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SPECIAL: उच्च गुणवत्ता का है नागौर में निकलने वाला लाइम स्टोन, दर्जनों उद्योगों की आधारभूत जरूरत, देशभर में मांग

नागौर में मकराना की खदानों से निकलने वाला सफेद संगमरमर देश-विदेश में अपनी चमक बिखेर रहा है, जबकि नागौर के खींवसर इलाके में पाया जाने वाला उच्च गुणवत्ता का लाइम स्टोन देशभर में फैले दर्जनों उद्योगों की पहली जरूरत है. नागौर की धरती से निकलने वाले लाइम स्टोन की मांग देशभर में है. जो अलग-अलग उद्योगों में काम में लिया जाता है. क्या खास बात है नागौर के लाइम स्टोन की, देखिए खास रिपोर्ट...

Best Lime Stone, Lime Stone of Nagaur
उच्च गुणवत्ता का है नागौर में निकलने वाला लाइम स्टोन
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Published : Oct 10, 2020, 10:38 PM IST

नागौर. जिले के मकराना से निकलने वाला सफेद संगमरमर अपनी चमक देश और दुनिया में बिखेर रहा है, लेकिन नागौर जिले के ही दूसरे छोर पर धरती से निकलने वाला एक और पत्थर आज देश में दर्जनभर से ज्यादा उद्योगों की मूलभूत जरूरत बन गया है. इस पत्थर को लाइम स्टोन के नाम से जाना जाता है. नागौर में खींवसर इलाके की खदानों से निकलने वाला लाइम स्टोन उच्च गुणवत्ता का माना जाता है. इसलिए देशभर में आज इसकी डिमांड बनी हुई है. सीमेंट, कांच, कपड़ा, चीनी उद्योग से लेकर करीब दर्जनभर उद्योग ऐसे हैं, जिनकी आधारभूत जरूरत नागौर का लाइम स्टोन है. एक अनुमान के मुताबिक देश का करीब 12 फीसदी लाइम स्टोन राजस्थान में निकलता है. इसमें नागौर की बड़ी हिस्सेदारी है.

उच्च गुणवत्ता का है नागौर में निकलने वाला लाइम स्टोन

जानकारों का कहना है कि नागौर जिले में खींवसर इलाके की खदानों से निकलने वाला लाइम स्टोन की गुणवत्ता देश के दूसरे हिस्सों से निकलने वाले लाइम स्टोन से काफी अच्छी है. इसलिए आज देशभर में नागौर के लाइम स्टोन की खासी मांग है. बताया जाता है कि यहां पाए जाने वाले लाइम स्टोन में 98 फीसदी कैल्शियम होता है, जबकि आयरन की मात्रा बिल्कुल नहीं होती है. इसलिए इसकी गुणवत्ता उच्च कोटि की मानी जाती है.

Best Lime Stone, Lime Stone of Nagaur
कई उद्योगों में करते हैं लाइम स्टोन का उपयोग

पढ़ें- स्पेशल: अलवर की मिट्टी से बनी मूर्तियां रखती हैं विशेष पहचान...कोरोना के चलते कामकाज ठप

खींवसर इलाके में कई ऐसी खदानें हैं, जहां सैंकड़ों फीट गहराई से लाइम स्टोन निकाला जा रहा है. नागौर में करीब 450 चूना भट्टे हैं, जहां खदानों से निकलने वाले लाइम स्टोन के भारी पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं और चूरा बनाया जाता है. हर एक भट्टे में करीब 300 से 400 मजदूर काम करते हैं. इसके अलावा खदानों से लाइम स्टोन निकालने की प्रक्रिया में भी काफी मजदूर लगे हुए हैं. ऐसे में नागौर का लाइम स्टोन उद्योग हजारों लोगों को रोजगार मुहैया करवा रहा है. मजदूरी के लिए बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से भी काफी लोग यहां आते हैं. इसके साथ ही चूना भट्टों में बड़ी मात्रा में कोयले की खपत भी होती है.

Best Lime Stone, Lime Stone of Nagaur
लाइम स्टोन की खदान

नागौर का लाइम स्टोन मुख्य रूप से सीमेंट प्लांट, कांच और मिट्टी के बर्तन निर्माण, रासायनिक और दवा उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन उद्योग, रासायनिक खाद उद्योग, स्टील उद्योग, चमड़ा उद्योग, कपड़ा उद्योग, कागज और चमड़े के उद्योग में प्रमुखता से काम मे लिया जाता है. इसके चलते कमोबेश देश के हर कोने में नागौर के लाइम स्टोन की खूब मांग रहती है. मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में नागौर के लाइम स्टोन की काफी खपत होती है.

लाइम स्टोन के प्रचुर भंडार होने के कारण खींवसर इलाके में चूने भट्टों के साथ ही मुर्गीदाना बनाने की भी कई फैक्ट्री लगी हैं. जिनमें लाइम स्टोन के बड़े पत्थरों को तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं. यह दाने कट्टों में भरकर देशभर में सप्लाई किए जा रहे हैं. मुर्गी पालन से जुड़े हुए लोग मुख्य रूप से इसके खरीदार होते हैं. कहा जाता है कि कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह मुर्गीदाना मुर्गियों के लिए पौष्टिक आहार का काम करता है.

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नागौर के खींवसर और जायल इलाके में लाइम स्टोन के प्रचुर भंडार हैं. खींवसर, पांचौड़ी, भेड़, भावण्डा, माणकपुर, टांकला, लालाप और गोवा कलां सहित दर्जनों गांवों में वर्तमान में लाइम स्टोन की खदानें हैं, जहां से लाखों टन लाइम स्टोन निकाला जा रहा है.

सीमेंट उद्योग की लाइम स्टोन पर निर्भरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मूंडवा में एक निजी कंपनी का प्लांट बनाने का काम चल रहा है. इसके अलावा देश की कई बड़ी सीमेंट कंपनियों की नजर भी नागौर के लाइम स्टोन पर है. सरकार समय-समय पर इन कंपनियों को बड़े लाइम स्टोन ब्लॉक की लीज भी जारी कर रही है.

जानकारों का कहना है कि खींवसर इलाके में लाइम स्टोन की खानों की लीज का आवंटन काफी पहले किया गया था. इसके बाद इससे जुड़े कई उद्योग पनपे हैं, लेकिन सरकार अब नई लीज जारी नहीं कर रही है. ऐसे में खींवसर क्षेत्र में लगे उद्योगों को कच्चा माल मिलने में परेशानी खड़ी हो रही है. बताया जा रहा है कि कई लोग बिना लीज के अवैध रूप से भी लाइम स्टोन निकालकर बेच रहे हैं, लेकिन यह लाइम स्टोन महंगा पड़ रहा है. ऐसे में अब यह मांग उठने लगी है कि सरकार को नए सिरे से लाइम स्टोन ब्लॉक की लीज आवंटन करने की दिशा में योजनाबद्ध तरीके से काम करने की दरकार है. खींवसर इलाके में छोटे किसानों को खनन लीज जारी करने की मांग लंबे समय से उठ रही है.

नागौर. जिले के मकराना से निकलने वाला सफेद संगमरमर अपनी चमक देश और दुनिया में बिखेर रहा है, लेकिन नागौर जिले के ही दूसरे छोर पर धरती से निकलने वाला एक और पत्थर आज देश में दर्जनभर से ज्यादा उद्योगों की मूलभूत जरूरत बन गया है. इस पत्थर को लाइम स्टोन के नाम से जाना जाता है. नागौर में खींवसर इलाके की खदानों से निकलने वाला लाइम स्टोन उच्च गुणवत्ता का माना जाता है. इसलिए देशभर में आज इसकी डिमांड बनी हुई है. सीमेंट, कांच, कपड़ा, चीनी उद्योग से लेकर करीब दर्जनभर उद्योग ऐसे हैं, जिनकी आधारभूत जरूरत नागौर का लाइम स्टोन है. एक अनुमान के मुताबिक देश का करीब 12 फीसदी लाइम स्टोन राजस्थान में निकलता है. इसमें नागौर की बड़ी हिस्सेदारी है.

उच्च गुणवत्ता का है नागौर में निकलने वाला लाइम स्टोन

जानकारों का कहना है कि नागौर जिले में खींवसर इलाके की खदानों से निकलने वाला लाइम स्टोन की गुणवत्ता देश के दूसरे हिस्सों से निकलने वाले लाइम स्टोन से काफी अच्छी है. इसलिए आज देशभर में नागौर के लाइम स्टोन की खासी मांग है. बताया जाता है कि यहां पाए जाने वाले लाइम स्टोन में 98 फीसदी कैल्शियम होता है, जबकि आयरन की मात्रा बिल्कुल नहीं होती है. इसलिए इसकी गुणवत्ता उच्च कोटि की मानी जाती है.

Best Lime Stone, Lime Stone of Nagaur
कई उद्योगों में करते हैं लाइम स्टोन का उपयोग

पढ़ें- स्पेशल: अलवर की मिट्टी से बनी मूर्तियां रखती हैं विशेष पहचान...कोरोना के चलते कामकाज ठप

खींवसर इलाके में कई ऐसी खदानें हैं, जहां सैंकड़ों फीट गहराई से लाइम स्टोन निकाला जा रहा है. नागौर में करीब 450 चूना भट्टे हैं, जहां खदानों से निकलने वाले लाइम स्टोन के भारी पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं और चूरा बनाया जाता है. हर एक भट्टे में करीब 300 से 400 मजदूर काम करते हैं. इसके अलावा खदानों से लाइम स्टोन निकालने की प्रक्रिया में भी काफी मजदूर लगे हुए हैं. ऐसे में नागौर का लाइम स्टोन उद्योग हजारों लोगों को रोजगार मुहैया करवा रहा है. मजदूरी के लिए बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से भी काफी लोग यहां आते हैं. इसके साथ ही चूना भट्टों में बड़ी मात्रा में कोयले की खपत भी होती है.

Best Lime Stone, Lime Stone of Nagaur
लाइम स्टोन की खदान

नागौर का लाइम स्टोन मुख्य रूप से सीमेंट प्लांट, कांच और मिट्टी के बर्तन निर्माण, रासायनिक और दवा उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन उद्योग, रासायनिक खाद उद्योग, स्टील उद्योग, चमड़ा उद्योग, कपड़ा उद्योग, कागज और चमड़े के उद्योग में प्रमुखता से काम मे लिया जाता है. इसके चलते कमोबेश देश के हर कोने में नागौर के लाइम स्टोन की खूब मांग रहती है. मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में नागौर के लाइम स्टोन की काफी खपत होती है.

लाइम स्टोन के प्रचुर भंडार होने के कारण खींवसर इलाके में चूने भट्टों के साथ ही मुर्गीदाना बनाने की भी कई फैक्ट्री लगी हैं. जिनमें लाइम स्टोन के बड़े पत्थरों को तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं. यह दाने कट्टों में भरकर देशभर में सप्लाई किए जा रहे हैं. मुर्गी पालन से जुड़े हुए लोग मुख्य रूप से इसके खरीदार होते हैं. कहा जाता है कि कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह मुर्गीदाना मुर्गियों के लिए पौष्टिक आहार का काम करता है.

पढ़ें- स्पेशल: गरीब बच्चों के सपनों को उड़ान दे रहा सुपर 30, तीस में से 28 बच्चों का IIT में सेलेक्शन

नागौर के खींवसर और जायल इलाके में लाइम स्टोन के प्रचुर भंडार हैं. खींवसर, पांचौड़ी, भेड़, भावण्डा, माणकपुर, टांकला, लालाप और गोवा कलां सहित दर्जनों गांवों में वर्तमान में लाइम स्टोन की खदानें हैं, जहां से लाखों टन लाइम स्टोन निकाला जा रहा है.

सीमेंट उद्योग की लाइम स्टोन पर निर्भरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मूंडवा में एक निजी कंपनी का प्लांट बनाने का काम चल रहा है. इसके अलावा देश की कई बड़ी सीमेंट कंपनियों की नजर भी नागौर के लाइम स्टोन पर है. सरकार समय-समय पर इन कंपनियों को बड़े लाइम स्टोन ब्लॉक की लीज भी जारी कर रही है.

जानकारों का कहना है कि खींवसर इलाके में लाइम स्टोन की खानों की लीज का आवंटन काफी पहले किया गया था. इसके बाद इससे जुड़े कई उद्योग पनपे हैं, लेकिन सरकार अब नई लीज जारी नहीं कर रही है. ऐसे में खींवसर क्षेत्र में लगे उद्योगों को कच्चा माल मिलने में परेशानी खड़ी हो रही है. बताया जा रहा है कि कई लोग बिना लीज के अवैध रूप से भी लाइम स्टोन निकालकर बेच रहे हैं, लेकिन यह लाइम स्टोन महंगा पड़ रहा है. ऐसे में अब यह मांग उठने लगी है कि सरकार को नए सिरे से लाइम स्टोन ब्लॉक की लीज आवंटन करने की दिशा में योजनाबद्ध तरीके से काम करने की दरकार है. खींवसर इलाके में छोटे किसानों को खनन लीज जारी करने की मांग लंबे समय से उठ रही है.

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