सांगोद (कोटा). प्रदेश सरकार भले ही जनता को निरोगी काया का सपना दिखा रही है. लेकिन स्थिति इसके विपरीत है. इसका एक ताजा मामला सांगोद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में देखने को मिला. जहां पिछले दिनों सांगोद हॉस्पिटल में चिकित्सकों की नियुक्ति से मरीजों को राहत मिली. वहीं सोनोग्राफी, ऑपरेशन थियेटर, जैसी कई सुविधाएं बंद होने से मरीजों परेशान हैं और उन्हें अपनी जेब ढीली करने को मजबूर होना पड़ रहा है.
एंबुलेंस की भी खस्ताहाल
हॉस्पिटल की 108 एंबुलेंस की भी खस्ताहाल हैं पिछले कई महीनों से यहां की 108 एंबुलेंस कंडोम होकर पड़ी है. ऐसे में आपातकाल के समय में बपावर या देवली से 108 एंबुलेंस सांगोद से आती है, जिसके लिए मरीजों को घंटो तक इंतजार करना पड़ रहा है.
लाखों रुपये के उपकरण धूल चाट रहे
पार्षद रामावतार वर्मा ने बताया कि प्रतिदिन पांच सौ से अधिक मरीज यहां आ रहे हैं, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही स्टोर रूम में भी दवाइयों की कमी है और अस्पताल स्टॉफ भी इससे पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक्सरे मशीने भी बंद पड़ी हुई है. एक्सरे करने के लिए भी कोई स्थायी कर्मचारी मौजूद नहीं है. एक्सरे रूम को भी स्टोर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. लाखों रुपये के उपकरण धूल चाट रहे हैं.
साथ ही कहा कि जनप्रतिनिधियों,अस्पताल के अधिकारियों का भी इस पर कोई ध्यान नहीं है. स्थानीय निवासी बबलू गर्ग का कहना है कि अस्पताल में एक्सरे और सोनोग्राफी जैसी लाखों रुपये की मशीनों के होते हुए भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जांच और सफाई व्यवस्थाओं को लेकर भी अस्पताल प्रशासन गंभीर नहीं है. साथ ही रात के समय अस्पताल में चिकित्सक तक मौजूद नहीं मिलते हैं.
रोगी के परिजनों का कहना है कि कोटा ले जाने के लिए 108 एम्बुलेंस का इंतजार कर रहे हैं. साथ भी बताया कि जो 108 एम्बुलेंस यहां मौजूद है वो चालू अवस्था में नहीं है. अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर चिकित्सा अधिकारी भी अपना पल्ला झाड़ते नजर आए अस्पताल प्रभारी रामचंद्र पारेता कहते हैं कि 108 एम्बुलेंस को कर्मचारियों के भरोसे छोड़ रखा है. साथ ही बताया कि सर्जन ना होने के कारण ऑपरेशन थिएटर और सोनोग्राफी मशीने बंद पड़ी हुई हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल की अव्यवस्थाओं से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.