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स्पेशल: रामगंजमंडी और इटावा नगर पालिका चुनाव, इन दिग्गजों का इम्तिहान...

कोटा में होने वाले नगर पालिका चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. इन चुनावों में पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा और विधायक मदन दिलावर की प्रतिष्ठा दांव पर है.

Municipal elections 2020,  Kota Municipality Election
विधायक मदन दिलावर और रामनारायण मीणा की प्रतिष्ठा दांव पर
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Published : Nov 29, 2020, 11:20 PM IST

कोटा. रामगंजमंडी और इटावा में स्थानीय निकायों के चुनाव हैं. दोनों ही जगह पर नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है. भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. इन चुनावों में बड़ा राजनीतिक अनुभव रखने वाले पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक मदन दिलावर की प्रतिष्ठा दांव पर है.

विधायक मदन दिलावर और रामनारायण मीणा की प्रतिष्ठा दांव पर

पीपल्दा से कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा की प्रतिष्ठा इटावा नगर पालिका के चुनाव में दांव पर है क्योंकि मीणा वहां के क्षेत्रीय विधायक हैं. टिकट वितरण से लेकर सब कुछ उन्हीं की देखरेख में हुआ है. पहले से ही भाजपा यहां काबिज है. ऐसे में उसे हटाकर कांग्रेस को बैठाने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है. इसी तरह से रामगंजमंडी नगर पालिका में भाजपा के प्रदेश महामंत्री और विधायक मदन दिलावर की प्रतिष्ठा दांव पर है. यहां पिछली दो चुनावों से भाजपा का बोर्ड है, ऐसे में कांग्रेस को कड़ी चुनौती का साामना करना पड़ेगा.

दोनों पांचवीं बार बने हैं विधायक

पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा की बात करें तो वह पांचवीं बार विधायक बने हैं. साथ ही वे एक बार सांसद भी रह चुके हैं. जबकि मदन दिलावर भी पांचवी बार विधायक बने हैं. वर्तमान में वे रामगंजमंडी से विधायक चुने गए हैं. इससे पहले बारां जिले की अटरू बारां सीट से वे लगातार चार बार जीते थे. साथ ही दो बार भाजपा की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने थे. प्रदेश स्तर पर भी दोनों नेताओं का बड़ा रुतबा है.

नए एरिया से लड़े और जीते थे चुनाव

चाहे मदन दिलावर हो या फिर रामनारायण मीणा दोनों ही पहली बार नई विधानसभा से चुनाव लड़े थे. दोनों ही नेता यहां से पहली बार चुनाव लड़े और अच्छे मार्जिन से जीत दर्ज की. दोनों ही नेताओं के विधानसभा एरिया की सबसे बड़ी स्थानीय निकाय में चुनाव हैं और इन नेताओं पर ही पूरा दारोमदार अपनी पार्टियों के प्रत्याशियों को जिताने का भी है.

Municipal elections 2020,  Kota Municipality Election
कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा

टिकट वितरण तक बनाए रखी दूरी...

भाजपा नेता मदन दिलावर अभी कोरोना संक्रमित हैं. उनकी पांच बार कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जिसके कारण वे होम क्वॉरेंटाइन हैं. इस बीच टिकट वितरण भी हो गया और प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है. ऐसा ही इटावा के विधायक राम नारायण मीणा के साथ हुआ. वे भी फेफड़े में संक्रमण के चलते एमबीएस अस्पताल में भर्ती थे और तब तक टिकट वितरण हो गया. वे तीन दिन तक अस्पताल में एडमिट रहे हैं.

पढ़ें- Special : विधायक के दावेदार अब पंचायत समिति सदस्य के पद के लिए आजमा रहे भाग्य...

हालांकि, टिकट वितरण में दोनों ही नेताओं ने पूरा मजबूती से पक्ष रखा है. सूत्रों की मानें तो दोनों ही नेताओं ने टिकट वितरण के बाद कार्यकर्ताओं के असंतुष्ट होने और उनकी नाराजगी से बचने के लिए दूरी बनाए रखना ही उचित समझा. अब चुनाव प्रचार 9 दिसंबर तक चलेगा, तो ऐसे में इन 12 दिनों में यह दोनों नेता प्रचार के मैदान में उतरते हैं या फिर दूरी बनाए रखेंगे, यह समय ही बताएगा.

पहले कांग्रेस का राज, 1990 से बीजेपी का दबदबा

रामगंजमंडी नगर पालिका काफी पुरानी है. एक अक्टूबर 1951 में यहां पहला बोर्ड बना था. इस समय चिरंजीलाल साबू चेयरमैन थे. इसके बाद अब तक 13 बोर्ड बन चुके हैं. शुरुआत में कांग्रेस का ही बोलबाला रहा, लेकिन 1990 में पहली बार भाजपा के फूल चंद डांगी चेयरमैन बनेच. इनके साथ वाइस चेयरमैन प्रवीण कुमारी बनी. 1995 के चुनाव में भी कांग्रेस के सिंबल में विवाद हुआ और पूर्व मंत्री रामकिशन वर्मा खिलाफत करते हुए हुकमचंद बाफना निर्दलीय नामांकन भर दिया और वे भाजपा के 5 पार्षदों के समर्थन से चेयरमैन बन गए.

Municipal elections 2020,  Kota Municipality Election
भाजपा विधायक मदन दिलावर

इस समय राजकुमारी कथूरिया कांग्रेस की ही थी, जो वाइस चेयरमैन बनी. वहीं 2000 के चुनाव में भी कांग्रेस से टिकट कटने पर निर्दलीय पार्षद बनी संतोष गुर्जर चेयरमैन बनी और कांग्रेस के बागी निर्दलीय विजय गौतम वाइस चेयरमैन बने. इसके बाद विजय गौतम ने भाजपा ज्वाइन कर ली और 2005 में वे चेयरमैन बने. इस समय वाइस चेयरमैन महेश श्रीवास्तव थे.

पढ़ें- Special : बजट 2021-22 में इन मुद्दों पर रहेगा गहलोत सरकार का फोकस, एक्सपर्ट से जानिए...

2010 में सीधे चुनाव में कांग्रेस के मनोज भाई पटेल ने ओम गुर्जर को हरा दिया, लेकिन बीजेपी का दबदबा रहने से वाइस चेयरमैन महेश श्रीवास्तव बने. पिछली बोर्ड यानी 2015 में बीजेपी के 21, कांग्रेस के 5 और 4 निर्दलीय जीत कर आए. इस समय बीजेपी में दो फाड़ हो गए और बगावत करते हुए विजय गौतम ने भी नामांकन दाखिल किया. चुनाव में 1 वोट से उन्हें हार मिली. भाजपा की हेमलता शर्मा चेयरमैन बनी और ओम गुर्जर वाइस चेयरमैन थे. अब इस बार 10 वार्डों की बढ़ोतरी करते हुए 40 वार्ड बना दिए गए हैं और यहां पर चेयरमैन की सीट भी जनरल है.

इटावा के पहले बोर्ड पर बीजेपी ने जमाया था कब्जा

बीजेपी के धर्मेंद्र आर्य वार्ड नंबर 1 से जीते और पहले चेयरमैन बने थे. कुल 25 वार्डों में से 13 में बीजेपी, 9 में कांग्रसे और 3 वार्डों ने निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. परिसीमन के बाद अब इटावा में 35 वार्ड हो गए हैं, जिनके लिए 11 दिसंबर को मतदान होगा. यहां पर नगर पालिका चेयरमैन की सीट ओबीसी महिला की है. यहां पर कांग्रेस से 170 और बीजेपी से 148 कार्यकर्ताओं ने टिकट मांगा था. इटावा और रामगंजमंडी दोनों जगह पर ही बीजेपी और कांग्रेस में मुकाबला होना है.

इन मुद्दों पर होगा चुनाव

इटावा नगर पालिका में चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहने वाले हैं. इनमें प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभान्वित होने का मुद्दा सबसे पहले है. इसके अलावा मकानों के पट्टे और अतिक्रमण का मुद्दा भी हावी रहेगा. इसके साथ ही रसूख वाले लोगों को बिना निर्माण स्वीकृति के मकान बना लेना और बिना रसूखात वाले लोगों पर कार्रवाई का मुद्दा भी इस बार इटावा नगर पालिका में होगा.

कोटा. रामगंजमंडी और इटावा में स्थानीय निकायों के चुनाव हैं. दोनों ही जगह पर नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है. भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. इन चुनावों में बड़ा राजनीतिक अनुभव रखने वाले पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक मदन दिलावर की प्रतिष्ठा दांव पर है.

विधायक मदन दिलावर और रामनारायण मीणा की प्रतिष्ठा दांव पर

पीपल्दा से कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा की प्रतिष्ठा इटावा नगर पालिका के चुनाव में दांव पर है क्योंकि मीणा वहां के क्षेत्रीय विधायक हैं. टिकट वितरण से लेकर सब कुछ उन्हीं की देखरेख में हुआ है. पहले से ही भाजपा यहां काबिज है. ऐसे में उसे हटाकर कांग्रेस को बैठाने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है. इसी तरह से रामगंजमंडी नगर पालिका में भाजपा के प्रदेश महामंत्री और विधायक मदन दिलावर की प्रतिष्ठा दांव पर है. यहां पिछली दो चुनावों से भाजपा का बोर्ड है, ऐसे में कांग्रेस को कड़ी चुनौती का साामना करना पड़ेगा.

दोनों पांचवीं बार बने हैं विधायक

पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा की बात करें तो वह पांचवीं बार विधायक बने हैं. साथ ही वे एक बार सांसद भी रह चुके हैं. जबकि मदन दिलावर भी पांचवी बार विधायक बने हैं. वर्तमान में वे रामगंजमंडी से विधायक चुने गए हैं. इससे पहले बारां जिले की अटरू बारां सीट से वे लगातार चार बार जीते थे. साथ ही दो बार भाजपा की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने थे. प्रदेश स्तर पर भी दोनों नेताओं का बड़ा रुतबा है.

नए एरिया से लड़े और जीते थे चुनाव

चाहे मदन दिलावर हो या फिर रामनारायण मीणा दोनों ही पहली बार नई विधानसभा से चुनाव लड़े थे. दोनों ही नेता यहां से पहली बार चुनाव लड़े और अच्छे मार्जिन से जीत दर्ज की. दोनों ही नेताओं के विधानसभा एरिया की सबसे बड़ी स्थानीय निकाय में चुनाव हैं और इन नेताओं पर ही पूरा दारोमदार अपनी पार्टियों के प्रत्याशियों को जिताने का भी है.

Municipal elections 2020,  Kota Municipality Election
कांग्रेस विधायक रामनारायण मीणा

टिकट वितरण तक बनाए रखी दूरी...

भाजपा नेता मदन दिलावर अभी कोरोना संक्रमित हैं. उनकी पांच बार कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जिसके कारण वे होम क्वॉरेंटाइन हैं. इस बीच टिकट वितरण भी हो गया और प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है. ऐसा ही इटावा के विधायक राम नारायण मीणा के साथ हुआ. वे भी फेफड़े में संक्रमण के चलते एमबीएस अस्पताल में भर्ती थे और तब तक टिकट वितरण हो गया. वे तीन दिन तक अस्पताल में एडमिट रहे हैं.

पढ़ें- Special : विधायक के दावेदार अब पंचायत समिति सदस्य के पद के लिए आजमा रहे भाग्य...

हालांकि, टिकट वितरण में दोनों ही नेताओं ने पूरा मजबूती से पक्ष रखा है. सूत्रों की मानें तो दोनों ही नेताओं ने टिकट वितरण के बाद कार्यकर्ताओं के असंतुष्ट होने और उनकी नाराजगी से बचने के लिए दूरी बनाए रखना ही उचित समझा. अब चुनाव प्रचार 9 दिसंबर तक चलेगा, तो ऐसे में इन 12 दिनों में यह दोनों नेता प्रचार के मैदान में उतरते हैं या फिर दूरी बनाए रखेंगे, यह समय ही बताएगा.

पहले कांग्रेस का राज, 1990 से बीजेपी का दबदबा

रामगंजमंडी नगर पालिका काफी पुरानी है. एक अक्टूबर 1951 में यहां पहला बोर्ड बना था. इस समय चिरंजीलाल साबू चेयरमैन थे. इसके बाद अब तक 13 बोर्ड बन चुके हैं. शुरुआत में कांग्रेस का ही बोलबाला रहा, लेकिन 1990 में पहली बार भाजपा के फूल चंद डांगी चेयरमैन बनेच. इनके साथ वाइस चेयरमैन प्रवीण कुमारी बनी. 1995 के चुनाव में भी कांग्रेस के सिंबल में विवाद हुआ और पूर्व मंत्री रामकिशन वर्मा खिलाफत करते हुए हुकमचंद बाफना निर्दलीय नामांकन भर दिया और वे भाजपा के 5 पार्षदों के समर्थन से चेयरमैन बन गए.

Municipal elections 2020,  Kota Municipality Election
भाजपा विधायक मदन दिलावर

इस समय राजकुमारी कथूरिया कांग्रेस की ही थी, जो वाइस चेयरमैन बनी. वहीं 2000 के चुनाव में भी कांग्रेस से टिकट कटने पर निर्दलीय पार्षद बनी संतोष गुर्जर चेयरमैन बनी और कांग्रेस के बागी निर्दलीय विजय गौतम वाइस चेयरमैन बने. इसके बाद विजय गौतम ने भाजपा ज्वाइन कर ली और 2005 में वे चेयरमैन बने. इस समय वाइस चेयरमैन महेश श्रीवास्तव थे.

पढ़ें- Special : बजट 2021-22 में इन मुद्दों पर रहेगा गहलोत सरकार का फोकस, एक्सपर्ट से जानिए...

2010 में सीधे चुनाव में कांग्रेस के मनोज भाई पटेल ने ओम गुर्जर को हरा दिया, लेकिन बीजेपी का दबदबा रहने से वाइस चेयरमैन महेश श्रीवास्तव बने. पिछली बोर्ड यानी 2015 में बीजेपी के 21, कांग्रेस के 5 और 4 निर्दलीय जीत कर आए. इस समय बीजेपी में दो फाड़ हो गए और बगावत करते हुए विजय गौतम ने भी नामांकन दाखिल किया. चुनाव में 1 वोट से उन्हें हार मिली. भाजपा की हेमलता शर्मा चेयरमैन बनी और ओम गुर्जर वाइस चेयरमैन थे. अब इस बार 10 वार्डों की बढ़ोतरी करते हुए 40 वार्ड बना दिए गए हैं और यहां पर चेयरमैन की सीट भी जनरल है.

इटावा के पहले बोर्ड पर बीजेपी ने जमाया था कब्जा

बीजेपी के धर्मेंद्र आर्य वार्ड नंबर 1 से जीते और पहले चेयरमैन बने थे. कुल 25 वार्डों में से 13 में बीजेपी, 9 में कांग्रसे और 3 वार्डों ने निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. परिसीमन के बाद अब इटावा में 35 वार्ड हो गए हैं, जिनके लिए 11 दिसंबर को मतदान होगा. यहां पर नगर पालिका चेयरमैन की सीट ओबीसी महिला की है. यहां पर कांग्रेस से 170 और बीजेपी से 148 कार्यकर्ताओं ने टिकट मांगा था. इटावा और रामगंजमंडी दोनों जगह पर ही बीजेपी और कांग्रेस में मुकाबला होना है.

इन मुद्दों पर होगा चुनाव

इटावा नगर पालिका में चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहने वाले हैं. इनमें प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभान्वित होने का मुद्दा सबसे पहले है. इसके अलावा मकानों के पट्टे और अतिक्रमण का मुद्दा भी हावी रहेगा. इसके साथ ही रसूख वाले लोगों को बिना निर्माण स्वीकृति के मकान बना लेना और बिना रसूखात वाले लोगों पर कार्रवाई का मुद्दा भी इस बार इटावा नगर पालिका में होगा.

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