कोटा. चंबल सिंचित क्षेत्र विकास प्राधिकरण (काडा) की 40वीं बैठक शुक्रवार को कोटा में संभागीय आयुक्त दीपक नंदी की अध्यक्षता में आयोजित हुई. इसमें कांग्रेस के विधायकों ने ही जमकर सरकार व अधिकारियों को घेरा. कांग्रेस के सांगोद विधायक भरत सिंह ने कहा कि सेंट्रलाइज टेंडर का मतलब ही भ्रष्टाचार है और यह एक सेंट्रलाइज कमीशन व्यवस्था है. वहीं, दूसरी तरफ पीपल्दा के विधायक रामनारायण मीणा ने भी घटिया निर्माण के आरोप (Congress MLAs Alleged Officers) लगाए और क्वालिटी कंट्रोल लैब सीएडी में स्थापित करने की मांग रख दी है.
उन्होंने कहा कि ड्रेनों की सफाई के लिए 460 करोड़ रुपये का बजट इस साल स्वीकृत हुआ है, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हो पाया है. यह अधिकारियों की सुस्त चाल और हठधर्मिता का ही नतीजा है. इसके चलते किसानों के खेतों में पानी भर रहा है और फसलों को नुकसान हो रहा है. बैठक में जिला प्रमुख कोटा मुकेश कुमार मेघवाल, बून्दी चन्द्रावती कंवर, कलक्टर कोटा ओपी बुनकर, बूंदी रविन्द्र गोस्वामी, बारां नरेन्द्र गुप्ता, आयुक्त नगर निगम वासुदेव मालावत, मुख्य अभियंता सिंचाई प्रबन्धन संस्थान राज सिंह राठौड़, अधीक्षण अभियंता सीएडी लखन लाल गुप्ता मौजूद थे.
नेताओं के इंटरेस्ट के चलते सीएडी की जमीन पर कट गई कॉलोनी : विधायक भरत सिंह ने भी इस मीटिंग में जमकर (MLA Bharat Singh on Gehlot Government) नाराजगी अधिकारियों पर दिखाई है. शहर से गुजर रही नहर के नजदीक अतिक्रमण कर कॉलोनाइजर ने कॉलोनी काट दी है, जगह-जगह बोर्ड लग गए हैं. जबकि नाहर के बाद सड़क और 30 मीटर तक सीएडी की सीमा है. यह सब अनदेखी हो रही है, अधिकारियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कार्रवाई करने वाले चुप बैठे हैं, नेताओं का भी इंटरेस्ट शामिल होता है, लेकिन ग्रामीण इलाके में ऐसा नहीं हो रहा है.
महज खानापूर्ति हो गई कि पानी कब छूटेगा : विधायक भरत सिंह का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण बैठक होती है. इसमें संभागीय आयुक्त के साथ 3 जिले बारां, कोटा और बूंदी के कलेक्टर व आला प्रशासनिक अधिकारियों का अमला रहता है, लेकिन इसमें कई सदस्य ऐसे हैं, जो जयपुर में बैठते हैं. जिनमें चीफ इंजीनियर और अन्य अधिकारी शामिल हैं, वह बैठक नहीं कभी नहीं आते हैं. उनको बैठक से कोई लेना-देना भी नहीं है. साथ ही अब यह बैठक केवल खाना पूर्ति हो गई है, जिसमें केवल नहरों में पानी कब छूटेगा तक ही सीमित रह गई है.
विधायक भरत सिंह ने यह भी कहा कि 2 साल बाद बैठक बुलाई गई है, कोविड-19 की वजह से बैठक नहीं हुई थी. जबकि साल में तीन बार यह बैठक होनी चाहिए, अब तो केवल मजबूरी में ही बुलाई गई है. जब डैम से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, तो फिर नहरों में पानी क्यों नहीं छोड़ा जाता है. धान की फसल के लिए किसान मोटर पंप लगाकर खेती करने के लिए क्यों मजबूर है.
टेल क्लस्टर नहीं है, कैसे तय होगा कितना पानी छोड़ा : विधायक रामनारायण मीणा ने मीटिंग में मुद्दा उठाया कि किसानों को कितना पानी मिला है, यह नापने व जांचने का कोई आधार नहीं है, तो कैसे कहा जा सकता है कि कितना पानी किसानों को मिला है. इसके लिए टेल क्लस्टर नहीं है. सैकड़ों करोड़ों के काम चल रहे हैं, लेकिन घटिया निर्माण हो रहा है. इसकी जांच के लिए क्वालिटी कंट्रोल के लिए स्थापित होनी चाहिए. खेतों में पानी भरा रहने से फसलें खराब हो रही है. जबकि इस साल बजट में 460 करोड़ रुपए ड्रेनों की सफाई के लिए स्वीकृत करवाए थे, पहली बार यह बजट आया है, जिसे अधिकारी लेफ्ट करवाने पर तुले हुए हैं, हठधर्मिता और सुस्त चाल के चलते काम शुरू नहीं हो पाया है.
बारां जिले में बजट की लीपापोती एक ठेकेदार को 25 चैनलों का काम : विधायक मीणा ने कहा कि बारां जिले में बजट की लीपापोती हो रही है. अधिकारियों ने लापरवाही करते हुए 25 से 30 चैनलों का काम एक ठेकेदार को ही दे दिया है. ऐसे में वह निर्माण भी ठीक नहीं कर रहा है. दूसरी तरफ, विधायक मीणा ने कहा कि गणेशगंज लिफ्ट सिंचाई योजना के तहत नाहर पहुंची हुई है, लेकिन कोटा और बारां जिले के 40 गांवों में इससे सिंचाई होनी है. हालांकि, धोरे नहीं होने के चलते किसानों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है. सीएडी के अधीक्षण अभियंता को चाहिए कि जिला कलेक्टर या अन्य मद से इन इलाकों में धोरे निर्माण करवाएं. जिससे किसानों को सिंचाई का पानी मिले, वे हजारों रुपए डीजल पंप ऊपर खर्च कर रहे हैं.
15 अक्टूबर से टेल और 25 से हेड क्षेत्र के किसानों को मिलेगा पानी :
- 15 अक्टूबर तक सभी अभियंता क्षेत्र में लगातार भ्रमण करेंगे. जिसमें मरम्मत व नहरों की सफाई की मॉनिटरिंग करते हुए स्थानीय जन प्रतिनिधियों व किसानों से सीधा संवाद बनाए रखकर समस्याओं को निस्तारित करेंगे. इसकी जांच एसडीओ व वीडीओ करेंगे.
- इस बैठक में राज्य स्तर से नियुक्त सदस्य व मुख्य अभियंता सीएडी के बैठक में भाग नहीं लेने दोबारा बैठक बुलाने के निर्देश दिए.
- 15 अक्टूबर से टेल व 25 अक्टूबर से हैड क्षेत्र के किसानों को रबी सीजन की फसलों में बुआई के लिए नहरों में जल प्रवाहित किया जाएगा.
- नगर निगम क्षेत्र में होकर गुजर रही नहरों में हो रहे स्थाई व अस्थाई अतिक्रमणों को सीएडी, राजस्व व नगर निगम यूआईटी की टीम चिन्हित कर हटाने कार्ययोजना तैयार करेंगे. नहरी क्षेत्र में निजी कोलोनाईजर्स ने कॉलोनी विकसित करने पर उसे एनओसी का प्रावधान किया जाएगा, जिससे उस भूमि को अनकमाण्ड घोषित कर व्यय राशि जमा करवाई जा सकें.
- जिले में किसानों को खाद के साथ अटैचमेंट अन्य सामग्री के बेचान करने वाले उर्वरक डिलरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की होगी.