कोटा. चॉकलेट का नाम सुनकर बच्चे ही नहीं हर उम्र के लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. क्योंकि उसका स्वाद ही कुछ ऐसा है. हालांकि बाजार में मिलने वाली चॉकलेट में न्यूट्रिशन नहीं होता. यह केवल कैलोरीज को बढ़ाने का ही काम करती है. साथ ही काफी मात्रा में इनमें शुगर होती है. ऐसे में कोटा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में हुमन रिसोर्स डायरेक्टर डॉ. ममता तिवारी ने एक Experiment किया है जिसके तहत न्यूट्रीशनल चॉकलेट इजाद की है. यह चॉकलेट अलग-अलग खाद्य पोषक पदार्थों से तैयार की गई है जिनमें सुपरफूड क्विनोआ भी शामिल है.
इसके अलावा अलसी, कद्दू बीज, तिल, मूंगफली, चुकंदर व सहजन पाउडर से बनाया है. डॉ. तिवारी के अनुसार न्यूट्रिशन एनालिसिस के लिए जयपुर स्थित आईआर क्लास सिस्टम सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड लैब में 150 ग्राम चॉकलेट भेजी थी. जिसमें प्रति 100 ग्राम के अनुसार इसमें डाले गए पौष्टिक तत्वों की गणना हुई है. इसकी रिपोर्ट में 5.44 ग्राम प्रोटीन, 3.04 मिलीग्राम आयरन और 227.71 मिलीग्राम कैल्शियम मिला है.
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हुबहू बाजार में मिलने वाली चॉकलेट जैसी
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में तैयार की गई चॉकलेट हुबहू बाजार में मिलने वाली चॉकलेट के जैसी ही है. इनमें न्यूट्रीबबल, न्यूट्रीबार, न्यूट्रीनट्स, न्यूट्रीशॉर्ट व न्यूट्रीडिप शामिल है. डॉ तिवारी का कहना है कि इनको तैयार करने में ज्यादा समय नहीं लगा है. उन्होंने कहा कि यह चॉकलेट क्विनोआ, चुकंदर, सहजन, मूंगफली, नारियल गिरी, कोको पाउडर, अलसी, खजूर, और कद्दू के बीज से बनाई गई है. बाजार में उपलब्ध चॉकलेट को हमारे बच्चे रोज सेवन करते हैं. उनमें न्यूट्रिएंट्स जैसा कुछ भी नहीं होता है. हमने जो चॉकलेट बनाई है और खास तौर पर यह कोशिश की है कि यह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हो. इसीलिए इसमें बेस खजूर रखा है. हालांकि इस पर कोको पाउडर का लेप किया गया, ताकि यह हूबहू चॉकलेट जैसी बन जाए. इसे अलग-अलग शेप में सांचे के जरिए तैयार किया है.
![World Chocolate Day](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15753859_kta1.jpg)
7 से 30 ग्राम वजन, दाम रहेगा 3 से 10 रुपये
डॉ. तिवारी ने बताया कि तैयार की गई चॉकलेट का वजन अलग-अलग साइज के अनुसार है. इनमें शुरुआत 7 ग्राम से हुई है. इसके बाद 10, 15, 20, 25 व 30 ग्राम तक की चॉकलेट का वजन है. जिन चॉकलेट में वजन कम है, उनको 3 रुपए प्रति चॉकलेट हम बाजार में उतारेंगे. जिनमें सामग्री भी कम लगी है. इसके अलावा बड़ी चॉकलेट का दाम 10 रुपए के आसपास रखा जाएगा. अभी तो यह केवल मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट हमने जोड़ी है. इसके बाद लेबलिंग और पैकेजिंग का भी हम काम करवाएंगे. इसके बाद थोड़ी लागत इसकी बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि ज्यादा ऑर्डर पर कोई इसे खरीदना चाहता है, तो उसे थोड़ी कम दाम पर भी यह चॉकलेट मिल सकती है.
बच्चों को पौष्टिक चीजें खिलाने का तरीका ढूंढ रहे थे, चॉकलेट सबसे बेस्ट आइडिया
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की एचआरडी निदेशक डॉ. तिवारी का कहना है कि बच्चे के खासतौर पर प्रोटीन का रिच सोर्स क्विनोआ है. अलसी में ओमेगा 3 एसिड खूब होता है. यह सब चीजें ऐसी हैं जिनको नॉर्मल ही हम लोग उपयोग में नहीं लेते हैं. ऐसे में हमारा मकसद यह था कि इन चीजों से सभी वर्ग के लोगों को फायदा मिले. हम पौष्टिक चीज बच्चों से लेकर बड़ों तक को खिलाने के तरीके ढूंढ रहे थे. इसी के तहत हमने यह एक्सपिरिमेंट किया है. चॉकलेट के जरिए पौष्टिक तत्व बच्चों तक पहुंचाने का आइडिया सबसे बेस्ट है. चॉकलेट एक ऐसी चीज है, जिसे हर उम्र का व्यक्ति उपयोग में लेते हैं. इन्हें हर उम्र के व्यक्ति खाना पसंद करते हैं.
![World Chocolate Day](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15753859_kta.jpg)
साल भर तक खा सकें इसलिए बनाई चॉकलेट
तिल को इसलिए मिलाया है कि हम चाहते हैं कि लोग चॉकलेट को साल भर खाते रहें. अभी केवल सर्दियों में ही तिल का सेवन लोग करते हैं. तिल का सेवन बच्चों से लेकर बड़े तक साल भर करें, क्योंकि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन तीनों होता है. यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. क्विनोआ प्रोटीन का भी एक बड़ा अच्छा सोर्स है. इसको विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुपरफूड नाम दिया है. इसको खाने के तरीके हमें मालूम होने चाहिए. यह स्वाद में भी थोड़ा कड़वा लगता है, इसीलिए लोग इसका सेवन नहीं करते हैं. जबकि हम चाहते हैं कि बच्चे से लेकर बड़े तक चॉकलेट के माध्यम से क्विनोआ का सेवन करें.
सबने की सराहना, अब देंगे ट्रेनिंग...मिड डे मील में शामिल करवाना टारगेट
डॉ. तिवारी के अनुसार अभी हमने इसका एक्सपिरिमेंट किया है और यूनिवर्सिटी में कई लोगों को इसे खिलाया है. सभी ने इसके स्वाद को सराहा है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर हम वृहद स्तर पर लोगों को प्रशिक्षित करेंगे. जिसमें स्वयं सहायता समूह के लोगों को भी ट्रेनिंग देंगे. इसके अलावा इंडिविजुअल महिलाओं और लोगों को भी ट्रेनिंग देंगे. इसके बाद हम चाहेंगे कि स्वयं सहायता समूह इन्हें बाजार में बेचे. हमारा टारगेट इसको मिड डे मील में शामिल करवाने का भी है ताकि बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर एक या 4 चॉकलेट खाने को मिले.