सांगोद (कोटा). आसमान से इस सावन इतनी आफत बरसी कि नदियों की शक्ल में गांव-गांव पहुंची और बाढ़ की सूरत में मुसीबन बनकर हरसू छा गई. कोटा के सांगोद का भी यही हाल रहा. कस्बेभर में अब बाढ़ की आपदा के चिन्ह नजर आ रहे हैं.
सांगोद में आई बाढ़ ने यहां के लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया. बाढ़ का पानी किसी को आर्थिक जख्म दे गया तो किसी को मानसिक. इन जख्मों को भरने में अब वक्त लगेगा. यहां अचानक आई बाढ़ ने लोगों को सम्भलने तक का मौका नहीं दिया. इससे व्यापारी वर्ग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ.
किसी की कपड़े की दुकान थी, तो किसी की किराने के सामान की. बाढ़ के पानी ने सारा सामान खराब कर दिया. ये दुकानदार अब सरकार से मुवावजा मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. यहां करीब 200 कच्चे मकान ढह गए. कई पक्के मकान भी टूटकर गिर गए. कई जगहों पर रोड बह गई.
कस्बे में उपखड़ कार्यालय की बाउंड्री भी पानी के वेग से ढह गई. बिजली बंद रहने से मोबाइल नेटवर्क भी जाता रहा. इससे लोग एक दूसरे से सम्पर्क भी नहीं कर पाए. बाढ़ की इस तबाही के दौरान जिला प्रशासन मूक बधिर बना रहा. पानी की कितनी आवक नदी में हो रही थी इसकी जानकारी लोगों को समय रहते नहीं मिल पाई. किसी की कार बह गई तो किसी के पालतू जानवर. तबाही का ऐसा मंजर लोगों ने पहले कभी नहीं देखा था.
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लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. प्रशासन की नाकामी के चलते व्यापारी वर्ग और किसानों का बहुत नुकसान हुआ है. हालांकि नगर पालिका प्रशासन अभी भी राहत और बचाव में लगा हुआ है. नगर पालिका प्रशासन ने राहत बचाव के लिए जिला प्रशासन से मदद मांगी है. लेकिन बाढ़ के बाद के हालातों को लेकर जिला प्रशासन उदासीन बना हुआ है. ऐसे में पालिका प्रशासन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
सांगोद में यह बाढ़ भीम सागर बांध के 5 गेट खोलने के कारण आई. बाढ़ की तबाही का मंजर कस्बे में कई जगह अब भी नजर आ रहा है. कस्बे में कोर्ट परिसर में अभी भी दो से तीन फीट पानी भरा हुआ है. कोर्ट में जरूरी फाइलें और उपकरण खराब हो चुके हैं. किसानों को खास नुकसान हुआ है. खेत अभी भी जलमग्न हैं. फसलें तबाह हो गई हैं. कई किसानों के मवेशी बाढ़ में मारे गए.
बाढ़ के दौरान कस्बे का बाजार जलमग्न हो गया. इसलिए हर व्यापारी बाढ़ से प्रभावित हुआ है. दुकान में रखा हर माल खराब हो चुका है. जहां तक पानी पहुंचा वहां उसने सामान को खराब कर दिया. कस्बे के लोग अब दुकानें खोलकर सामान संभाल रहे हैं. जो बचा सकते हैं उसे बचा रहे हैं. सामान को धूप में सुखा रहे हैं.
हालांकि यह लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का संसदीय क्षेत्र है. हाडौती में जहां-जहां बाढ़ आई है वहां मुआवजे को लेकर लोगों को आश्वासन तो दिया जा रहा है. बहरहाल देखना होगा कि कोरोना के कहर के बाद अब इस आसमानी आफत से व्यपारियों और किसानों को कब राहत मिलेगी.