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नागौर: 2 साल से अटकी नंदीशाला बनने की राह खुली, पशुपालन विभाग ने किया MoU

नागौर में आमजन को लावारिस सांडों से निजात दिलाने के लिए सरकार ने करीब दो साल पहले जिले में नंदीशाला की घोषणा की थी. लेकिन, ये मामला 2 साल से अटक पड़ा था. वहीं, अब जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने इस मामले को एक बार फिर गति देते हुए एक गौशाला से एमओयू की प्रक्रिया पूरी कर ली है. जिले में नंदीशाला बनने की राह खुलने से लोगों को जल्द ही लावारिस सांड़ों के आतंक से मुक्ति मिलने की उम्मीद है.

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Published : Sep 11, 2020, 6:14 PM IST

नागौर में नंदीशाला, Nagaur News
नागौर में नंदीशाला बनाए जाने के लिए पशुपालन विभाग ने एक गौशाला से किया एमओयू

नागौर. जिले के हर शहर और कस्बे के लोग लावारिस सांडों से परेशान हैं. इसी परेशानी को दूर करने के लिए 2 साल पहले हर जिले में एक-एक नंदीशाला खोलने की मंजूरी दी गई थी, लेकिन कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण ये मामला 2 साल से अटका पड़ा था. अब जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने इस मामले को एक बार फिर गति देते हुए एक गोशाला से एमओयू की प्रक्रिया पूरी कर ली है. ऐसे में इस माह के अंत तक नंदीशाला के मूर्त रूप लेने की संभावना है.

नागौर में नंदीशाला बनाए जाने के लिए पशुपालन विभाग ने एक गौशाला से किया एमओयू

पढ़ें: नागौर: एसपी ने ली क्राइम मीटिंग, पेंडिंग मामलों काे जल्द निपटाने का निर्देश

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक सीआर मेहरड़ा ने बताया कि 2018 में नंदीशाला की स्वीकृति मिली थी. उस समय कुछ गोशाला संचालकों ने नंदीशाला चलाने के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन निर्धारित मापदंड पर कोई भी खरा नहीं उतर पाया. ऐसे में नंदीशाला का मामला 2 साल से अटका पड़ा था. अब चूंटीसरा रोड पर स्थित एक गौशाला के साथ जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने एमओयू किया है. इसके तहत हर सांड़ के लिए सरकार की ओर से 40 रुपये प्रतिदिन अनुदान दिया जाएगा. इसके साथ ही आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए 50 लाख रुपये तक की सहायता भी सरकार की ओर से दी जाएगी. अभी जिस गोशाला के साथ एमओयू हुआ है, उसके पास पर्याप्त जमीन है. इसलिए नंदीशाला में रखे जाने वाले सांड़ों की संख्या भी निश्चित नहीं है.

पढ़ें: जोधपुर: ओसियां में दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन, 50 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक सीआर मेहरड़ा का ये भी कहना है कि नंदीशाला में आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए सरकारी एजेंसी के माध्यम से काम करवाया जाएगा. इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. दावा किया जा रहा है कि नंदीशाला बनने के बाद शहर-कस्बों में लावारिस सांडों के कारण आमजन को होने वाली परेशानी खत्म हो जाएगी.

नागौर. जिले के हर शहर और कस्बे के लोग लावारिस सांडों से परेशान हैं. इसी परेशानी को दूर करने के लिए 2 साल पहले हर जिले में एक-एक नंदीशाला खोलने की मंजूरी दी गई थी, लेकिन कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण ये मामला 2 साल से अटका पड़ा था. अब जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने इस मामले को एक बार फिर गति देते हुए एक गोशाला से एमओयू की प्रक्रिया पूरी कर ली है. ऐसे में इस माह के अंत तक नंदीशाला के मूर्त रूप लेने की संभावना है.

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पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक सीआर मेहरड़ा ने बताया कि 2018 में नंदीशाला की स्वीकृति मिली थी. उस समय कुछ गोशाला संचालकों ने नंदीशाला चलाने के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन निर्धारित मापदंड पर कोई भी खरा नहीं उतर पाया. ऐसे में नंदीशाला का मामला 2 साल से अटका पड़ा था. अब चूंटीसरा रोड पर स्थित एक गौशाला के साथ जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने एमओयू किया है. इसके तहत हर सांड़ के लिए सरकार की ओर से 40 रुपये प्रतिदिन अनुदान दिया जाएगा. इसके साथ ही आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए 50 लाख रुपये तक की सहायता भी सरकार की ओर से दी जाएगी. अभी जिस गोशाला के साथ एमओयू हुआ है, उसके पास पर्याप्त जमीन है. इसलिए नंदीशाला में रखे जाने वाले सांड़ों की संख्या भी निश्चित नहीं है.

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पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक सीआर मेहरड़ा का ये भी कहना है कि नंदीशाला में आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए सरकारी एजेंसी के माध्यम से काम करवाया जाएगा. इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. दावा किया जा रहा है कि नंदीशाला बनने के बाद शहर-कस्बों में लावारिस सांडों के कारण आमजन को होने वाली परेशानी खत्म हो जाएगी.

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