खींवसर (नागौर). हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहे जाने वाली खींवसर सीट पर उपचुनाव है. हनुमान बेनीवाल से नागौर से सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई है. ऐसे में भाजपा-आरएलपी गठबंधन ने बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. खुद का गढ़ कहे जाने वाली खींवसर सीट पर अब हनुमान बेनीवाल के लिए चुनाव नाक की लड़ाई हो गई है. जिसके चलते खुद बेनीवाल सहित भाजपा के दिग्गज नेता लगातार सभा कर जनता से संपर्क साध रहे हैं.
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भाजपा-रालोपा प्रत्याशी नारायण बेनीवाल की सीधा टक्कर कांग्रेस के हरेंद्र मिर्धा से है. जिसके चलते ये सीट अब हॉट सीट बन चुकी है. कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा पूर्व मंत्री रह चुके है. वहीं पूर्व विधानसभा स्पीकर और केंद्रीय मंत्री रहे नागौर के दिग्गज जाट नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे हैं. ऐसे में कही ना कही ये लड़ाई दो परिवारों के वर्चस्व की भी हो गई है.
आरएलपी के कब्जे वाली खींवसर सीट पर चुनाव प्रचार करने के दौरान ईटीवी भारत ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल से खास बातचीत की. उन्होंने विपक्ष के परिवारवाद के आरोप को सिरे से नकारते हुए कांग्रेस और मिर्धा परिवार पर परिवारवाद का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि तीन पीढ़ियों से यहां मिर्धा परिवार का राज रहा है. लेकिन इस क्षेत्र में पानी, बिजली से लेकर सड़क तक, किसान से लेकर जवान तक सभी की लड़ाई मैंने आंदोलन के जरिए अकेले लड़ी है. यहां तक की एक मुकदमा भी है मेरे ऊपर दर्ज किया गया.
वहीं खींवसर सीट पर अपने भाई नारायण बेनीवाल के प्रत्याशी बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि खींवसर की जनता की जिद थी. जनता खुद परिवार से चुनाव लड़ाना चाहती है तो हमने नारायण बेनीवाल को अपना प्रत्याशी बनाया. वहीं इस मुकाबले के सवाल पर जबाव देते हुए बेनीवाल ने कहा कि हमारा कोई मुकाबला नहीं है. हम सीधे तौर पर जीत रहे है.