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स्पेशल स्टोरी: कोटा में 15 गांवों के किसानों के लिए खतरा बने चंबल के घड़ियाल, आए दिन होती है 'पेट एनिमल Vs क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट' - मैन वर्सेस क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट

कोटा में इन दिनों मगरमच्छ के आतंक से लोग परेशान है. चम्बल घड़ियाल सेंचुरी में कई सहायक नदियां और नालों में मगरमच्छ बड़ी संख्या में पनप गए हैं. जिसका खामियाजा किसानों और आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि भारी संख्या में मगरमच्छ इन नदियों और नालों के किनारे आ जाते है. जिसके चलते आए दिन आम लोगों इन समस्याओं से दो चार होना पड़ता है. देखिए कोटा से स्पेशल रिपोर्ट...

crocodiles in Kota, panic from crocodiles in Kota
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Published : Nov 13, 2019, 9:06 PM IST

कोटा. शहर के नजदीक चम्बल घड़ियाल सेंचुरी है. इसमें कई सहायक नदियां और नाले जाकर मिलते हैं. इन नदियों नालों में भी मगरमच्छ बड़ी संख्या में पनप गए हैं. जिसका खामियाजा किसानों और आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं की भारी संख्या में मगरमच्छ इन नदियों और नालों में है. जिनके चलते आए दिन पेट एनिमल वर्सेस क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट के मामले सामने आने लगे हैं.

15 गांव के किसान झेल रहे 'पेट एनिमल वर्सेस क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट'

यहां तक कि मैन वर्सेस क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट के भी एक दो मामले शहर में सामने आए हैं. इससे किसानों के लिए खेती करना भी बड़ी मुश्किल हो गई है. चंद्रलोई नदी व आसपास के सहायक नालों के खूंखार मगरमच्छों के खतरों के बीच में रहकर खेतों में काम करना पड़ रहा है. यह खतरा कोटा शहर के आसपास के 15 गांवों के किसानों को 24 घंटे झेलना पड़ता है.

करीब 2 हजार के करीब की तादाद में मगरमच्छ
दूसरी तरफ वन विभाग किसानों की इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रहा है. किसानों की मांग है कि वन विभाग इन खूंखार मगरमच्छों से उन्हें छुटकारा दिलाया जाए. कोटा में चंबल नदी और चंबल घड़ियाल सेंचुरी की सहायक नदी चंद्रलोई नदी और इसके रायपुरा-देवली, अरब-हनुवंत खेडा का नाला, धाकड़खेड़ी के नालों में खेतों में काम करने वाले किसान, मवेशियों को चराने वाले और खजूर के पत्तों से झाड़ू बनाने वाले श्रमिकों का कहना है कि चंद्रलोई नदी और उसके सहायक नालों करीब 2 हजार के करीब की तादाद में मगरमच्छ हैं. जो उनके लिए खतरा बने हुए हैं. कई किसान व ग्रामीण बताते है कि मगरमच्छ इतने है कि वह अनगिनत है. क्योंकि वह एक ही जगह पर 10-10 की संख्या में नजर आते है.

पढ़ें : सांसद दीया कुमारी ने की ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत, कई मुद्दों पर रखी अपनी राय

खतरे के साये में खेती कर रहे किसान
चंद्रलोई नदी के हनुवंत खेडा गांव में होकर बहने वाले नाले में अनगिनत मगरमच्छ है, हालात ऐसे हैं कि नाले में सफेद कलर की कोई भी वस्तु फेंकने पर मगरमच्छ शिकार समझकर उसके पास चले आते हैं. सर्दियां शुरू हो गई है ऐसे में अभी तो किनारों के आसपास सैकड़ों की संख्या में मगरमच्छ बैठे हुए नजर आते हैं, जो धूप सेक रहे होते हैं. कुछ दिनों बाद सर्दी बढ़ने पर यह मगरमच्छ आसपास किनारे पर आएंगे. खूंखार मगरमच्छ खेतों की ओर शिकार की तलाश में चले आते है. इस कारण किसान खतरे के साये में खेती किसानी का काम करते है.

15 से ज्यादा गांवों में मंडराता खतरा
ऐसे में किसानों को इन मगरमच्छों से अपना बचाव करने के लिए सतर्क होकर खेतों में कामकाज करना पड़ता है. हाथों में लाठी रखनी पडती है. नदी नालों के किनारे पर पशुपालकों के सामने चुनौती है कि वह किनारों पर मवेशियों को चराने के लिए नहीं लेकर जाते है. यहां तक की मवेशियों को नदी ओर नाले में पानी पीने के लिए नहीं जाने देते है. क्योंकि किनारों पर पहले से घात लगाए मगरमच्छ हमला कर देते है.

पढ़ें : महाराष्ट्र सियासी बवाल: जयपुर में ठहरे कांग्रेस विधायकों की वापसी शुरू, कहा- हम जा रहे हैं सरकार का हिस्सा बनने

किसान व पशुपालक बताते है कि मगरमच्छ मवेशियों को अपने जबड़े में जकड़ लेते है. इन अनगिनत मगरमच्छों का खतरा 24 घंटे के लिए 15 से ज्यादा गांवों में खतरा मंडराता रहता है, क्योंकि मगरमच्छ नदी नालों के किनारों पर करीब 50-50 फीट की दूरी तक आकर खेतों में पहुंच जाते है. अभी खेतों में धान की फसल काटने का काम चल रहा है. किसान पूरी तरह से मगरमच्छों का खतरा भापकर काम कर रहे है.

वन विभाग के पास तारबंदी करने तक की प्लानिंग
वहीं वन विभाग के पास सिर्फ नदी नालों के किनारे तारबंदी करने तक की प्लानिंग है. मगरमच्छों से स्थाई तौर पर किसानों राहत दिलाने की कोई योजना नहीं है. वन्यजीव विभाग के वन मंडल के कार्यवाहक मुख्य वन्यजीव संरक्षक आनंद मोहन ने बताया कि इस साल विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार कोटा शहर और इसके आसपास के इलाकों के गांवों से करीब 65 मगरमच्छ चंबल नदी के बजाय पकड़कर वन विभाग ने मुकंदरा टाइगर रिजर्व के सावन भादो डैम में छोड़े है.

पढ़ें : CID इंटेलिजेंस में तैनात कांस्टेबल ने मांगी एक करोड़ की रिश्वत, 45 लाख में हुआ सौदा, पहली किश्त 5 लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार

अब साइन बोर्ड लगाने की तैयारी
उन्होंने कहा कि चंबल नदी में मगरमच्छों को छोड़ने से वह वापस अपने स्थान पर आ जाते है. आनंद मोहन ने बताया कि वन मंडल के उपवन संरक्षक और सहायक उपवन संरक्षक को निर्देश दिए हैं कि वह मनरेगा के तहत नालों और चंद्रलोई नदी के किनारों पर तारबंदी करें. साइन बोर्ड लगाएं ताकि मगरमच्छ खेतों की ओर नहीं आए और किसान सुरक्षित रहें.

कोटा. शहर के नजदीक चम्बल घड़ियाल सेंचुरी है. इसमें कई सहायक नदियां और नाले जाकर मिलते हैं. इन नदियों नालों में भी मगरमच्छ बड़ी संख्या में पनप गए हैं. जिसका खामियाजा किसानों और आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं की भारी संख्या में मगरमच्छ इन नदियों और नालों में है. जिनके चलते आए दिन पेट एनिमल वर्सेस क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट के मामले सामने आने लगे हैं.

15 गांव के किसान झेल रहे 'पेट एनिमल वर्सेस क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट'

यहां तक कि मैन वर्सेस क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट के भी एक दो मामले शहर में सामने आए हैं. इससे किसानों के लिए खेती करना भी बड़ी मुश्किल हो गई है. चंद्रलोई नदी व आसपास के सहायक नालों के खूंखार मगरमच्छों के खतरों के बीच में रहकर खेतों में काम करना पड़ रहा है. यह खतरा कोटा शहर के आसपास के 15 गांवों के किसानों को 24 घंटे झेलना पड़ता है.

करीब 2 हजार के करीब की तादाद में मगरमच्छ
दूसरी तरफ वन विभाग किसानों की इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रहा है. किसानों की मांग है कि वन विभाग इन खूंखार मगरमच्छों से उन्हें छुटकारा दिलाया जाए. कोटा में चंबल नदी और चंबल घड़ियाल सेंचुरी की सहायक नदी चंद्रलोई नदी और इसके रायपुरा-देवली, अरब-हनुवंत खेडा का नाला, धाकड़खेड़ी के नालों में खेतों में काम करने वाले किसान, मवेशियों को चराने वाले और खजूर के पत्तों से झाड़ू बनाने वाले श्रमिकों का कहना है कि चंद्रलोई नदी और उसके सहायक नालों करीब 2 हजार के करीब की तादाद में मगरमच्छ हैं. जो उनके लिए खतरा बने हुए हैं. कई किसान व ग्रामीण बताते है कि मगरमच्छ इतने है कि वह अनगिनत है. क्योंकि वह एक ही जगह पर 10-10 की संख्या में नजर आते है.

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खतरे के साये में खेती कर रहे किसान
चंद्रलोई नदी के हनुवंत खेडा गांव में होकर बहने वाले नाले में अनगिनत मगरमच्छ है, हालात ऐसे हैं कि नाले में सफेद कलर की कोई भी वस्तु फेंकने पर मगरमच्छ शिकार समझकर उसके पास चले आते हैं. सर्दियां शुरू हो गई है ऐसे में अभी तो किनारों के आसपास सैकड़ों की संख्या में मगरमच्छ बैठे हुए नजर आते हैं, जो धूप सेक रहे होते हैं. कुछ दिनों बाद सर्दी बढ़ने पर यह मगरमच्छ आसपास किनारे पर आएंगे. खूंखार मगरमच्छ खेतों की ओर शिकार की तलाश में चले आते है. इस कारण किसान खतरे के साये में खेती किसानी का काम करते है.

15 से ज्यादा गांवों में मंडराता खतरा
ऐसे में किसानों को इन मगरमच्छों से अपना बचाव करने के लिए सतर्क होकर खेतों में कामकाज करना पड़ता है. हाथों में लाठी रखनी पडती है. नदी नालों के किनारे पर पशुपालकों के सामने चुनौती है कि वह किनारों पर मवेशियों को चराने के लिए नहीं लेकर जाते है. यहां तक की मवेशियों को नदी ओर नाले में पानी पीने के लिए नहीं जाने देते है. क्योंकि किनारों पर पहले से घात लगाए मगरमच्छ हमला कर देते है.

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किसान व पशुपालक बताते है कि मगरमच्छ मवेशियों को अपने जबड़े में जकड़ लेते है. इन अनगिनत मगरमच्छों का खतरा 24 घंटे के लिए 15 से ज्यादा गांवों में खतरा मंडराता रहता है, क्योंकि मगरमच्छ नदी नालों के किनारों पर करीब 50-50 फीट की दूरी तक आकर खेतों में पहुंच जाते है. अभी खेतों में धान की फसल काटने का काम चल रहा है. किसान पूरी तरह से मगरमच्छों का खतरा भापकर काम कर रहे है.

वन विभाग के पास तारबंदी करने तक की प्लानिंग
वहीं वन विभाग के पास सिर्फ नदी नालों के किनारे तारबंदी करने तक की प्लानिंग है. मगरमच्छों से स्थाई तौर पर किसानों राहत दिलाने की कोई योजना नहीं है. वन्यजीव विभाग के वन मंडल के कार्यवाहक मुख्य वन्यजीव संरक्षक आनंद मोहन ने बताया कि इस साल विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार कोटा शहर और इसके आसपास के इलाकों के गांवों से करीब 65 मगरमच्छ चंबल नदी के बजाय पकड़कर वन विभाग ने मुकंदरा टाइगर रिजर्व के सावन भादो डैम में छोड़े है.

पढ़ें : CID इंटेलिजेंस में तैनात कांस्टेबल ने मांगी एक करोड़ की रिश्वत, 45 लाख में हुआ सौदा, पहली किश्त 5 लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार

अब साइन बोर्ड लगाने की तैयारी
उन्होंने कहा कि चंबल नदी में मगरमच्छों को छोड़ने से वह वापस अपने स्थान पर आ जाते है. आनंद मोहन ने बताया कि वन मंडल के उपवन संरक्षक और सहायक उपवन संरक्षक को निर्देश दिए हैं कि वह मनरेगा के तहत नालों और चंद्रलोई नदी के किनारों पर तारबंदी करें. साइन बोर्ड लगाएं ताकि मगरमच्छ खेतों की ओर नहीं आए और किसान सुरक्षित रहें.

Intro:चम्बल घड़ियाल सेंचुरी में कई सहायक नदियां और नालों में भी मगरमच्छ बड़ी संख्या में पनप गए हैं. जिसका खामियाजा किसानों और आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि हजारों की संख्या में मगरमच्छ इन नदियों और नालों में है. जिनके चलते आए दिन पेट एनिमल वर्सेज क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट के मामले सामने आने लगे हैं. Body:कोटा.
कोटा शहर के नजदीक चम्बल घड़ियाल सेंचुरी है. इसमें कई सहायक नदियां और नाले जाकर मिलते हैं इन नदियों नालों में भी मगरमच्छ बड़ी संख्या में पनप गए हैं. जिसका खामियाजा किसानों और आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि हजारों की संख्या में मगरमच्छ इन नदियों और नालों में है. जिनके चलते आए दिन पेट एनिमल वर्सेज क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट के मामले सामने आने लगे हैं. यहां तक कि मैन वर्सेस कनफ्लिक्ट के भी एक दो मामले शहर में सामने आए हैं. इससे किसानों के लिए खेती करना भी बड़ी मुश्किल हो गई है. चंद्रलोई नदी व आसपास के सहायक नालों के खूंखार मगरमच्छों के खतरों के बीच में रहकर खेतों में काम करना पड़ रहा है. यह खतरा कोटा शहर के आसपास के 15 गांवों के किसानों को 24 घंटे झेलना पड़ता है.


दूसरी तरफ वन विभाग किसानों की इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रहा है. किसानों की मांग है कि वन विभाग इन खूंखार मगरमच्छों से उन्हें छुटकारा दिलाया जाए.
कोटा में चंबल नदी और चंबल घडियाल सेंचुरी की सहायक नदी चंद्रलोई नदी और इसके रायपुरा-देवली अरब-हनुवंत खेडा का नाला, धाकड़खेड़ी के नालों में खेतों में काम करने वाले किसान, मवेशियों को चराने वाले और खजूर के पत्तों से झाडू बनाने वाले श्रमिकों का दावा है कि चंद्रलोई नदी और उसके सहायक नालों करीब 2 हजार के करीब की तादाद में मगरमच्छ है. जो उनके लिए खतरा बने हुए है. कई किसान व ग्रामीण बताते है कि मगरमच्छ इतने है कि वह अनगिनत है. क्योंकि वह एक ही जगह पर 10-10 की संख्या में नजर आते है.
चंद्रलोई नदी के हनुवंत खेडा गांव में होकर बहने वाले नाले में अनगिनत मगरमच्छ है, हालात ऐसे हैं कि नाले में सफेद कलर की कोई भी वस्तु फेंकने पर मगरमच्छ शिकार समझकर उसके पास चले आते हैं. सर्दियां शुरू हो गई है ऐसे में अभी तो किनारों के आसपास सैकड़ों की संख्या में मगरमच्छ बैठे हुए नजर आते हैं जो धूप सेक रहे हैं. कुछ दिनों बाद सर्दी बढ़ने पर यह मगरमच्छ आसपास किनारे पर आएंगे.
फिर खूंखार मगरमच्छ खेतों की ओर शिकार की तलाश में चले आते है. इस कारण किसान खतरे के साये में खेती किसानी का काम करते है. ऐसे में किसानों को इन मगरमच्छों से अपना बचाव करने के लिए सतर्क होकर खेतों में कामकाज करना पडता है. हाथों में लाठी रखनी पडती है. नदी नालों के किनारे पर पशुपालकों के सामने चुनौती है कि वह किनारों पर मवेशियों को चराने के लिए नहीं लेकर जाते है. यहां तक की मवेशियों को नदी ओर नाले में पानी पीने के लिए नहीं जाने देते है. क्योंकि किनारों पर पहले से घात लगाए मगरमच्छ हमला कर देते है. किसान व पशुपालक बताते है कि मगरमच्छ मवेशियों को अपने जबडे में जकड लेते है.

इन अनगिनत मगरमच्छों का खतरा 24 घंटे के लिए 15 से ज्यादा गांवों में खतरा मंडराता रहता है, क्योंकि मगरमच्छ नदी नालों के किनारों पर करीब 50-50 फीट की दूरी तक आकर खेतों में पहुंच जाते है. अभी खेतों में धान की फसल काटने का काम चल रहा है. किसान पूरी तरह से मगरमच्छों का खतरा भापकर काम कर रहे है.Conclusion:वन विभाग के पास सिर्फ नदी नालों के किनारे तारबंदी करने तक की प्लानिंग है, मगरमच्छों से स्थाई तौर पर किसानों राहत दिलाने की कोई योजना नहीं है. वन्यजीव विभाग के वन मंडल के कार्यवाहक मुख्य वन्यजीव संरक्षक आनंद मोहन ने कहा कि इस साल विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार कोटा शहर और इसके आसपास के इलाकों के गांवों से करीब 65 मगरमच्छ चंबल नदी के बजाय पकडकर वन विभाग ने मुकंदरा टाइगर रिजर्व के सावनभादो डैम में छोडे है.
उन्होंने कहा कि चंबल नदी में मगरमच्छों को छोडने से वह वापस अपने स्थान पर आ जाते है. आनंद मोहन ने कहा उन्होंने वन मंडल के उपवन संरक्षक और सहायक उपवन संरक्षक को निर्देश दिए है कि वह मनरेगा के तहत नालों और चंद्रलोई नदी के किनारों पर तारबंदी करें. साइन बोर्ड लगाए ताकि मगरमच्छ खेतों की ओर नहीं आए. किसान सुरक्षित रहे.



बाइट-- रामकुमार मीणा, किसान व पशुपालक, हनुवंत खेडा गांव
बाइट-- बद्रीलाल, झाडू मजदूर
बाइट-- आनंद मोहन, कार्यवाहक मुख्य वन्यजीव संरक्षक, वन मंडल
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