कोटा. विश्व की सबसे बड़ी घंटी कोटा में बनने जा रही है. इसके वजन की कैलकुलेशन दोबारा की गई है. इसमें वजन बढ़कर 57 हजार से 82 हजार किलोग्राम हो गया है. इसके चलते इसकी लागत भी बढ़ गई है, लेकिन इंजीनियर ने इसके निर्माण के लिए फैक्ट्री स्थापित नहीं होने पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि फैक्ट्री स्थापित करने में ठेकेदार देरी कर रहा है. वहीं ठेकेदार ने कहा कि उसके टेंडर में केवल 30 टन की ही घंटी बनाने का कार्य आदेश जारी हुआ था. जबकि अब घंटी का वजन 80 टन बताया जा रहा है. यह टेंडर के स्पेसिफिकेशन से मैच नहीं खाती है. इसकी लागत भी टेंडर राशि से ज्यादा होगी. ऐसे में वे बड़ी घंटी को अभी नहीं बना पाएंगे.
बारिश में नहीं होगी कास्टिंगः इंजीनियर का कहना है कि बारिश के सीजन में कास्टिंग नहीं हो सकती है. बारिश में वातावरण में नमी रहती है. इसके चलते कास्टिंग के दौरान लिक्विड में बुलबुले बन सकते हैं, जिससे कास्टिंग अच्छी नहीं होगी और यह घंटी बिगड़ सकती है. इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य का कहना है कि कास्टिंग करने के पहले तैयारी में फैक्ट्री स्थापित करने के बाद 150 दिन लगेंगे. ऐसे में अब देरी होती है, तो जुलाई का महीना आ जाएगा. उस समय कास्टिंग नहीं हो पाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि उनके पास में ज्यादा समय भी नहीं है और अगर ऐसा होगा तो वह इस प्रोजेक्ट को विड्रो कर देंगे.
टेंडर में नहीं थी बड़ी घंटीः एलएन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक एलएन अग्रवाल का कहना है कि यूटीआई ने टेंडर में 30 टन की ही घंटी बनाने का आदेश किया था. रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया इसे 80 टन की बनाना चाहते हैं, लेकिन टेंडर में केवल तीन करोड़ 90 लाख रुपए का ही कार्य आदेश जारी हुआ है. ऐसे में इस राशि में इतनी बड़ी घंटी बन पाना संभव नहीं है. नगर विकास न्यास इसके लिए दोबारा टेंडर (New tender for the Worlds largest bell in Kota) करेगा. इस संबंध में अब भरतरिया ही बता सकते हैं.
लागत भी पहुंच रही है 20 करोड़ः इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य का कहना है कि उनके पास ज्यादा समय नहीं है. ऐसे में अगर वह ज्यादा समय इस प्रोजेक्ट को दे देंगे, तो उनके दूसरे प्रोजेक्ट में समस्या खड़ी हो जाएगी. उनके साथ 400 लोगों की टीम भी कोटा आएगी. लेकिन अभी निर्माण के लिए व्यवस्थाएं ठेकेदार नहीं जुटा पा रहे हैं. उनका कहना है कि पहले जहां 57 हजार किलो की घंटी बनाई जा रही थी. पहले जहां पर 10 से 12 करोड़ में यह घंटी बन रही थी. अब यह लागत 18 से 20 करोड़ हो जाएगी. इसमें करीब 25 हजार किलो पीतल बढ़ गया है. जिसकी लागत ही ढाई करोड़ रुपए है.