नागौर.2014 में हुए चुनाव से पहले नागौर लोकसभा सीट की बाजी कांग्रेस के पाले में थी. राजनिति में मशहूर मिर्धा परिवार की ज्योति मिर्धा सांसद बनी और एक बार फिर कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में उतरने को तैयार थी. उनके सामने थे भाजपा के सी.आर. चौधरी को राजनिति का ज्यादा अनुभव नहीं था.
अपने मिलनसार स्वभाव और मोदी लहर का फायदा ही था कि वे ज्योति मिर्धा को करीब 75 हजार वोटों से हराने में सफल रहे. जीतने के साथ ही केंद्रीय मंत्री भी बने.
हालांकि फिलहाल भाजपा ने अभी यह तय नहीं किया है कि चुनाव में किसे टिकट दिया जाए, लेकिन प्रत्याशी चाहे जो भी हो, नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व से जीतने की उम्मीदें जरूर होंगी.
जानकार बतातें हैं कि पिछले चुनाव में भाजपा ने जिले की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी...जिसमें से 8 सीटें नागौर संसदीय क्षेत्र में आती है. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा के महज दो ही विधायक जीतकर आए हैं. ऐसे में पार्टी की राह पिछली बार जितनी आसान नहीं रहेगी.
ये रहा है नागौर सीट का चुनावी गणित...
उल्लेखनीय है कि 2009 में कांग्रेस के टिकट पर ज्योति मिर्धा ने भाजपा की बिंदु चौधरी को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था. इससे पहले 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के भंवर सिंह डांगावास ने कांग्रेस के रामरघुनाथ चौधरी को करीब 70 हजार वोटों से हराया था.
इसी क्षेत्र में अगर विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2013 में जिले की सभी 10 विधानसभा सीटें भाजपा के खाते में गई थी. जबकि 2008 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को बराबर पांच-पांच सीट मिली थी.
मोदी और बेनीवाल रहे सीआर चौधरी की जीत में महत्वपूर्ण किरदार...
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान सामने आए भ्रष्टाचार के मामलों ने उस समय देश की जनता को झकझोर करके रख दिया था. इसी बीच भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया और देशभर में उनके करिश्माई व्यक्तित्व का असर भी दिखा. नागौर लोकसभा सीट भी इससे अछूती नहीं रही थी. इसके अलावा निर्दलीय चुनाव में उतरे हनुमान बेनीवाल ने करीब एक लाख 60 हजार वोट लेकर ज्योति मिर्धा को नुकसान पहुंचाया और सीआर चौधरी की जीत में अहम किरदार निभाया.