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ETV भारत Exclusive : बेनीवाल के लिए हो सकती है वर्चस्व की लड़ाई, हमारी तो 3 पीढ़ियां क्षेत्र की सेवा में : हरेंद्र मिर्धा - प्रत्याशी नारायण बेनीवाल

राजस्थान में दो सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान 21 अक्टूबर को होगा और मतगणना 24 अक्टूबर को की जाएगी. ऐसे में खींवसर से कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा को चुनावी मैदान में उतारा है, तो भाजपा-रालोपा गठबंधन के प्रत्याशी नारायण बेनीवाल हैं. दोनों की प्रत्याशी अपने-अपने चुनावी प्रचार में जुट गए है. चुनाव प्रचार के दौरान ईटीवी भारत से कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा ने खास बातचीत की.

Harendra Mirdha, Rajasthan congress, Khinwsar Assembly election,
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Published : Oct 12, 2019, 3:46 PM IST

खींवसर (नागौर). राजस्थान में दो सीटों पर उपचुनाव है. खींवसर और मंडावा विधानसभा में जहां सत्ताधारी दल कांग्रेस की प्रतिष्ठा इन चुनावों में दांव पर होगी. तो वहीं भाजपा इस पर दोबारा से भगवा फहराने के लिए कसरत कर रही है. खींसवर विधानसभा सीट पर जहां भाजपा- रालोप गठबंधन प्रत्याशी नारायण बेनीवाल मैदान में है तो कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा पर दाव खेला है. कांग्रेस प्रत्याशी अपने चुनावी प्रचार में जुट गए है. ऐसे में ईटीवी भारत ने उनसे चुनाव सहित कई मुद्दों पर बात की.

(पार्ट-1) खींवसर से कांग्रेस प्रत्यााशी हरेंद्र मिर्धा से बातचीत

स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर जीते जाते चुनाव: मिर्धा
खींवसर में प्रचार के दौरान ईटीवी भारत से खास बात करते हुए हरेंद्र मिर्धा ने कहा कि परिसीमन से पहले यह सीट मूंडवा होती थी. जो कांग्रेस का गढ़ रही थी और वह खुद ही सीट से चुनाव जीते थे. यहां के स्थानीय भी हैं. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस ही जीतेगी. वहीं सरकार के काम के आधार पर जीत की बात पर उन्होंने कहा कि पहले कि उपचुनाव का रिकॉर्ड देखा जाए तो साफ है कि उपचुनाव केवल सरकार के नाम पर आधार पर नहीं बल्कि स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर जीते जाते हैं. वैसे भी राजस्थान में सरकार बने केवल 9 महीने का समय हुआ है. जिसमें ज्यादातर समय दो आचार संहिता में चला गया. ऐसे में इन सीटों के परिणामों को सरकार का रेफरेंस नहीं माना जा सकता है.

पढ़ें- विधानसभा उप चुनाव: खींवसर में शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी... उपचुनाव में यही होंगे मुख्य मुद्दे

वर्चस्व की लड़ाई हर चुनाव में होती है: मिर्धा
मिर्धा ने लगातार तीन बार इस सीट पर कांग्रेस के चुनाव हारने पर कहा कि यह सिर्फ पहले कांग्रेस का गढ़ रही थी. लेकिन जातिगत समीकरणों के बिगड़ जाने से सीट पर जो त्रिकोणीय मुकाबला हुआ. उसमें कांग्रेस को नुकसान रहा. लेकिन अब की बार दोनों ही उम्मीदवार एक कास्ट के हैं और चुनाव आमने सामने का है. ऐसे में कांग्रेस को सीधा फायदा होगा. मिर्धा परिवार और बेनीवाल परिवार के बीच नागौर में वर्चस्व की लड़ाई के सवाल पर हरेंद्र मिर्धा ने कहा की वर्चस्व की लड़ाई हर चुनाव में होती है. इसमें भी है. मिर्धा परिवार यहां तीन पीढ़ियों से है. ऐसे में कई बार एंटी एस्टेब्लिशमेंट हो जाने के चलते हमें कुछ चुनाव में हार मिली. लेकिन हार का मार्जिन कभी इतना नहीं रहा कि कहा जा सकें कि जनता हमें नकार रही है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों से हमारा हमेशा प्रेम रहा है और जनता भी उन्हें प्रेम देती रही है. मिर्धा ने कहा कि सर्वाइवल की लड़ाई तो सामने वाली पार्टी के लिए है. हमारी तो तीन पीढ़ियां क्षेत्र में सेवा कर रही है. इसी के चलते कांग्रेस ने सोच-समझकर यह टिकट मुझे दिया है.

(पार्ट-2) खींवसर से कांग्रेस प्रत्यााशी हरेंद्र मिर्धा से बातचीत

स्टेट पॉलिटिक्स से अनुच्छेद 370 का कोई लेना देना नहीं: मिर्धा
वहीं अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर चुनाव होने की बात पर उन्होंने साफ इनकार करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने का स्टेट पॉलिटिक्स से कोई लेना देना नहीं है, यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है और क्योंकि यह राष्ट्रीय हित से जुड़ा था तो इस पर कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया. वहीं इन उपचुनाव में यह भी कहा जा रहा है कि अगर हरेंद्र मिर्धा चुनाव जीते हैं तो ऐसे में उन्हें मंत्री भी बनाया जा सकता है. लेकिन हरेंद्र मिर्धा ने इस बात पर कहा कि मंत्री कौन होगा यह केवल मुख्यमंत्री का क्षेत्राधिकार है. वहीं राजस्थान में कांग्रेस में अंतर कलह और खींवसर में भी अंतर कलह के सवाल के जवाब में मिर्जा ने साफगोई से कहा कि अंतर्गत हर पार्टी में होता है. यह तो हर परिवार यहां तक कि पति-पत्नी में भी आपसी झगड़े हो जाते हैं और हम राजनीति में हैं. इसमें महत्वाकांक्षा होती है. अलग-अलग क्लास होती है इंटरेस्ट और पर्सनालिटी होती है. लेकिन इसे गलत नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि पार्टी में अगर छोटी मोटी नाराजगी आपस में होती है तो इसका मतलब साफ है कि क्षेत्र में पार्टी जिंदा है.

पढ़ें- खींवसर से भाजपा-आरएलपी गठबंधन के लिए बुरी खबर...मंडल अध्यक्ष सहित 50 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने थामा कांग्रेस का हाथ

हमारी डिमांड कर पार्टी तुरंत भेज रही नेता: मिर्धा
वहीं एक ओर जहां रालोप के पक्ष में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और भाजपा के दिग्गज नेता लगातार कैंप और प्रचार करने में जुटे हैं और उनकी पार्टी के बड़े नेता अब तक खींवसर नहीं आए हैं. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों सीटें कांग्रेस अपनी विचारधारा कांग्रेस लीडरशिप जो राजस्थान और केंद्र में है. उनके विजन के आधार पर जीतेगी, लेकिन स्टार प्रचार को और बड़े नेताओं के नहीं आने पर उन्होंने कहा कि स्थानीय नेताओं की यहां पर सबसे ज्यादा जरूरत है. जो नेता इस सीट पर चुनाव लड़े, जिनका यहां प्रभाव है. वह सब नेता एक साथ मिलकर खींवसर में प्रचार कर रहे हैं. इस सीट पर चुनाव लड़े सवाई सिंह उनके साथ है. नागौर से लोकसभा का चुनाव लड़ी ज्योति मिर्धा भी उनके साथ प्रचार कर रही हैं. बाकी नेता यहां आकर कुछ खास योगदान दे नहीं सकते और किसी जाति विशेष के नेता या प्रभावशाली नेता कि हम डिमांड कर रहे हैं तो पार्टी उसे तुरंत भेज भी रही है.

(पार्ट-3) खींवसर से कांग्रेस प्रत्यााशी हरेंद्र मिर्धा से बातचीत

18 साल के युवा को वोट देने का अधिकारी कांग्रेस ने दिलाया: मिर्धा
उधर, चुनाव युवाओं और तजुर्बे के बीच हो रहा है इस सवाल के जवाब पर हरेंद्र मिर्धा ने कहा कि 18 साल के युवा को वोट देने का अधिकार देने वाली कांग्रेस पार्टी ही थी. आज के युवाओं को सोशल मीडिया के दुरुपयोग के चलते पता नहीं है कि देश की आजादी के लिए कांग्रेस ने क्या योगदान किया. युवाओं को केवल बरगलाया जा रहा है. लेकिन अब की बार खींवसर का युवा यह बात समझ रहा है और तजुर्बे के साथ ही यंग जनरेशन का भी उन्हें पर्याप्त सहयोग मिल रहा है. जिसके चलते कांग्रेस सीट पर चुनाव जीतेगी.

पढ़ें- हनुमान बेनीवाल ने हर बार दादागिरी से जीता चुनाव, इस बार पता चलेगा मुकाबला क्या होता है : हरेंद्र मिर्धा

सीएम और डिप्टी सीएम में परफेक्ट कांबिनेशन: मिर्धा
वहीं मिर्धा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच चल रहे शीतयुद्ध को भी केवल मीडिया की उपज बताते हुए कहा कि दोनों नेता परफेक्ट कांबिनेशन के साथ काम कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सरकार पूरी तरीके से एकजुट है. वहीं इस मुकाबले पर उन्होंने कहा कि हर चुनाव में मुकाबला होता है चाहे वह सरपंच का हो पार्लिमेंट का हो या विधानसभा का. क्योंकि चुनाव में उन्हें लोगों से डील करना होता है. जो दिन में 4 बार अपना मूड बदलते हैं. वह कई बात पर इंप्रेस भी होते हैं तो कई बात पर नाराज भी. ऐसे में इस सीट पर जीतेगी कांग्रेस लेकिन मार्जिन कितना होगा. इसे लेकर वह अभी कुछ कह नहीं सकते.

खींवसर (नागौर). राजस्थान में दो सीटों पर उपचुनाव है. खींवसर और मंडावा विधानसभा में जहां सत्ताधारी दल कांग्रेस की प्रतिष्ठा इन चुनावों में दांव पर होगी. तो वहीं भाजपा इस पर दोबारा से भगवा फहराने के लिए कसरत कर रही है. खींसवर विधानसभा सीट पर जहां भाजपा- रालोप गठबंधन प्रत्याशी नारायण बेनीवाल मैदान में है तो कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा पर दाव खेला है. कांग्रेस प्रत्याशी अपने चुनावी प्रचार में जुट गए है. ऐसे में ईटीवी भारत ने उनसे चुनाव सहित कई मुद्दों पर बात की.

(पार्ट-1) खींवसर से कांग्रेस प्रत्यााशी हरेंद्र मिर्धा से बातचीत

स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर जीते जाते चुनाव: मिर्धा
खींवसर में प्रचार के दौरान ईटीवी भारत से खास बात करते हुए हरेंद्र मिर्धा ने कहा कि परिसीमन से पहले यह सीट मूंडवा होती थी. जो कांग्रेस का गढ़ रही थी और वह खुद ही सीट से चुनाव जीते थे. यहां के स्थानीय भी हैं. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस ही जीतेगी. वहीं सरकार के काम के आधार पर जीत की बात पर उन्होंने कहा कि पहले कि उपचुनाव का रिकॉर्ड देखा जाए तो साफ है कि उपचुनाव केवल सरकार के नाम पर आधार पर नहीं बल्कि स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर जीते जाते हैं. वैसे भी राजस्थान में सरकार बने केवल 9 महीने का समय हुआ है. जिसमें ज्यादातर समय दो आचार संहिता में चला गया. ऐसे में इन सीटों के परिणामों को सरकार का रेफरेंस नहीं माना जा सकता है.

पढ़ें- विधानसभा उप चुनाव: खींवसर में शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी... उपचुनाव में यही होंगे मुख्य मुद्दे

वर्चस्व की लड़ाई हर चुनाव में होती है: मिर्धा
मिर्धा ने लगातार तीन बार इस सीट पर कांग्रेस के चुनाव हारने पर कहा कि यह सिर्फ पहले कांग्रेस का गढ़ रही थी. लेकिन जातिगत समीकरणों के बिगड़ जाने से सीट पर जो त्रिकोणीय मुकाबला हुआ. उसमें कांग्रेस को नुकसान रहा. लेकिन अब की बार दोनों ही उम्मीदवार एक कास्ट के हैं और चुनाव आमने सामने का है. ऐसे में कांग्रेस को सीधा फायदा होगा. मिर्धा परिवार और बेनीवाल परिवार के बीच नागौर में वर्चस्व की लड़ाई के सवाल पर हरेंद्र मिर्धा ने कहा की वर्चस्व की लड़ाई हर चुनाव में होती है. इसमें भी है. मिर्धा परिवार यहां तीन पीढ़ियों से है. ऐसे में कई बार एंटी एस्टेब्लिशमेंट हो जाने के चलते हमें कुछ चुनाव में हार मिली. लेकिन हार का मार्जिन कभी इतना नहीं रहा कि कहा जा सकें कि जनता हमें नकार रही है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों से हमारा हमेशा प्रेम रहा है और जनता भी उन्हें प्रेम देती रही है. मिर्धा ने कहा कि सर्वाइवल की लड़ाई तो सामने वाली पार्टी के लिए है. हमारी तो तीन पीढ़ियां क्षेत्र में सेवा कर रही है. इसी के चलते कांग्रेस ने सोच-समझकर यह टिकट मुझे दिया है.

(पार्ट-2) खींवसर से कांग्रेस प्रत्यााशी हरेंद्र मिर्धा से बातचीत

स्टेट पॉलिटिक्स से अनुच्छेद 370 का कोई लेना देना नहीं: मिर्धा
वहीं अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर चुनाव होने की बात पर उन्होंने साफ इनकार करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के हटाए जाने का स्टेट पॉलिटिक्स से कोई लेना देना नहीं है, यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है और क्योंकि यह राष्ट्रीय हित से जुड़ा था तो इस पर कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया. वहीं इन उपचुनाव में यह भी कहा जा रहा है कि अगर हरेंद्र मिर्धा चुनाव जीते हैं तो ऐसे में उन्हें मंत्री भी बनाया जा सकता है. लेकिन हरेंद्र मिर्धा ने इस बात पर कहा कि मंत्री कौन होगा यह केवल मुख्यमंत्री का क्षेत्राधिकार है. वहीं राजस्थान में कांग्रेस में अंतर कलह और खींवसर में भी अंतर कलह के सवाल के जवाब में मिर्जा ने साफगोई से कहा कि अंतर्गत हर पार्टी में होता है. यह तो हर परिवार यहां तक कि पति-पत्नी में भी आपसी झगड़े हो जाते हैं और हम राजनीति में हैं. इसमें महत्वाकांक्षा होती है. अलग-अलग क्लास होती है इंटरेस्ट और पर्सनालिटी होती है. लेकिन इसे गलत नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि पार्टी में अगर छोटी मोटी नाराजगी आपस में होती है तो इसका मतलब साफ है कि क्षेत्र में पार्टी जिंदा है.

पढ़ें- खींवसर से भाजपा-आरएलपी गठबंधन के लिए बुरी खबर...मंडल अध्यक्ष सहित 50 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने थामा कांग्रेस का हाथ

हमारी डिमांड कर पार्टी तुरंत भेज रही नेता: मिर्धा
वहीं एक ओर जहां रालोप के पक्ष में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और भाजपा के दिग्गज नेता लगातार कैंप और प्रचार करने में जुटे हैं और उनकी पार्टी के बड़े नेता अब तक खींवसर नहीं आए हैं. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों सीटें कांग्रेस अपनी विचारधारा कांग्रेस लीडरशिप जो राजस्थान और केंद्र में है. उनके विजन के आधार पर जीतेगी, लेकिन स्टार प्रचार को और बड़े नेताओं के नहीं आने पर उन्होंने कहा कि स्थानीय नेताओं की यहां पर सबसे ज्यादा जरूरत है. जो नेता इस सीट पर चुनाव लड़े, जिनका यहां प्रभाव है. वह सब नेता एक साथ मिलकर खींवसर में प्रचार कर रहे हैं. इस सीट पर चुनाव लड़े सवाई सिंह उनके साथ है. नागौर से लोकसभा का चुनाव लड़ी ज्योति मिर्धा भी उनके साथ प्रचार कर रही हैं. बाकी नेता यहां आकर कुछ खास योगदान दे नहीं सकते और किसी जाति विशेष के नेता या प्रभावशाली नेता कि हम डिमांड कर रहे हैं तो पार्टी उसे तुरंत भेज भी रही है.

(पार्ट-3) खींवसर से कांग्रेस प्रत्यााशी हरेंद्र मिर्धा से बातचीत

18 साल के युवा को वोट देने का अधिकारी कांग्रेस ने दिलाया: मिर्धा
उधर, चुनाव युवाओं और तजुर्बे के बीच हो रहा है इस सवाल के जवाब पर हरेंद्र मिर्धा ने कहा कि 18 साल के युवा को वोट देने का अधिकार देने वाली कांग्रेस पार्टी ही थी. आज के युवाओं को सोशल मीडिया के दुरुपयोग के चलते पता नहीं है कि देश की आजादी के लिए कांग्रेस ने क्या योगदान किया. युवाओं को केवल बरगलाया जा रहा है. लेकिन अब की बार खींवसर का युवा यह बात समझ रहा है और तजुर्बे के साथ ही यंग जनरेशन का भी उन्हें पर्याप्त सहयोग मिल रहा है. जिसके चलते कांग्रेस सीट पर चुनाव जीतेगी.

पढ़ें- हनुमान बेनीवाल ने हर बार दादागिरी से जीता चुनाव, इस बार पता चलेगा मुकाबला क्या होता है : हरेंद्र मिर्धा

सीएम और डिप्टी सीएम में परफेक्ट कांबिनेशन: मिर्धा
वहीं मिर्धा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच चल रहे शीतयुद्ध को भी केवल मीडिया की उपज बताते हुए कहा कि दोनों नेता परफेक्ट कांबिनेशन के साथ काम कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सरकार पूरी तरीके से एकजुट है. वहीं इस मुकाबले पर उन्होंने कहा कि हर चुनाव में मुकाबला होता है चाहे वह सरपंच का हो पार्लिमेंट का हो या विधानसभा का. क्योंकि चुनाव में उन्हें लोगों से डील करना होता है. जो दिन में 4 बार अपना मूड बदलते हैं. वह कई बात पर इंप्रेस भी होते हैं तो कई बात पर नाराज भी. ऐसे में इस सीट पर जीतेगी कांग्रेस लेकिन मार्जिन कितना होगा. इसे लेकर वह अभी कुछ कह नहीं सकते.

Intro:परिसीमन से पहले कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी खींवसर यहां से मैं भी चुनाव जीता अब पार्टी नहीं सोच समझ कर दिया मुझे टिकट कांग्रेस को मिलेगी इस सीट पर जीत पहले कॉस्ट कॉन्बिनेशन खराब होने के चलते कांग्रेस को मिली हार अब आमने-सामने के मुकाबले में पता चलेगा विरोधियों को बाहर से प्रचार करने वालों की जरूरत होगी हनुमान बेनीवाल को हम तीन पीढ़ी से कर रहे हैं नागौर की जनता की सेवा जनता ही दिलाएगी जीत 370 राष्ट्रीय हित का मुद्दा था इस पर कांग्रेस ने भी समर्थन दिया लेकिन उपचुनाव होंगे केवल स्थानीय मुद्दों पर वही सर्वाइकल की लड़ाई तो यह बेनीवाल परिवार के लिए हम दो तीन पीढ़ियों से कर रहे हैं खींवसर की जनता की सेवा जनता हमारे काम को देखते हुए देगी वोट_ हरेंद्र मिर्धा


Body:राजस्थान में 2 सीटों के अनुसार और मंडावा में उपचुनाव होने हैं लेकिन खींवसर सीट को एक बार फिर से और सीट माना जा रहा है जिस पर न केवल राजधानी जयपुर बल्कि दिल्ली की भी पैनी नजर है जहां भाजपा ने यह सीट हनुमान बेनीवाल कीड़ा लोपा को गठबंधन में समझौते के तहत दी है जिस पर फायर ब्रांड जाट नेता हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल चुनाव लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी इस सीट पर पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा पर दांव खेला है जो पूर्व विधानसभा स्पीकर और केंद्रीय मंत्री रहे नागौर के दिग्गज जाट नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे हैं कांग्रेस हरेंद्र मिर्धा और मिर्धा परिवार के सहारे परिसीमन से पहले कांग्रेस का गढ़ रही लेकिन लगातार तीन बार से हाथ से निकल रही इस सीट पर पार पाना चाहती है हरेंद्र मिर्धा भी लगातार अपने स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर खींवसर में जबरदस्त प्रचार में जुटे हैं खींवसर में प्रचार के दौरान ईटीवी भारत से खास बात करते हुए हरेंद्र मिर्धा ने कहा कि परिसीमन से पहले यह सीट मूंडवा होती थी जो कांग्रेस का गढ़ रही थी और वह खुद ही सीट से चुनाव जीते थे यहां के स्थानीय भी हैं ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस ही जीतेगी वही सरकार के काम के आधार पर जीत की बात पर उन्होंने कहा कि पहले कि उपचुनाव का रिकॉर्ड देखा जाए तो साफ है कि उपचुनाव केवल सरकार के नाम पर आधार पर नहीं बल्कि स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर जीते जाते हैं वैसे भी राजस्थान में सरकार बने केवल 9 महीने का समय हुआ है जिसमें ज्यादातर समय दो आचार संहिता में चला गया ऐसे में इन सीटों के परिणामों को सरकार का रिफरेंस नहीं माना जा सकता है मृदा ने लगातार तीन बार इस सीट पर कांग्रेस के चुनाव हारने पर कहा कि यह सिर्फ पहले कांग्रेस का गढ़ रही थी लेकिन जातिगत समीकरणों के बगड़ जाने से सीट पर जो त्रिकोणीय मुकाबला हुआ उसमें कांग्रेस को नुकसान रहा लेकिन अब की बार दोनों ही उम्मीदवार एक कास्ट के हैं और चुनाव आमने सामने का है ऐसे में कांग्रेस को सीधा फायदा होगा मिर्धा परिवार और बेनीवाल परिवार के बीच नागौर में वर्चस्व की लड़ाई के सवाल पर हरेंद्र मिर्धा ने कहा की वर्चस्व की लड़ाई हर चुनाव में होती है इसमें भी है मिर्जा परिवार यहां तीन पीढ़ियों से है ऐसे में कई बार एंटी एस्टेब्लिशमेंट हो जाने के चलते हमें कुछ चुनाव मैं हार मिली लेकिन हार का मार्जिन कभी इतना नहीं रहा कि कहा जा सके कि जनता हमें नकार रही है क्षेत्र के लोगों से हमारा हमेशा प्रेम रहा है और जनता भी उन्हें प्रेम देती रही है मिर्जा ने कहा कि सर्वाइवल की लड़ाई तो सामने वाली पार्टी के लिए है हमारी तो तीन पीढ़ियां क्षेत्र में सेवा कर रही है इसी के चलते कांग्रेस ने सोच-समझकर यह टिकट मुझे दिया है वहीं धारा 370 के मुद्दे पर चुनाव होने की बात पर उन्होंने साफ इंकार करते हुए कहा कि धारा 370 के हटाए जाने का स्टेट पॉलिटिक्स से कोई लेना देना नहीं है यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है और क्योंकि यह राष्ट्रीय हित से जुड़ा था तो इस पर कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया वहीं इन उपचुनाव में यह भी कहा जा रहा है कि अगर हरेंद्र मिर्धा चुनाव जीते हैं तो ऐसे में उन्हें मंत्री भी बनाया जा सकता है लेकिन हरेंद्र मिर्धा ने इस बात पर कहा कि मंत्री कौन होगा यह केवल मुख्यमंत्री का क्षेत्राधिकार है वही राजस्थान में कांग्रेस में अंतर कलह और खींवसर में भी अंतर कला के सवाल के जवाब में मिर्जा ने साफगोई से कहा कि अंतर्गत हर पार्टी में होता है यह तो हर परिवार यहां तक कि पति-पत्नी में भी आपसी झगड़े हो जाते हैं और हम राजनीति में हैं इसमें महत्वाकांक्षा होती है अलग-अलग क्लास होती है इंटरेस्ट और पर्सनैलिटी होती है लेकिन इसे गलत नहीं कहा जा सकता है क्योंकि पार्टी में अगर छोटी मोटी नाराजगी आपस में होती है तो इसका मतलब साफ है कि क्षेत्र में पार्टी जिंदा है वही एक और जहां गालों पर के पक्ष में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और भाजपा के दिग्गज नेता लगातार कैंप और प्रचार करने में जुटे हैं और उनकी पार्टी के बड़े नेता अब तक खींवसर नहीं आए हैं इस सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों सीटें कांग्रेस अपनी विचारधारा कांग्रेस लीडरशिप जो राजस्थान और केंद्र में है उनके विजन के आधार पर जीतेगी लेकिन स्टार प्रचार को और बड़े नेताओं के नहीं आने पर उन्होंने कहा कि स्थानीय नेताओं की यहां पर सबसे ज्यादा जरूरत है जो नेता इस सीट पर चुनाव लड़े जिनका यहां प्रभाव है वह सब नेता एक साथ मिलकर खींवसर में प्रचार कर रहे हैं इस सीट पर चुनाव लड़े सवाई सिंह उनके साथ है नागौर से लोकसभा का चुनाव लड़ी ज्योति मिर्धा भी उनके साथ प्रचार कर रही हैं बाकी नेता यहां आकर कुछ खास योगदान देवी नहीं सकते और किसी जाति विशेष के नेता या प्रभावशाली नेता कि हम डिमांड कर रहे हैं तो पार्टी उसे तुरंत भेज भी रही है उधर खींवसर लोकसभा चुनाव करीब 55 हजार के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव एक अलग आधार पर हुआ था लेकिन अब स्थानीय मुद्दों पर चुनाव होगा उधर लगातार इस सीट पर लड़ाई को दो जाट दिग्गजों के बीच तो माना ही जा रहा है इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि यह चुनाव युवाओं और तजुर्बे के बीच हो रहा है इस सवाल के जवाब पर हरेंद्र मिर्धा ने कहा कि 18 साल के युवा को वोट देने का अधिकार देने वाली कांग्रेस पार्टी ही थी आज के युवाओं को सोशल मीडिया के दुरुपयोग के चलते पता नहीं है कि देश की आजादी के लिए कांग्रेस ने क्या खोज किया उन्हें केवल बरगलाया जा रहा है लेकिन अब की बार खींवसर का युवा यह बात समझ रहा है और तजुर्बे के साथ ही यंग जनरेशन का भी उन्हें पर्याप्त सहयोग मिल रहा है जिसके चलते कांग्रेस सीट पर चुनाव जीतेगी वही मिर्धा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच चल रहे शीतयुद्ध को भी केवल मीडिया की उपज बताते हुए कहा कि दोनों नेता परफेक्ट कांबिनेशन के साथ काम कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सरकार पूरी तरीके से एकजुट है वही रामेश्वर डूडी और आरसी के चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि आज चुनाव का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं होता है मिला ने माना कि हर चुनाव में मुकाबला का होता है चाहे वह सरपंच का हो पार्लिमेंट का हो या विधानसभा का क्योंकि चुनाव में उन्हें लोगों से डील करना होता है जो दिन में 4 बार अपना मूड बदलते हैं वह कई बात पर इंप्रेस भी होते हैं तो कई बात पर नाराज भी ऐसे में इस सीट पर जीतेगी कांग्रेस लेकिन मार्जिन कितना होगा इसे लेकर वह अभी कुछ कह नहीं सकते
121 हरेंद्र मिर्धा खींवसर से


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