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स्पेशल रिपोर्ट: 1500 परिवार का मुआवजा बना ताकली बांध परियोजना पर नासूर..13 सालों से किसानों को पानी का इंतजार

कोटा की रामगंजमंडी तहसील में ताकली बांध परियोजना पिछले 13 सालों से 7 गांव के 1500 परिवारों के मुआवजे के कारण अटकी पड़ी है. जिससे क्षेत्र के किसानों को इस महत्वपूर्ण परियोजना से पानी के लिये तरसना पड़ रहा है. साल 2006 में भाजपा सरकार में शुरू हुई ताकली बांध परियोजना का बांध तो बन गया है, लेकिन बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे 7 गांवों के लोगों का पुनर्वास का मामला करीब 13 सालों से अटका हुआ है.

Takli Dam Project, ताकली बांध परियोजना,
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Published : Oct 12, 2019, 7:59 PM IST

रामगंजमंडी (कोटा). उपखण्ड की ताकली बांध परियोजना के अटकने से क्षेत्र के किसानों को इस महत्वपूर्ण परियोजना से पानी के लिये तरसना पड़ रहा है. पिछले 13 सालों से 7 गांव के 1500 परिवारों के मुआवजे के ये योजना अधरझूल में है. बता दें कि साल 2006 में भाजपा सरकार में शुरू हुई यह ताकली बांध परियोजना का बांध तो बन गया है. लेकिन ताकली बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे सात गांव सोहनपुरा, सारनखेड़ी, रघुनाथपुरा, दड़िया, टूड़कली और तमोलिया के लोगों का पुनर्वास का मामला करीब तेरह सालों से अटका हुआ है. इस बीच कांग्रेस सरकार ने भी राजस्थान में पांच साल राज किया. लेकिन इस परियोजना पर किसी का ध्यान तक नहीं गया.

1500 परिवार का मुआवजा बना ताकली बांध परियोजना पर नासूर..13 सालों से किसानों को पानी का इंतजार

40 गांव के किसानों को मिलेगा पानी
इस परियोजना में क्षेत्र के लगभग 40 गांव के किसानों की कृषि जमीन को पानी मिलने वाला है, लेकिन यह परियोजना शुरू हो तब की बात है. आपको बता दें कि ताकली बांध परियोजना में दो नहरे निकलने वाली थी. जो रामगंजमंडी क्षेत्र के 40 गांवों की कृषि भूमि को सिंचित करती. लेकिन सरकारों का आना जाना रहा पर यह परियोजना 1500 परिवार के मुआवजे का नासूर बनकर उभरा है. वहीं रामगंजमंडी के जानकारों का कहना है कि इस परियोजना को शुरू करवाने के लिये किसानों का अथक प्रयास रहा, लेकिन दोनों पार्टी की सरकारों ने किसानों की बात को नहीं सुना.

पढें- स्पेशल रिपोर्ट: देश का पहला ऐसा गांव, जिसके लिए तैयार हुआ प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव के विकास का प्लान

डूब क्षेत्र में आ रहे 7 गांव के परिवार जी रहे नरकीय जीवन
वहीं आज उन सात गांव के परिवारों को अगर उचित मुआवजा राशि मिल जाए तो वह जी रहे नरकीय जिंदगी से छुटकारा पा सकें. क्योकि जबसे यह परियोजना शुरू हुई तो गांव को उठाने का मामला चला तब से इन गांवों में किसी प्रकार की सरकारी सुविधाओं को प्रशासन ने बन्द कर दिया है.

52 करोड़ की परियोजना 250 करोड़ तक पहुंची
वहीं यह परियोजना जब शुरू हुई तब इसकी लागत लगभग 52 करोड़ रुपये थी, लेकिन गांव के पुनर्वास नहीं होने से यही परियोजना कुछ सालों बाद 250 करोड़ के लगभग पहुंच गई. लेकिन फिर भी यह परियोजना लटकी हुई है. किसानों ने इस परियोजना को शुरू करवाने और उचित मुवावजे के लिये कई आंदोलन, धरने प्रदर्शन किए लेकिन आज तक किसी राजनेताओं के कानों तक उनकी आवाज नहीं पहुंची.

पढें- स्पेशल रिपोर्टः नेहड़ा बांध का पानी साफ रखने के लिए कवायद शुरू, 4 माह के लिए तीन चरणों में रुकेगा पानी

वहीं ग्रामीणों ने बताया कि डूब क्षेत्र में आने वाले गांव का भवन निर्माण अनुग्रह राशि का मामला अभी तक नहीं सुलझ पा रहा है. सरकार द्वारा मुआवजा राशि कम दी जा रही है. ग्रामीणों ने मांग रखी है कि इस मुआवजा राशि को स्पेशल पैकेज बनाकर उपलब्ध करवाया जाए.

रामगंजमंडी (कोटा). उपखण्ड की ताकली बांध परियोजना के अटकने से क्षेत्र के किसानों को इस महत्वपूर्ण परियोजना से पानी के लिये तरसना पड़ रहा है. पिछले 13 सालों से 7 गांव के 1500 परिवारों के मुआवजे के ये योजना अधरझूल में है. बता दें कि साल 2006 में भाजपा सरकार में शुरू हुई यह ताकली बांध परियोजना का बांध तो बन गया है. लेकिन ताकली बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे सात गांव सोहनपुरा, सारनखेड़ी, रघुनाथपुरा, दड़िया, टूड़कली और तमोलिया के लोगों का पुनर्वास का मामला करीब तेरह सालों से अटका हुआ है. इस बीच कांग्रेस सरकार ने भी राजस्थान में पांच साल राज किया. लेकिन इस परियोजना पर किसी का ध्यान तक नहीं गया.

1500 परिवार का मुआवजा बना ताकली बांध परियोजना पर नासूर..13 सालों से किसानों को पानी का इंतजार

40 गांव के किसानों को मिलेगा पानी
इस परियोजना में क्षेत्र के लगभग 40 गांव के किसानों की कृषि जमीन को पानी मिलने वाला है, लेकिन यह परियोजना शुरू हो तब की बात है. आपको बता दें कि ताकली बांध परियोजना में दो नहरे निकलने वाली थी. जो रामगंजमंडी क्षेत्र के 40 गांवों की कृषि भूमि को सिंचित करती. लेकिन सरकारों का आना जाना रहा पर यह परियोजना 1500 परिवार के मुआवजे का नासूर बनकर उभरा है. वहीं रामगंजमंडी के जानकारों का कहना है कि इस परियोजना को शुरू करवाने के लिये किसानों का अथक प्रयास रहा, लेकिन दोनों पार्टी की सरकारों ने किसानों की बात को नहीं सुना.

पढें- स्पेशल रिपोर्ट: देश का पहला ऐसा गांव, जिसके लिए तैयार हुआ प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव के विकास का प्लान

डूब क्षेत्र में आ रहे 7 गांव के परिवार जी रहे नरकीय जीवन
वहीं आज उन सात गांव के परिवारों को अगर उचित मुआवजा राशि मिल जाए तो वह जी रहे नरकीय जिंदगी से छुटकारा पा सकें. क्योकि जबसे यह परियोजना शुरू हुई तो गांव को उठाने का मामला चला तब से इन गांवों में किसी प्रकार की सरकारी सुविधाओं को प्रशासन ने बन्द कर दिया है.

52 करोड़ की परियोजना 250 करोड़ तक पहुंची
वहीं यह परियोजना जब शुरू हुई तब इसकी लागत लगभग 52 करोड़ रुपये थी, लेकिन गांव के पुनर्वास नहीं होने से यही परियोजना कुछ सालों बाद 250 करोड़ के लगभग पहुंच गई. लेकिन फिर भी यह परियोजना लटकी हुई है. किसानों ने इस परियोजना को शुरू करवाने और उचित मुवावजे के लिये कई आंदोलन, धरने प्रदर्शन किए लेकिन आज तक किसी राजनेताओं के कानों तक उनकी आवाज नहीं पहुंची.

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वहीं ग्रामीणों ने बताया कि डूब क्षेत्र में आने वाले गांव का भवन निर्माण अनुग्रह राशि का मामला अभी तक नहीं सुलझ पा रहा है. सरकार द्वारा मुआवजा राशि कम दी जा रही है. ग्रामीणों ने मांग रखी है कि इस मुआवजा राशि को स्पेशल पैकेज बनाकर उपलब्ध करवाया जाए.

Intro:रामगंजमंडी /कोटा
उपखण्ड की ताकली बांध परियोजना पिछले 13 सालों से सात गांव के 1500 परिवारो के मुवावजे के कारण अटकी पड़ी है । सन 2006 में भाजपा सरकार में शुरू हुई यह ताकली बांध परियोजना का बांध तो बन गया है लेकिन ताकली बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे सात गांव सोहनपुरा, सारनखेड़ी, रघुनाथपुरा, दड़िया, टूड़कली और तमोलिया के लोगों का पुनर्वास का मामला करीब तेरह सालों से अटका हुआ है । Body: 

 रामगंजमंडी /कोटा
उपखण्ड की ताकली बांध परियोजना पिछले 13 सालों से सात गांव के 1500 परिवारो के मुवावजे के कारण अटकी पड़ी है । सन 2006 में भाजपा सरकार में शुरू हुई यह ताकली बांध परियोजना का बांध तो बन गया है लेकिन ताकली बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे सात गांव सोहनपुरा, सारनखेड़ी, रघुनाथपुरा, दड़िया, टूड़कली और तमोलिया के लोगों का पुनर्वास का मामला करीब तेरह सालों से अटका हुआ है । इस बीच कोंग्रेस सरकार ने भी राजस्थान में पांच साल राज किया लेकिन इस परियोजना पर किसी का ध्यान तक नही गया। वही इस परियोजना में क्षेत्र के लगभग 40 गांव के किसानों की कृषि जमीन को पानी मिलने वाला है ।लेकिन यह परियोजना शुरू हो तब ।आपको बतादे की इस ताक़ली बांध परियोजना में दो नहरे निकलने वाली थी जो रामगंजमंडी क्षेत्र के 40 गांवो की कृषि भूमि को सिंचित करती लेकिन सरकारों का आना जाना रहा पर यह परियोजना 1500 परिवार के मुवावजे का नासूर बनकर उभरे हुए है। वही रामगंजमंडी के जानकारों का कहना है कि इस परियोजना को शुरू करवाने के लिये किसानों का यथक प्रयास रहा लेकिन दोनों पार्टी की सरकारों ने किसानों की बात को कही नही सुना । आज उन सात गांव के परिवारों को अगर उचित मुवावजा राशि मिल जाये तो वह जी रहे नारकीय जिंदगी से छुटकारा पा सके ।क्योकि जबसे यह परियोजना शुरू हुई गांव को उठाने का मामला चला तब से इन गांवों में किसी प्रकार की सरकारी सुविधाए प्रशासन ने बन्द कर रखी है। यह परियोजना जब शुरू हुई तब इसकी लागत लगभग 52 करोड़ रुपये थी ।लेकिन गांव के पुनर्वास नही होने से यही परियोजना कुछ सालों बाद 250 करोड़ के लगभग पहुच गई लेकिन फिर भी यह परियोजना अधर झूल में रही । किसानों ने इस परियोजना को शुरू करवाने व उचित मुवावजे के लिये  कई आंदोलन व कई धरना प्रदर्शन किये लेकिन आज तक किसी राजनेताओ ने नही सुनी।

ताकली बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे सात गांव सोहनपुरा, सारनखेड़ी, रघुनाथपुरा, दड़िया, टूड़कली और तमोलिया के लोगों का पुनर्वास का मामला करीब दस सालों से अटका हुआ है.

वही ग्रामीणों ने कहा कि डूब क्षेत्र में आने वाले गांव का भवन निर्माण अनुग्रह राशि का मामला अभी तक नही सुलझ पा रहा है सरकार द्वारा मुवावजा राशि कम दे रही है वही ग्रामीणों ने इस मुवावजा राशि को स्पेशल पैकेज बनाकर मुवावजा उपलब्ध करवाया जाए।Conclusion:रामगंजमंडी /कोटा
उपखण्ड की ताकली बांध परियोजना पिछले 13 सालों से सात गांव के 1500 परिवारो के मुवावजे के कारण अटकी पड़ी है । सन 2006 में भाजपा सरकार में शुरू हुई यह ताकली बांध परियोजना का बांध तो बन गया है लेकिन ताकली बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे सात गांव सोहनपुरा, सारनखेड़ी, रघुनाथपुरा, दड़िया, टूड़कली और तमोलिया के लोगों का पुनर्वास का मामला करीब तेरह सालों से अटका हुआ है ।
बाईट- भाजपा पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र जैन
बाईट- राजस्थान किसान संघ उपाध्यक्ष ओम फोजी
बाईट- नुरपुरा डूब क्षेत्र ग्रामीण दिनेश गुर्जर
बाईट- ग्रामीण रामदयाल गुर्जर
बाईट-ग्रामीण सांवरलाल गुर्जर

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