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भगवान श्रीनाथ जी ने एक रात बिताई थी जहां, आज भी चरण उभरी हुई शिला की होती है पूजा - सिला पर भगवान के चरणों के निशान

कोटा जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर मोतीपुरा में श्रीनाथ जी की चरण चौकी के नाम से एक जगह विख्यात है. बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले भगवान श्रीनाथ जी ब्रज से नाथद्वारा जा रहे थे, उस समय रात्री विश्राम के लिए यहां रुके थे, जहां आज भी एक शिला पर उनके चरण बने हुए हैं. यहां जन्माष्टमी के मौके पर बड़ी धूमधाम रही.

कोटा समाचार, kota news
श्रीनाथ जी की चरण चौकी
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Published : Aug 13, 2020, 1:03 AM IST

कोटा. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर शहरभर में बड़ी धूम रही. इसी क्रम में जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर मोतीपुरा में श्रीनाथ जी की चरण चौकी के नाम से एक स्थान विख्यात है. माना जाता है कि साक्षात श्रीनाथ जी के चरण यहां स्थापित है, इसी कारण उस जगह का नाम चरण चौकी पड़ा. यह स्थान शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जहां साक्षात भगवान श्रीनाथ जी के चरण उकेरे हुए हैं. यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है.

श्रीनाथ जी की चरण चौकी

स्वयं भगवान श्रीनाथ जी कुछ समय के लिए यहां रुके थे

मंदिर के पुजारी ने बताया कि सैकड़ों साल पहले श्रीनाथ जी द्वारिका से नाथद्वारा लिए निकले थे, तब रास्ते में थोड़ी देर के लिए इस स्थान पर रुके थे. इसी सिला पर भगवान के चरणों के निशान उत्कीर्णित किए गए और आज तक पूजे जाते हैं. भगवान के पैरों के निशान को आज भी मंदिर में सहज भाव से देखा जा सकता है, जहां पर आज भी नाथद्वारा स्थित श्रीनाथ जी मंदिर के ट्रस्ट से यह चलाया जा रहा है.

यमुना कुंड के पानी से बनता है भगवान का प्रासाद

भगवान श्री कृष्ण के बल्लभसंप्रदाय के अनुयायी बड़ी संख्या ने प्रतिवर्ष दर्शनार्थी यहां आते हैं. लोगों ने बताया कि पास में ही प्राचीन हनुमान मंदिर है, जहां से यमुना कुंड से पानी लाकर भगवान के कलश की स्थापना की जाती है. वहीं से भगवान के भोजन प्रसाद के लिए पानी लाया जाता है.

पढ़ें- बाड़मेर में जन्माष्टमी के अवसर पर तालाब में विसर्जित किए गए माटी के कान्हा

मान्यताओं के अनुसार कुंड का पानी काफी निर्मल एवं स्वच्छ है, जो कि किसी भी मौसम में कुंड सूखता या खाली नहीं होता. हमेशा उसमें एक समान जल प्रवाह रहता है. वहीं, कुंड के पवित्र जल से स्नान करने पर कई बीमारियों में राहत मिलती है.

इस बार जन्माष्टमी के मौके पर चरण चौकी स्थित मंदिर में विशेष आयोजन नहीं किए गए, लेकिन परंपरा के अनुसार भगवान का श्रृंगार किया गया. मंदिर के पुजारी ने बताया कि कोरोना काल के चलते सरकार की गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है. मंदिर बंद रहने से दर्शनार्थियों को नहीं आने दिया जा रहा है.

कोटा. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर शहरभर में बड़ी धूम रही. इसी क्रम में जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर मोतीपुरा में श्रीनाथ जी की चरण चौकी के नाम से एक स्थान विख्यात है. माना जाता है कि साक्षात श्रीनाथ जी के चरण यहां स्थापित है, इसी कारण उस जगह का नाम चरण चौकी पड़ा. यह स्थान शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जहां साक्षात भगवान श्रीनाथ जी के चरण उकेरे हुए हैं. यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है.

श्रीनाथ जी की चरण चौकी

स्वयं भगवान श्रीनाथ जी कुछ समय के लिए यहां रुके थे

मंदिर के पुजारी ने बताया कि सैकड़ों साल पहले श्रीनाथ जी द्वारिका से नाथद्वारा लिए निकले थे, तब रास्ते में थोड़ी देर के लिए इस स्थान पर रुके थे. इसी सिला पर भगवान के चरणों के निशान उत्कीर्णित किए गए और आज तक पूजे जाते हैं. भगवान के पैरों के निशान को आज भी मंदिर में सहज भाव से देखा जा सकता है, जहां पर आज भी नाथद्वारा स्थित श्रीनाथ जी मंदिर के ट्रस्ट से यह चलाया जा रहा है.

यमुना कुंड के पानी से बनता है भगवान का प्रासाद

भगवान श्री कृष्ण के बल्लभसंप्रदाय के अनुयायी बड़ी संख्या ने प्रतिवर्ष दर्शनार्थी यहां आते हैं. लोगों ने बताया कि पास में ही प्राचीन हनुमान मंदिर है, जहां से यमुना कुंड से पानी लाकर भगवान के कलश की स्थापना की जाती है. वहीं से भगवान के भोजन प्रसाद के लिए पानी लाया जाता है.

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मान्यताओं के अनुसार कुंड का पानी काफी निर्मल एवं स्वच्छ है, जो कि किसी भी मौसम में कुंड सूखता या खाली नहीं होता. हमेशा उसमें एक समान जल प्रवाह रहता है. वहीं, कुंड के पवित्र जल से स्नान करने पर कई बीमारियों में राहत मिलती है.

इस बार जन्माष्टमी के मौके पर चरण चौकी स्थित मंदिर में विशेष आयोजन नहीं किए गए, लेकिन परंपरा के अनुसार भगवान का श्रृंगार किया गया. मंदिर के पुजारी ने बताया कि कोरोना काल के चलते सरकार की गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है. मंदिर बंद रहने से दर्शनार्थियों को नहीं आने दिया जा रहा है.

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