कोटा. जिले के दशहरा मैदान में मंगलवार से शुरू हुए अमृता हाट मेले में महिला उद्यमियों और स्वयं सहायता समूह की तरफ से तैयार किए गए प्रोडक्ट्स की 85 स्टॉल लगी है. यहां पर महिलाओं की ओर से तैयार किए गए उत्पाद लोगों के बीच आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं.
इन उत्पादों को तैयार करने के पीछे महिलाओं के संघर्ष की एक लंबी कहानी है. जिसे हनुमानगढ़ की विमला ने बयां किया है. आर्थिक तंगी की मार झेल रहे परिवार को चलाने में विमला को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. विमला बताती हैं कि उनके पति को आंखों से कम दिखाई देता है. उन्होंने काम शुरू करने के लिए दस हजार रुपये उधार लेकर काम शुरू किया था और आज दस महिलाओं का समूह बनाकर वो काम कर रही हैं.
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ये कहानी सिर्फ विमला ही नहीं बल्कि उन तमाम महिलाओं की है जिन्होंने यहां पर स्टाल लगा रखी है. बूंदी से आई दयावंती सेन ने बताया कि उनका जीवन बहुत संघर्षों से गुजरा है. कई जगह भटकते रहने के बाद आंगनबाड़ी की एक महिला ने उनका साथ दिया और प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग दी. जिसके बाद अब उनकी गाड़ी पटरी पर है.
आर्थिक तंगी से जूझते हुए संघर्ष की एक नई गाथा लिखने में सवाईमाधोपुर की सुनीता भी शामिल हैं. सुनीता बताती हैं कि परेशानियों का आलम ऐसा था कि बच्चों की पढ़ाई तक छूट गई थी. एक-एक रुपये के लिए मोहताज रहने के बाद वो आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़ी और वहां आर्टिफिशल समान बनाना सीखा और अब खुद के प्रोडक्ट्स को बेच कर परिवार चला रही हैं.
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महिलाओं के संघर्ष की ऐसी तमाम कहानियां है जो आपको कोटा के दशहरा मैदान में लगे अमृता हाट में देखने को मिल जाएंगी. मेले में 10 जिलों की महिलाओं और स्वयं सहायता समूह की ओर से तैयार प्रोडक्ट्स की 85 स्टाल लगी हैं. इन महिलाओं ने स्वरोजगार अपनाकर न केवल खुद को आर्थिक संकट से उबारा बल्कि दूसरी महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा.