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Kota Cooperative Society : 100 साल पुरानी संस्था ने बांट दिया 2000 करोड़ से ज्यादा का लोन...1 रुपये भी NPA नहीं

कोटा में एक ऐसी संस्था है, जिसको 100 साल से ज्यादा का समय हो गया है और आज भी एक भी रुपया उसका बट्टा खाते में नहीं है. यानी कि एक भी रुपया एनपीए नहीं हुआ है, जबकि इस संस्था ने अब तक दो हजार करोड़ों रुपये का लोन बांट दिया है. यह संस्था कोटा कर्मचारी सहकारी समिति लिमिटेड सभा नंबर 108 है.

Kota NPA 108 Sabha Number
कोटा की सहकारी संस्था का रिकॉर्ड
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Published : Sep 30, 2022, 7:37 PM IST

कोटा. देश में बैंकों के कर्ज में डूबने की कई बातें लगातार सामने आती है. करोड़ों रुपये का लोन उद्योगपति और अन्य लोग नहीं चुका पाते हैं. यहां तक कि कई लोग सामान्य ऋण लेकर भी नहीं चुकाते हैं और बाद में उनकी मकान की कुर्की समेत (House Attachment Action in Kota) अन्य कार्रवाई करनी पड़ती है.

बैंकों के के इस राशि की वसूली नहीं होने पर इसे सरकार नॉन-परफोर्मिंग लोन यानी एनपीए के कहते है. लेकिन कोटा में एक ऐसी संस्था है, जिसको 100 साल से ज्यादा हो गया है और आज भी एक भी रुपया उसका बट्टा खाते में नहीं है. यानी कि एक भी रुपया एनपीए नहीं हुआ है. इस संस्था की अध्यक्ष डॉ. मीनू बिरला का कहना है कि लोन लेने वाले सभी सरकारी कर्मचारी होते हैं. दूसरी तरफ उन्हें लोन लेने के पहले अन्य संस्था के अन्य सदस्य की जमानत देनी होती है. इसलिए हमारे लोन की पूरी रिकवरी हो जाती है. यहां तक कि सदस्य की मौत के बाद उसके परिजनों ने भी लोन चुकाया है.

सभा नंबर 108 के अध्यक्ष मीनू बिरला ने क्या कहा

कोरोना में कम हुआ, पहले 40 करोड़ तक का बांटा : मीनू बिरला के अनुसार संस्था की स्थापना से अब तक 2000 करोड़ का लोन हम बांट चुके हैं. पिछले साल 2021 के वित्तीय वर्ष में 15 करोड़ का लोन हमने बात किया था, यह अन्य वर्षों से कम था. क्योंकि कोरोना काल में शादी-विवाह के साथ लोगों ने मकान बनाने और अन्य कार्यों में के लिए भी लोन कम लिया था. जबकि इसके पहले हम 40 से 50 करोड़ रुपये सालाना के लोन बांट रहे थे. इस साल 31 मार्च 2022 तक संस्था का बकाया 37.67 करोड़ रुपये था. इस संस्था से केवल सरकारी कर्मचारी ही जुड़ते हैं. यहां तक कि कोटा जिले में पदस्थापित कार्मिकों को ही सदस्य बनाया जाता है.

1920 में 11 सदस्यों ने शुरू की थी संस्था : कोटा कर्मचारी सहकारी समिति लिमिटेड सभा नंबर 108 की शुरुआत 1920 में हुई थी. इसके संस्थागत 11 सदस्य थे, जिन्होंने 535 से शुरू किया था. इसके संस्थागत अध्यक्ष गजाधर प्रसाद थे. यह संस्था लगातार काम करती रही थी. साल 1960 में श्रीकृष्ण बिरला अध्यक्ष बने और लगातार उन्होंने सदस्यों को जोड़ा था, जिसके बाद वर्तमान में इस संस्था की क्रियाशील पूंजी 178 करोड़ पहुंच गई है और इसमें 5080 सक्रिय सदस्य हैं. संस्था में सदस्यों का रजिस्ट्रेशन का नंबर सात हजार से ज्यादा चल गया, लेकिन कुछ सदस्यों की मौत हो गई या फिर वह दूसरे जिले में स्थानांतरित होने के बाद यहां से सदस्य नहीं रहे.

पढ़ें : 99 साल की हुई को-ऑपरेटिव सोसायटी...हजारों करोड़ों का लोन दिया...एक पैसा भी एनपीए नहीं

इस साल मनाया है शताब्दी समारोह : सरकारी कर्मचारी एक बार नौकरी में आने के बाद सदस्य बन सकता है, जो सेवानिवृत्ति के बाद भी सदस्य रहता है. ऐसे सभी सीनियर सदस्यों का सम्मान हर साल संस्था करती है. ऐसे में सभा नंबर 108 ने हाल ही में शताब्दी समारोह मनाया था. मीनू बिरला का कहना है कि कोविड-19 के दौरान यह आयोजन (Record of Kota Cooperative Society) नहीं हो पाया था. वे हर साल संस्था के सदस्यों को रजिस्ट्रेशन नंबर के अनुसार सम्मानित करते है. ऐसे में 2 साल बाद यह आयोजन बनाया था, नहीं तो उनका शताब्दी समारोह साल 2020 में मनाया जाता.

कोटा. देश में बैंकों के कर्ज में डूबने की कई बातें लगातार सामने आती है. करोड़ों रुपये का लोन उद्योगपति और अन्य लोग नहीं चुका पाते हैं. यहां तक कि कई लोग सामान्य ऋण लेकर भी नहीं चुकाते हैं और बाद में उनकी मकान की कुर्की समेत (House Attachment Action in Kota) अन्य कार्रवाई करनी पड़ती है.

बैंकों के के इस राशि की वसूली नहीं होने पर इसे सरकार नॉन-परफोर्मिंग लोन यानी एनपीए के कहते है. लेकिन कोटा में एक ऐसी संस्था है, जिसको 100 साल से ज्यादा हो गया है और आज भी एक भी रुपया उसका बट्टा खाते में नहीं है. यानी कि एक भी रुपया एनपीए नहीं हुआ है. इस संस्था की अध्यक्ष डॉ. मीनू बिरला का कहना है कि लोन लेने वाले सभी सरकारी कर्मचारी होते हैं. दूसरी तरफ उन्हें लोन लेने के पहले अन्य संस्था के अन्य सदस्य की जमानत देनी होती है. इसलिए हमारे लोन की पूरी रिकवरी हो जाती है. यहां तक कि सदस्य की मौत के बाद उसके परिजनों ने भी लोन चुकाया है.

सभा नंबर 108 के अध्यक्ष मीनू बिरला ने क्या कहा

कोरोना में कम हुआ, पहले 40 करोड़ तक का बांटा : मीनू बिरला के अनुसार संस्था की स्थापना से अब तक 2000 करोड़ का लोन हम बांट चुके हैं. पिछले साल 2021 के वित्तीय वर्ष में 15 करोड़ का लोन हमने बात किया था, यह अन्य वर्षों से कम था. क्योंकि कोरोना काल में शादी-विवाह के साथ लोगों ने मकान बनाने और अन्य कार्यों में के लिए भी लोन कम लिया था. जबकि इसके पहले हम 40 से 50 करोड़ रुपये सालाना के लोन बांट रहे थे. इस साल 31 मार्च 2022 तक संस्था का बकाया 37.67 करोड़ रुपये था. इस संस्था से केवल सरकारी कर्मचारी ही जुड़ते हैं. यहां तक कि कोटा जिले में पदस्थापित कार्मिकों को ही सदस्य बनाया जाता है.

1920 में 11 सदस्यों ने शुरू की थी संस्था : कोटा कर्मचारी सहकारी समिति लिमिटेड सभा नंबर 108 की शुरुआत 1920 में हुई थी. इसके संस्थागत 11 सदस्य थे, जिन्होंने 535 से शुरू किया था. इसके संस्थागत अध्यक्ष गजाधर प्रसाद थे. यह संस्था लगातार काम करती रही थी. साल 1960 में श्रीकृष्ण बिरला अध्यक्ष बने और लगातार उन्होंने सदस्यों को जोड़ा था, जिसके बाद वर्तमान में इस संस्था की क्रियाशील पूंजी 178 करोड़ पहुंच गई है और इसमें 5080 सक्रिय सदस्य हैं. संस्था में सदस्यों का रजिस्ट्रेशन का नंबर सात हजार से ज्यादा चल गया, लेकिन कुछ सदस्यों की मौत हो गई या फिर वह दूसरे जिले में स्थानांतरित होने के बाद यहां से सदस्य नहीं रहे.

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इस साल मनाया है शताब्दी समारोह : सरकारी कर्मचारी एक बार नौकरी में आने के बाद सदस्य बन सकता है, जो सेवानिवृत्ति के बाद भी सदस्य रहता है. ऐसे सभी सीनियर सदस्यों का सम्मान हर साल संस्था करती है. ऐसे में सभा नंबर 108 ने हाल ही में शताब्दी समारोह मनाया था. मीनू बिरला का कहना है कि कोविड-19 के दौरान यह आयोजन (Record of Kota Cooperative Society) नहीं हो पाया था. वे हर साल संस्था के सदस्यों को रजिस्ट्रेशन नंबर के अनुसार सम्मानित करते है. ऐसे में 2 साल बाद यह आयोजन बनाया था, नहीं तो उनका शताब्दी समारोह साल 2020 में मनाया जाता.

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