कोटा. रूस और यूक्रेन युद्ध से प्रभावित यूक्रेन के मेडिकल संस्थानों के एमबीबीएस (Student Mobility Program) कर रहे भारतीय विद्यार्थी अब स्टूडेंट मोबिलिटी प्रोग्राम के तहत अमेरिका, फ्रांस व स्वीडन सहित 29 देशों में मेडिकल अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकेंगे. नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने स्टूडेंट मोबिलिटी प्रोग्राम के संबंध में नोटिफिकेशन गरुवार को जारी किया है.
कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार युद्ध से प्रभावित यूक्रेन (Ukraine students academic mobility) के विद्यार्थी पोलैंड, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, फ्रांस, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, लिथुआनिया, मोल्दोवा, स्लोवेनिया, स्पेन, उज्बेकिस्तान, यूनाइटेड स्टेट्स, इटली, बेल्जियम, इजिप्ट, बेलारूस, लातविया, किर्गिस्तान, ग्रीस, रोमानिया, स्वीडन, इजराइल, ईरान अजरबैजान, बुल्गारिया, जर्मनी, टर्की, क्रोएशिया व हंगरी देशों में पढ़ सकेंगे. हाल ही में 6 सितंबर को एक नोटिफिकेशन के तहत स्टूडेंट मोबिलिटी प्रोग्राम को हरी झंडी दे दी गई थी. लेकिन संबंधित देशों के नाम नहीं दिए गए थे.
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देव शर्मा ने बताया कि विदेशों में मेडिकल अध्ययनरत विद्यार्थियों की 'मोबिलिटी' को लेकर भारतीय (Ukraine students to countinue MBBS in 29 countries) नियम काफी सख्त हैं. स्टूडेंट मोबिलिटी प्रोग्राम के तहत सामान्य व आपात स्थिति में भी विदेशों में अध्ययनरत विद्यार्थी भारतीय मेडिकल संस्थानों में प्रतिस्थापित नहीं किए जा सकते. यही कारण है कि युद्ध के कारण यूक्रेन में अध्ययनरत विद्यार्थीयों को कई देशों में प्रतिस्थापित किया जा रहा है. लेकिन इन देशों की सूची में भारत का नाम नहीं है. देव शर्मा ने बताया कि स्टूडेंट मोबिलिटी प्रोग्राम के अंतर्गत यूक्रेन के ये विद्यार्थी सूचीबद्ध 29 देशों के अपनी पढ़ाई और कोर्स पूरा कर सकेंगे. लेकिन एमबीबीएस करने के बाद विद्यार्थी को डिग्री उसके मूल संस्थान (यूक्रेन) से ही दी जाएगी.