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नागौर : CEO जवाहर लाल चौधरी और मनोज कुमार ने जेएलएन अस्पताल का किया निरीक्षण - जेएलएन अस्पताल में कोरोना की व्यवस्थाएं

नागौर के जेएएलएन अस्पताल में मरीजों को अब चारपाई पर लेटा कर उनका इलाज किया जा रहा है. जबकि जिले की स्थिति को लेकर हुई समीक्षा बैठक में सीएमएचओ ने पूरे जिले में पर्याप्त बेड होने की बात कही थी.

नागौर हिंदी न्यूज, Corona arrangements at JLN Hospital
CEO जवाहर लाल चौधरी और मनोज कुमार ने जेएलएन अस्पताल का किया निरीक्षण
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Published : Apr 23, 2021, 6:01 PM IST

नागौर. जिले का सबसे बड़ा अस्पताल जेएलएन यहां कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी तो अस्पताल प्रबंधन ने टेंट से खाट मंगाई और मरीजों को उन पर ही लेटाकर इलाज शुरू कर दिया. ये स्थिति तब है जब समीक्षा बैठक में सीएमएचओ ने बताया कि पूरे जिले में पर्याप्त बेड हैं.

CEO जवाहर लाल चौधरी और मनोज कुमार ने जेएलएन अस्पताल का किया निरीक्षण

अधिकारियों के मुताबिक इस अस्पताल में कोरोना का सबसे बड़ा वार्ड है. जिसमें 200 बेड हैं. वहीं मरीजों को चारपाई पर लेटा कर इलाज करने और वार्ड में ऑक्सीजन की कमी शिकायत पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी और अतिरिक्त जिला कलेक्टर मनोज कुमार, SDM अमित चौधरी नागौर के जेएलएन अस्पताल नागौर पहुंचे और यहां पर व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

यहां पर दोनों अधिकारियों ने मरीजों से भी उनकी समस्याओं को जाना. इसके साथ ही मौके पर ही समस्याओं के निस्तारण को लेकर अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए.

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने मीडिया से कहा कि नागौर के जेएलएन अस्पताल में मरीजों की ओर से कुछ समस्याओं के बारे में बताया गया है जिनके बारे में अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों को त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही मरीजों को मेडिकल बेड की जगह चारपाई पर लेटाने के मामले में भी अधिकारियों से जवाब मांगा गया है.

उन्होंने कहा कि जिले में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं आने दी जाएगी. जिला प्रशासन की ओर से आस-पास के जिलों से भी ऑक्सीजन सिलेंडर के इंतजाम किए गए हैं. जरूरत पड़ने पर पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवा लिए जाएंगे.

उन्होंने ने कहा कि नागौर जिले में पांच जगह कोविड केयर सेंटर बनाए गए हैं. सभी जगह चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है. जिले में कोरोना संक्रमित किसी भी मरीज के इलाज में किसी तरह की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी.

सीएमएचओ डॉ. मेहराम महिया ने बताया कि जिले के राजकीय और निजी चिकित्सालयों में 471 बेड उपलब्ध हैं. गंभीर मरीजों के लिए 160 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड, 67 आइसीयू और वेंटीलेंटर हैं. सभी राजकीय चिकित्सालयों में 593 आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं. पुराने अस्पताल में 50 और भास्कर अस्पताल में 35 बेड उपलब्ध हैं.

डीडवाना में ऑक्सीजन उत्पादन शुरू हो गया है. कुचामन और लाडनूं में ऑक्सीजन मेन फोल्ड रूम बनाया गया है. अधिकारियों ने बताया कि अभी जेएलएन अस्पताल में कोरोना के 68 मरीज भर्ती हैं, 132 बेड खाली हैं. जिले में 60 कोरोना संक्रमित रोगी रिकवर हुए हैं, जिन्हें मिलाकर अब तक जिले में कुल 10,962 लोग रिकवर हो चुके हैं.

पढ़ें- ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर केंद्र सरकार कर रही भेदभाव, गहलोत सरकार ने HC में पेश किया शपथ पत्र

वहीं जिले में कुल एक्टिव केसों की संख्या 982 हो गई है. कोरोना की अगर यही रफ्तार रही तो शनिवार तक एक्टिव मरीजों का आंकड़ा भी 1000 पार यानी चार अंकों में पहुंच जाएगा. JLN हॉस्पिटल नागौर में अभी 72 कोरोना मरीज भर्ती हैं. इनमें से 55 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं तो वहीं 2 मरीजों को बाइपेप मशीन पर रखा हुआ है. कोरोना पीड़ित एक मरीज को 5 दिनों में 6 इंजेक्शन डोज की जरूरत पड़ती है.

मेडिकल जानकारों का मानना है कि अगर जरूरतमंद कोरोना मरीजों को जल्द ही रेमडेसिवीर इंजेक्शन नहीं लगाए गए तो उनके फेंफड़ों में नुकसान पहुंच सकता है. जानकारी के अनुसार रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई जयपुर से होती है, लेकिन बड़े शहरों में तेजी से हो रहे कोरोना संक्रमण के फैलाव के बाद अब रेमडेसिवीर इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है. इस कारण जिले में सप्लाई नहीं हो पा रही है.

नागौर. जिले का सबसे बड़ा अस्पताल जेएलएन यहां कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी तो अस्पताल प्रबंधन ने टेंट से खाट मंगाई और मरीजों को उन पर ही लेटाकर इलाज शुरू कर दिया. ये स्थिति तब है जब समीक्षा बैठक में सीएमएचओ ने बताया कि पूरे जिले में पर्याप्त बेड हैं.

CEO जवाहर लाल चौधरी और मनोज कुमार ने जेएलएन अस्पताल का किया निरीक्षण

अधिकारियों के मुताबिक इस अस्पताल में कोरोना का सबसे बड़ा वार्ड है. जिसमें 200 बेड हैं. वहीं मरीजों को चारपाई पर लेटा कर इलाज करने और वार्ड में ऑक्सीजन की कमी शिकायत पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी और अतिरिक्त जिला कलेक्टर मनोज कुमार, SDM अमित चौधरी नागौर के जेएलएन अस्पताल नागौर पहुंचे और यहां पर व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

यहां पर दोनों अधिकारियों ने मरीजों से भी उनकी समस्याओं को जाना. इसके साथ ही मौके पर ही समस्याओं के निस्तारण को लेकर अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए.

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने मीडिया से कहा कि नागौर के जेएलएन अस्पताल में मरीजों की ओर से कुछ समस्याओं के बारे में बताया गया है जिनके बारे में अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों को त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही मरीजों को मेडिकल बेड की जगह चारपाई पर लेटाने के मामले में भी अधिकारियों से जवाब मांगा गया है.

उन्होंने कहा कि जिले में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं आने दी जाएगी. जिला प्रशासन की ओर से आस-पास के जिलों से भी ऑक्सीजन सिलेंडर के इंतजाम किए गए हैं. जरूरत पड़ने पर पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवा लिए जाएंगे.

उन्होंने ने कहा कि नागौर जिले में पांच जगह कोविड केयर सेंटर बनाए गए हैं. सभी जगह चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है. जिले में कोरोना संक्रमित किसी भी मरीज के इलाज में किसी तरह की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी.

सीएमएचओ डॉ. मेहराम महिया ने बताया कि जिले के राजकीय और निजी चिकित्सालयों में 471 बेड उपलब्ध हैं. गंभीर मरीजों के लिए 160 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड, 67 आइसीयू और वेंटीलेंटर हैं. सभी राजकीय चिकित्सालयों में 593 आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं. पुराने अस्पताल में 50 और भास्कर अस्पताल में 35 बेड उपलब्ध हैं.

डीडवाना में ऑक्सीजन उत्पादन शुरू हो गया है. कुचामन और लाडनूं में ऑक्सीजन मेन फोल्ड रूम बनाया गया है. अधिकारियों ने बताया कि अभी जेएलएन अस्पताल में कोरोना के 68 मरीज भर्ती हैं, 132 बेड खाली हैं. जिले में 60 कोरोना संक्रमित रोगी रिकवर हुए हैं, जिन्हें मिलाकर अब तक जिले में कुल 10,962 लोग रिकवर हो चुके हैं.

पढ़ें- ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर केंद्र सरकार कर रही भेदभाव, गहलोत सरकार ने HC में पेश किया शपथ पत्र

वहीं जिले में कुल एक्टिव केसों की संख्या 982 हो गई है. कोरोना की अगर यही रफ्तार रही तो शनिवार तक एक्टिव मरीजों का आंकड़ा भी 1000 पार यानी चार अंकों में पहुंच जाएगा. JLN हॉस्पिटल नागौर में अभी 72 कोरोना मरीज भर्ती हैं. इनमें से 55 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं तो वहीं 2 मरीजों को बाइपेप मशीन पर रखा हुआ है. कोरोना पीड़ित एक मरीज को 5 दिनों में 6 इंजेक्शन डोज की जरूरत पड़ती है.

मेडिकल जानकारों का मानना है कि अगर जरूरतमंद कोरोना मरीजों को जल्द ही रेमडेसिवीर इंजेक्शन नहीं लगाए गए तो उनके फेंफड़ों में नुकसान पहुंच सकता है. जानकारी के अनुसार रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई जयपुर से होती है, लेकिन बड़े शहरों में तेजी से हो रहे कोरोना संक्रमण के फैलाव के बाद अब रेमडेसिवीर इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है. इस कारण जिले में सप्लाई नहीं हो पा रही है.

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