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कोटा : मुक्तिधाम जाने के लिये रिकॉर्ड में नहीं है रास्ता...खेतों और कीचड़ से होकर निकालती है अंतिम यात्रा - burial sites

कोटा के गादिया ग्राम पंचायत की मुक्तिधाम में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है .रविवार को गांव में एक किसान की अंतिम यात्रा को ग्रामीणों ने खेतो और कीचड़ भरी राह से निकाला. वही ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या पिछले साल भी बारिश के दिनों में ग्रामीणों द्वारा प्रशासन को बताई गई थी लेकिन कोई समाधान नही हुआ.

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Published : Aug 5, 2019, 8:33 AM IST

रामगंजमंडी/कोटा. क्षेत्र के तहसील की गादिया ग्राम पंचायत में ग्रामीणों के लिए शमशान जाने का रास्ता तक नही है. आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे हो सकता है लेकिन यह सच है. पुरानी व्यवस्थाओं की वजह से राजस्व रिकॉर्ड में मुक्तिधाम का जिक्र तो है लेकिन वहां जाने वाले रास्ते का कोई उल्लेख नहीं है.

ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए जाने वाले ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हालात इतने विकट है कि अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले लोग कीचड़ और खेतों के बीच से होकर शव को लेकर मुक्तिधाम पहुंचते हैं.

मुक्तिधाम में कई सुविधाओं का भी अभाव है. बता दें कि रविवार को गांव में किसान तूफानसिंह भील की तबीयत खराब होने से उनकी मृत्यु हो गई थी जिनके अंतिम संस्कार के लिये ग्रामीण जब शमशान गए तो शमशान में रास्ता नही होने से उन्हें खेतों और कीचड़ में से होकर निकलना पड़ा. तब ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत और प्रशासन पर अपना आक्रोश जताया.

यह भी पढे़- सीएम गहलोत ने दुकानदारों को दी राहत, दुकानों और वाणिज्यिक संस्थानों का अब होगा वन टाइम रजिस्ट्रेशन

साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि यही समस्या पिछले वर्ष भी आई थी तब भी ग्रामीणों ने आक्रोश जताया था तब प्रशासन ने जल्द समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था लेकिन पूरा एक वर्ष हो गया अभी तक गांव के शमशान की समस्या पर किसी ने ध्यान नही दिया है.

वही समाज सेवक डी आर धाकड़ ने बताया कि इस समस्या को कई साल बीत गए लेकिन पिछले साल ग्रामीणों ने एस डी एम को ज्ञापन भी दिया था. ज्ञापन पर जनप्रतिनिधि संतोष धाकड़ ने एस डी एम व तहसीलदार को मौका भी दिखाया था लेकिन कार्यवाही के नाम पर आज तक कुछ नही हुआ. अगर इस समस्या का समाधान जल्द नही करवाया गया तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे.

रामगंजमंडी/कोटा. क्षेत्र के तहसील की गादिया ग्राम पंचायत में ग्रामीणों के लिए शमशान जाने का रास्ता तक नही है. आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे हो सकता है लेकिन यह सच है. पुरानी व्यवस्थाओं की वजह से राजस्व रिकॉर्ड में मुक्तिधाम का जिक्र तो है लेकिन वहां जाने वाले रास्ते का कोई उल्लेख नहीं है.

ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए जाने वाले ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हालात इतने विकट है कि अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले लोग कीचड़ और खेतों के बीच से होकर शव को लेकर मुक्तिधाम पहुंचते हैं.

मुक्तिधाम में कई सुविधाओं का भी अभाव है. बता दें कि रविवार को गांव में किसान तूफानसिंह भील की तबीयत खराब होने से उनकी मृत्यु हो गई थी जिनके अंतिम संस्कार के लिये ग्रामीण जब शमशान गए तो शमशान में रास्ता नही होने से उन्हें खेतों और कीचड़ में से होकर निकलना पड़ा. तब ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत और प्रशासन पर अपना आक्रोश जताया.

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साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि यही समस्या पिछले वर्ष भी आई थी तब भी ग्रामीणों ने आक्रोश जताया था तब प्रशासन ने जल्द समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था लेकिन पूरा एक वर्ष हो गया अभी तक गांव के शमशान की समस्या पर किसी ने ध्यान नही दिया है.

वही समाज सेवक डी आर धाकड़ ने बताया कि इस समस्या को कई साल बीत गए लेकिन पिछले साल ग्रामीणों ने एस डी एम को ज्ञापन भी दिया था. ज्ञापन पर जनप्रतिनिधि संतोष धाकड़ ने एस डी एम व तहसीलदार को मौका भी दिखाया था लेकिन कार्यवाही के नाम पर आज तक कुछ नही हुआ. अगर इस समस्या का समाधान जल्द नही करवाया गया तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे.

Intro:रामगंजमंडी
क्षेत्र के गादिया ग्राम पंचायत की मुक्तिधाम में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है ।रविवार को गांव में एक किसान की अंतिम यात्रा को ग्रामीणों ने खेतो व कीचड़ भारी राह से निकाला। वही ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या पिछले साल भी बारिश के दिनों में ग्रामीणों द्वारा प्रशासन को बताई थी लेकिन समाधान नही हुआ।Body:रामगंजमंडी तहसील की ग्राम पंचायत गादिया में श्मशान जाने का रास्ता तक नही ।आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे हो सकता है लेकिन यह सत्य है पुरानी व्यवस्थाओं के कारण राजस्व रिकॉर्ड में मुक्तिधाम का जिक्र तो है लेकिन वहां जाने वाले रास्ते का कोई उल्लेख नहीं है ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए जाने वाले ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है हालात इतने विकट है की अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले लोग कीचड़ व खेतों के बीच होकर शव को लेकर मुक्तिधाम पहुंचते हैं मुक्तिधाम में सुविधाओं का अभाव तो है। रविवार को गांव में किसान तूफानसिंह भील की तबियत खराब होने से म्रत्यु हो गई थी जिनके अंतिम संस्कार के लिये ग्रामीण जब शमशान गए तो शमशान में रास्ता नही होने से खेतों व कीचड़ में होकर निकलना पड़ा । तब ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत व प्रशासन पर आक्रोश जताया । साथ ग्रामीणों ने बताया कि यही समस्या पिछले वर्ष भी आई थी तब ग्रामीणों ने आक्रोश जताया था तब प्रशासन ने जल्द समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था लेकिन पूरा एक वर्ष हो गया अभी तक गांव के शमशान की समस्या पर किसी ने ध्यान नही दिया ।वही समाज सेवक डी आर धाकड़ ने बताया कि इस समस्या को कई साल बीत गए लेकिन पिछले साल ग्रामीणों ने एस डी एम को ज्ञापन भी दिया था ज्ञापन पर जनप्रतिनिधि संतोष धाकड़ ने एस डी एम व तहसीलदार को मौका भी दिखाया था लेकिन कार्यवाही के नाम आज तक कुछ नही हुआ ।अगर इस समस्या का समाधान जल्द नही करवाया गया तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे । Conclusion:शमशान में रास्ता नही होने से खेतों व कीचड़ में होकर अंतिम यात्रा निकालनी पडी । तब ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत व प्रशासन पर आक्रोश जताया । साथ ग्रामीणों ने बताया कि यही समस्या पिछले वर्ष भी आई थी तब ग्रामीणों ने आक्रोश जताया था तब प्रशासन ने जल्द समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था लेकिन पूरा एक वर्ष हो गया अभी तक गांव के शमशान की समस्या पर किसी ने ध्यान नही दिया ।वही समाज सेवक डी आर धाकड़ ने बताया कि इस समस्या को कई साल बीत गए लेकिन पिछले साल ग्रामीणों ने एस डी एम को ज्ञापन भी दिया था ज्ञापन पर जनप्रतिनिधि संतोष धाकड़ ने एस डी एम व तहसीलदार को मौका भी दिखाया था लेकिन कार्यवाही के नाम आज तक कुछ नही हुआ ।अगर इस समस्या का समाधान जल्द नही करवाया गया तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे ।
बाइट- डीआर धाकड़ स्थानीय निवासी समाज सेवक
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