहे दलित अत्याचार पर बोले मुख्य सचेतक, कहा- इस प्रकार की घटना कोई भी सरकार नहीं रोक सकती

तब कांग्रेस विपक्ष में थी, और अब सत्ता में

तब कांग्रेस विपक्ष में थी और इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन चुनाव के बाद सत्ता बदली और प्रदेश में शासन की कमान अब कांग्रेस के हाथ में है. फिर भी डांगावास हत्याकांड के पीड़ितों को अभी भी न्याय का इंतजार है. दलित पीड़ितों के घर पहुंचे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल से जब डांगावास पीड़ितों को लेकर सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था, 'अभी इस कांड के पीड़ितों की बात करते हैं, डांगावास पीड़ितों की बात फिर कभी करेंगे.

18 मांगों में से सिर्फ एक मांग पूरी

इधर, डांगावास मामले के पीड़ित का कहना है कि तब भाजपा सरकार ने 18 सूत्री मांग पत्र को स्वीकार किया था, लेकिन इन 18 मांगों में से सिर्फ सीबीआई जांच की मांग पूरी हुई है. सीबीआई ने इस मामले में 40 लोगों को आरोपी बनाया. जिनमें से 10 आरोपी पिछले साल तक खुले घूम रहे थे. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पिछले साल दिसंबर में बाकी आरोपियों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, लेकिन बाकी मांगें सरकार बदलने के बाद भी अभी तक अधूरी ही हैं.

पढ़ें: दलित युवकों से बर्बरता, मुख्यमंत्री और पुलिस की विफलता है: अर्जुन राम मेघवाल

ओछी राजनीति की भेंट चढ़ गया डांगावास हत्याकांड

डांगावास हत्याकांड जैसा विभत्स और नृशंस मामला भी कैसे ओछी राजनीति की भेंट चढ़ गया. यह किसी से छिपा नहीं है. तब विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने इस मुद्दे को खूब उछाला. लेकिन, अब कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी धारण कर ली है. भाजपा ना तो सत्ता में रहते हुए इस मामले में पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं दिला पाई और ना ही अब इस मुद्दे पर अपना मुंह खोल रही है. बहरहाल, सरकार बदलने के बाद भी डांगावास हत्याकांड के पीड़ित न्याय के मोहताज हैं.

नागौर. जिले के पचौड़ी थाना इलाके में दलित परिवार के दो युवकों के साथ अमानवीयता की घटना के बाद दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर देशभए में एक नई बहस शुरू हो गई है. सरकार पर आरोप लग रहे हैं और बचाव में सरकार पीड़ितों की हरसंभव मदद और निष्पक्ष जांच की का भरोसा दिला रही है, लेकिन नागौर जिले के ही डांगावास गांव में पांच साल पहले हुए दलित हत्याकांड के पीड़ित परिवारों को आज भी न्याय का इंतजार है.

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14 मई 2015 को दलितों को बनाया था निशाना

करीब पांच साल पीछे चले तो डांगावास गांव में 14 मई 2015 को दबंगों ने दलित परिवारों को निशाना बनाकर हमला किया था. यहां दलित परिवार के लोगों को ट्रैक्टर से कुचला गया और उनके आशियानों को आग लगा दी गई. इस नृशंस घटना में दलित परिवार के 5 सहित कुल 6 लोगों की जान गई थी. तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी.

5 साल बाद भी नहीं मिला डांगावास हत्याकांड के पीड़ितों को न्याय

सीबीआई कर रही मामले की जांच

मामले की गूंज देशभर में सुनाई दी तो सरकार ने आनन-फानन में सीबीआई से इस मामले की जांच करवाने की सिफारिश कर डाली. मृतकों के परिवारों को 25-25 लाख रुपए और घायलों को 10-10 लाख रुपए की सहायता दिलाने, मृतकों के एक-एक परिजन को सरकारी नौकरी देने, विवादित जमीन धारा 145 की कार्रवाई निरस्त करने और दलित परिवारों की जमीन पर बाउंड्रीवाल बनवाने और जमीन कब्जा भूमि मालिकों को देने सहित 18 सूत्री मांग पत्र पर भी सरकार ने सहमति जताई थी.

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तब कांग्रेस विपक्ष में थी, और अब सत्ता में

तब कांग्रेस विपक्ष में थी और इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन चुनाव के बाद सत्ता बदली और प्रदेश में शासन की कमान अब कांग्रेस के हाथ में है. फिर भी डांगावास हत्याकांड के पीड़ितों को अभी भी न्याय का इंतजार है. दलित पीड़ितों के घर पहुंचे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल से जब डांगावास पीड़ितों को लेकर सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था, 'अभी इस कांड के पीड़ितों की बात करते हैं, डांगावास पीड़ितों की बात फिर कभी करेंगे.

18 मांगों में से सिर्फ एक मांग पूरी

इधर, डांगावास मामले के पीड़ित का कहना है कि तब भाजपा सरकार ने 18 सूत्री मांग पत्र को स्वीकार किया था, लेकिन इन 18 मांगों में से सिर्फ सीबीआई जांच की मांग पूरी हुई है. सीबीआई ने इस मामले में 40 लोगों को आरोपी बनाया. जिनमें से 10 आरोपी पिछले साल तक खुले घूम रहे थे. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पिछले साल दिसंबर में बाकी आरोपियों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, लेकिन बाकी मांगें सरकार बदलने के बाद भी अभी तक अधूरी ही हैं.

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ओछी राजनीति की भेंट चढ़ गया डांगावास हत्याकांड

डांगावास हत्याकांड जैसा विभत्स और नृशंस मामला भी कैसे ओछी राजनीति की भेंट चढ़ गया. यह किसी से छिपा नहीं है. तब विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने इस मुद्दे को खूब उछाला. लेकिन, अब कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी धारण कर ली है. भाजपा ना तो सत्ता में रहते हुए इस मामले में पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं दिला पाई और ना ही अब इस मुद्दे पर अपना मुंह खोल रही है. बहरहाल, सरकार बदलने के बाद भी डांगावास हत्याकांड के पीड़ित न्याय के मोहताज हैं.

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