कोटा. रामगंजमंडी में शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित ब्लॉक स्तरीय संस्थाप्रधान वाकपीठ कार्यक्रम का सुभारम्भ मंगलम सभाघर मोड़क में हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एस डी एम और तहसीलदार रहे. संस्थाप्रधान वाकपीठ समिति अध्यक्ष राजेश मीणा ने बताया कि कार्यक्रम में वाकपीठ में राजीवगांधी कॅरियर पोर्टल बालसभा प्राथनाओं का सही संचालन करने और स्कूल को किस तरह से चलाए इसके बारे में जानकारियां दी.
वहीं कार्यक्रम को संबोधित करने में जिला स्तरीय अधिकारियों ने भी भाग लिया और ब्लॉक के सरकारी स्कूलों के संस्था प्रधानों को शिक्षा विभाग की कई गाइड लाइन के बारे में विस्तार से बताया.
इसी के साथ दिनदयाल राठौर प्रधानाचार्य ने स्कूल में मुख्यमंत्री जन सहभागिता से विकास किस प्रकार करवाया जाए विस्तृत जानकारियों से सभी को अवगत की. वहीं संजय मीणा एसपीसी समसा कट की ओर से समग्र शिक्षा अभियान योजनाओं की जानकारी दी गई.
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कार्यक्रम में दिनेश कुमार मीणा ने सरकारी स्कूलों में चलने वाली अनापूर्ण दुग्ध योजना और एम डी एम पर प्रभावीशाली क्रियान्वयन की जानकारी दी. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा ब्लॉक के श्रेष्ठ विधालयों की ओर से प्रस्तुतिकरण किया गया. इस कार्यक्रम में ब्लॉक के सभी सरकारी स्कूलों के संस्थाप्रधानों ने भाग लिया और स्कूल संचालन की प्रतिक्रिया के बारे में जानकारियां हासिल की.
कार्यक्रम के समापन में जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी संस्था प्रधानों को अपने-अपने स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अधिक से अधिक पौधरोपण करने के लिये प्रेरित करने को कहा .
सिवाना कस्बे में भी दो दिवसीय वाकपीठ का उदघाटन समारोह आयोजित
सिवाना कस्बे के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रांगण में सिवाना समदड़ी ब्लॉक स्तरीय समस्त विधालयों के संस्था प्रधानों की दो दिवसीय वाकपीठ का उदघाटन समारोह बुधवार को विधायक हमीरसिंह भायल के मुख्य आतिथी में आयोजित किया गया. वाकपीठ संगोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व विधायक कानसिंह कोटड़ी ने की.
ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है. नीव का पत्थर बनकरभावी पीढ़ी का निर्माण करे. अभिभावकों से नियमित रूप से सम्पर्क कर शिक्षा में सुधार के लिए उनकी भागीदारी सुनिश्चित करें.
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इसी क्रम में उदबोधन मे पूर्व विधायक कानसिंह कोटड़ी ने कहा कि शिक्षक देश के भावी पीढ़ी का निर्माता है. जो शिल्पिकार के समान एक अबोध बालक के भविष्य को तराशने का कार्य करता है. शिक्षकों पर अतिरिक्त कार्यभार के बावजूद भी शिक्षण कार्य करना कठिन कार्य है. गुणवत्ता युक्त शिक्षा का ग्राफ बढ़ा है.