नागौर. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से सब कुछ थम सा गया है. लोग घरों में रहने को मजबूर हो गए है. ऐसे में बहुतों पर रोजी-रोजी का संकट छा गया. इन बुरे हालात में पिछले महीने के अंतिम सप्ताह से शुरु हुई मनरेगा ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए वरदान साबित हुई है.
संक्रमण से बने बुरे हालात के बावजूद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ग्रामीणों के रोजागर का सहारा बना हुआ है. नागौर जिले की तकरीबन 500 में 238 ग्राम पचायतों में इस समय मनरेगा के तहत श्रमिकों को काम दिया जा रहा है. जिले के आठ हजार से ज्यादा लोगों को इस योजना के जरिए रोजागर से जोड़कर अपना खेत अपना कार्य मेड़बदी सहित अन्य कार्य करवाए जा रहे हैं.
नागौर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने बताया कि ग्राम विकास विभाग ने ग्राम पचायतों में ग्रामीण मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में कार्य कर रहे थे, जबकि पिछले साल एक अप्रैल को ही मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में कार्य शूरू हो गया था.
उन्होंने बताया कि महज 10 दिनों में मनरेगा में कार्य करने वाले ग्रामीणों की संख्या में आठ हजार लोगों को जिले में रोजगार से जोड़ दिया गया है. नागौर जिले की तकरीबन 500 ग्राम पंचायतों में 23 हजार विकास कार्य स्वीकृत हुए हैं. वर्तमान समय में ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोग कोरोना से बचने के लिए रोजगार की तलाश में ग्रामीणों को उनके गांव में ही सरकार रोजगार मुहैया करवा रही है.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देशों के मुताबिक अब गांव में जल संरक्षण संबंधी कार्य मनरेगा के तहत कराए जाने लगे हैं. दूसरे राज्यों से आए प्रवासियों को भी नागौर जिलें मे उनकी स्थानीय पंचायतों में तालाब, सड़क, पटरी, नाली आदि की खुदाई के कार्य में रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. सरकार के प्रयास के चलते ही अब हर दिन मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यों में काम पाने वालों की संख्या में लगातार इजाफा किया जा रहा है.