नागौर. जिला प्रशासन ने लॉकडाउन के बाद शुरू किए गए मनरेगा कार्यों से पूरे प्रदेश में सातवां स्थान प्राप्त किया है. साथ ही जिले की 457 ग्राम पंचायतों में 1 लाख 61 हजार मजदूरों को रोजगार से जोड़ते हुए जिला परिषद के पिछले 10 सालों के रिकॉर्ड को भी तोड़ा है. नागौर में 42 दिनों में मनरेगा के 3 हजार 445 कार्य शुरू किए गए हैं.
गहलोत सरकार के आदेशों के बाद नागौर जिले में मनरेगा के कार्यों को मंजूरी मिलने पर नागौर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने बताया कि नागौर जिले की 457 ग्राम पंचायतों के ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को बड़ी राहत मिली है. अब तक 1 लाख 61 हजार से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया गया है. नागौर जिले के विकास अधिकारियों की आगामी बैठक में अधिक से अधिक प्रवासी मजदूरों के जॉब कार्ड बनाते हुए अब इस को बढ़ाकर लक्ष्य 1 लाख 90 हजार श्रमिकों को इस योजना से जोड़ने का है.
कोरोना वायरस की महामारी के बाद से ही देश और प्रदेश में काम धंधे तक ठप हो चुके हैं. अब बाहरी राज्यों से आए 90 हजार से अधिक लोगों के साथ स्थानीय लोगों को मनरेगा कार्यों से जोड़कर रोजगार देने के संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. नागौर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने बताया की 457 ग्राम पंचायतों मे हजार 445 मनरेगा के कार्य वर्तमान में जारी है. साथ ही कार्य स्थलों पर कोरोना वायरस से बचाव को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की पालना करवाने के आदेश दिए गए हैं.
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लॉकडाउन के कारण लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. जबकि नागौर जिले में ज्यादातर मजदूर वर्ग से हैं जो मनरेगा के तहत होने वाले काम से अपने परिवार के लिए रोटी का इंतजाम कर सकेंगे. पिछले दिनों राज्य सरकार ने मॉडिफाइड लॉकडाउन लागू कर दिया है. इसी के साथ सरकार ने प्रदेश में मनरेगा के कार्यों की शुरुआत करने की अनुमति दे दी है.
नागौर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने बताया कि सरकार के आदेशों के तहत जिले के मजदूर वर्ग को जरूरत के अनुसार काम मुहैया कराने के लिए मनरेगा के 3 हजार 445 ज्यादा कार्य शुरू कर दिए गए हैं. मनरेगा के कार्य का अब तक का सर्वाधिक रिकॉर्ड है. साथ ही पिछले 10 सालों में मनरेगा योजना में श्रमिकों का आंकड़ा एक लाख 31 हजार तक ही पहुंचा था, लेकिन अब कोरोना संक्रमण के दौरान ये आंकड़ा बढ़कर एक लाख 61 हजार तक जा पहुंचा है. अब जिले में 1 लाख 90 हजार श्रमिकों को नियोजित करने का लक्ष्य रखा गया है. जिससे अधिक से अधिक लोगों को मनरेगा से जोड़ा जा सके.