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मरुधरा में पानी के लिए जूझते जिलों के लिए हाड़ौती बनेगा 'भागीरथ'...नदियों का अतिरिक्त जल 9 जिलों को देगा संजीवनी

मरुधरा में हर साल पानी का प्रबंधन बड़ी चुनौती बनी रहती है. हाड़ौती को छोड़कर अन्य स्थानों पर सालभर तक लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन अब हाड़ौती 'भागीरथ' बनेगा (Rajasthan Hadoti will solve the water problem). यहां की नदियों का एक्सेस पानी 'अमृत' बनकर दूसरे जिलों को संजीवनी देगा.

Rajasthan Hadoti will solve the water problem
Rajasthan Hadoti will solve the water problem
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Published : Jan 21, 2022, 7:41 PM IST

Updated : Jan 21, 2022, 10:24 PM IST

कोटा. पानी की कमी से मरुधरा हर साल चुनौतियों का सामना करती रहती है. गर्मी के दिनों में प्रदेश की मुसीबतें और बढ़ जाती हैं. बात चाहे फसल की हो या पीने के पानी की. समस्या सालों-साल से बनी हुई है. लेकिन अब राजस्थान का हाड़ौती अन्य स्थानों के लिए 'भागीरथ' का काम करेगा. हाड़ौती में अतिरिक्त पानी प्रदेश के दूसरे हिस्सों में 'अमृत' बनकर न सिर्फ फसलों को संजीवनी देगी बल्कि लोगों की प्यास (Rajasthan Hadoti will solve the water problem) भी बुझाएगी.

दरअसल हाड़ौती में पानी प्रचुर मात्रा में है. यहां से हर साल नदियों का एक्सेस पानी या तो दूसरे जिलों में चला जाता है या फिर व्यर्थ हो जाता है. हाड़ौती का यही पानी अब प्रदेश में फसलों को जीवन देगा. साथ ही कई जिलों में पीने के पानी की व्यवस्था भी करेगा. इसके लिए दो बड़े प्रोजेक्ट वर्तमान में हाड़ौती में चल रहे हैं. जिसमें परवन वृहद सिंचाई योजना और दूसरा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना है. इनके तहत एक बांध परवन नदी और दूसरा कालीसिंध पर (two dams in hadoti updates) बनाया जा रहा है. इनसे लाखों क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध होगा. जिससे करीब 5 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी. यहां तक की सैकड़ों कस्बों और ग्रामीण आबादी को पेयजल भी उपलब्ध करवाया जाएगा.

पढ़ें. Special : राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के युवा रिसर्च स्कॉलर ने बनाया सोलर एयर ड्रायर..11 दिन में सूखने वाली हल्दी डेढ़ दिन में सूखेगी

डैम का निर्माण जारी, पूरे प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलना बाकी
ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) को स्वीकृति राज्य सरकार ने दे दी है, लेकिन केंद्र सरकार के पास में यह पेंडिंग पड़ा हुआ है. क्योंकि यह 40 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है. जबकि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत एक बांध राज्य सरकार नोनेरा में बनवा रही है. इस प्रोजेक्ट में चंबल नदी के बांधों के बाद बचने वाले पानी के अलावा बनारस, मोरल, बाणगंगा, पार्वती, कालीसिंध गंभीरी नदियों के बेसिन के जल का उपयोग किया जाना है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस महत्वकांक्षी परियोजना के लिए केंद्र सरकार से राष्ट्रीय परियोजना बनाने की मांग कर चुके हैं.

डीएमआईसी तक भी पानी पहुंचाने की है व्यवस्था
ईआरसीपी से ही राजस्थान के हाड़ौती के चारों जिलों बारां, बूंदी, कोटा और झालावाड़ के अलावा सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर तक भी इससे पानी पहुंचाया जाना है. इस प्रोजेक्ट के तहत कई उद्योगों और दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डीएमआईसी तक पानी पहुंचाया जाएगा. इस परियोजना में अभी केवल एक ही बांध का निर्माण चल रहा है. इसके बाद 5 नए डैम चंबल नदी पर बनाए जाएंगे. सवाई माधोपुर जिले में खंडार तहसील में भी एक बांध डूंगरी बनाया जाना है.

पढ़ें. Special : बिजली संकट दूर करने के लिए वरदान बन सकता है ये प्रोजेक्ट

नोनेरा बांध का काम 55 फीसदी पूरा, 2023 तक बनाने का लक्ष्य
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता राजेंद्र कुमार पारीक का कहना है कि कालीसिंध नदी पर ईआरसीपी प्रोजेक्ट के तहत बन रहे नोनेरा बांध में राज्य सरकार ने करीब 601 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं. जिसका निर्माण कार्य 2018 में शुरू हो गया था और यह 2023 में पूरा होना है. अधिकारियों ने बताा कि 55 फ़ीसदी काम इसका पूरा हो चुका है. इस बांध की क्षमता 227 मिलियन घन मीटर पानी स्टोर करने की है. बांध में 27 गेट बनेंगे, जिसमें 26 गेटों की स्किन प्लेटो का कार्य हो चुका है. जबकि 33 स्टाफ लॉक गेट का कार्य पूरा हो चुका है. बांध कुल 1404 मीटर लंबा होगा. इनमें से 522 मीटर कंक्रीट का बनाया जाएगा. बाकी नदी के दोनों छोरों के तरफ 842 मीटर का मिट्टी का बांध भी तैयार होगा.

लाखों की आबादी तक पहुंचेगा पीने का पानी
नोनेरा बांध के लिए राज्य सरकार ने 1595 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे. इनमें से 601 करोड़ रुपए से बांध का निर्माण करवाया जा रहा है. पीएचईडी के पंप हाउस भी बनेंगे जिनकी राशि करीब 445 करोड़ रुपए है. इससे कोटा जिले के इटावा, बूंदी जिले के कापरेन, केशोरायपाटन और लाखेरी के अलावा करीब 752 गांवों में पीने का पानी पहुंचाया जाएगा. कालीसिंध नदी पर इस बांध के बनने के बाद चंबल नदी में जाने वाला पानी भी रोका जा सकेगा. साथ ही उत्तर प्रदेश के कई जिलों में में यमुना नदी से बाढ़ की स्थिति बन जाती है उस पर भी नियंत्रण लगेगा.

पढ़ें. मंडल डैम क्षेत्र बना नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना, पांच दशक से अधूरी है परियोजना

सोलर प्लांट से मिलेगी परियोजना को बिजली
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता पारीक का कहना है कि कोटा, बारां और झालावाड़ जिले के लिए परवन वृहद सिंचाई परियोजना काफी महत्वकांक्षी है. इससे स्काडा नियंत्रित प्रेशराइज्ड पाइप से फव्वारा सिंचाई होगी. जिनके जरिए 637 गांव की दो लाख से ज्यादा हेक्टेयर एरिया में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा. इसके अलावा 1821 गांवों में पीने के पानी की सुविधा भी मिलेगी. हालांकि इससे कोटा बारां और झालावाड़ ही लाभान्वित हो रहे हैं. यह महत्वाकांक्षी परियोजना करीब 7500 करोड़ रुपए की है. जिसको भी राज्य सरकार ने 2018 में ही स्वीकृति दी थी. इस लिफ्ट केनाल परियोजना की खासियत है कि बिजली की आपूर्ति सोलर से होगी इसके लिए प्लांट भी लगाया जाएगा.

चट्टानों को खोदकर पानी निकालने के लिए बनाई सुरंग
परवन नदी पर खानपुर के नजदीक अकावद पर 38 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जा रहा है. 490 मिलीयन घन मीटर क्षमता के इस बांध में 15 गेट लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा इसके तहत दो मुख्य नहरें बन रहीं हैं. दोनों का 25 फीसदी काम हो गया है. दाईं मुख्य नहर 90 किलोमीटर लंबी है. यह झालावाड़ से बारां होती हुई कोटा जिले के सांगोद एरिया तक पहुंचेगी. 50 किलोमीटर लंबी बाईं मुख्य नहर बारां जिले के अंत तक पहुंचेगी. इसमें एक जगह पर नहर को टनल के जरिए भी निकाला गया है. जिसको चट्टानों को तोड़कर बनाया गया है. साथ ही लिफ्ट कैनाल यह परियोजना है. जिसमें लिफ्ट के जरिए पानी को पंप करके नहरों में डाला जाएगा इसके लिए 61 पंपिंग स्टेशन और लंबा लाइनों का नेटवर्क बनाया गया है.

कोटा. पानी की कमी से मरुधरा हर साल चुनौतियों का सामना करती रहती है. गर्मी के दिनों में प्रदेश की मुसीबतें और बढ़ जाती हैं. बात चाहे फसल की हो या पीने के पानी की. समस्या सालों-साल से बनी हुई है. लेकिन अब राजस्थान का हाड़ौती अन्य स्थानों के लिए 'भागीरथ' का काम करेगा. हाड़ौती में अतिरिक्त पानी प्रदेश के दूसरे हिस्सों में 'अमृत' बनकर न सिर्फ फसलों को संजीवनी देगी बल्कि लोगों की प्यास (Rajasthan Hadoti will solve the water problem) भी बुझाएगी.

दरअसल हाड़ौती में पानी प्रचुर मात्रा में है. यहां से हर साल नदियों का एक्सेस पानी या तो दूसरे जिलों में चला जाता है या फिर व्यर्थ हो जाता है. हाड़ौती का यही पानी अब प्रदेश में फसलों को जीवन देगा. साथ ही कई जिलों में पीने के पानी की व्यवस्था भी करेगा. इसके लिए दो बड़े प्रोजेक्ट वर्तमान में हाड़ौती में चल रहे हैं. जिसमें परवन वृहद सिंचाई योजना और दूसरा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना है. इनके तहत एक बांध परवन नदी और दूसरा कालीसिंध पर (two dams in hadoti updates) बनाया जा रहा है. इनसे लाखों क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध होगा. जिससे करीब 5 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी. यहां तक की सैकड़ों कस्बों और ग्रामीण आबादी को पेयजल भी उपलब्ध करवाया जाएगा.

पढ़ें. Special : राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के युवा रिसर्च स्कॉलर ने बनाया सोलर एयर ड्रायर..11 दिन में सूखने वाली हल्दी डेढ़ दिन में सूखेगी

डैम का निर्माण जारी, पूरे प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलना बाकी
ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) को स्वीकृति राज्य सरकार ने दे दी है, लेकिन केंद्र सरकार के पास में यह पेंडिंग पड़ा हुआ है. क्योंकि यह 40 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है. जबकि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत एक बांध राज्य सरकार नोनेरा में बनवा रही है. इस प्रोजेक्ट में चंबल नदी के बांधों के बाद बचने वाले पानी के अलावा बनारस, मोरल, बाणगंगा, पार्वती, कालीसिंध गंभीरी नदियों के बेसिन के जल का उपयोग किया जाना है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस महत्वकांक्षी परियोजना के लिए केंद्र सरकार से राष्ट्रीय परियोजना बनाने की मांग कर चुके हैं.

डीएमआईसी तक भी पानी पहुंचाने की है व्यवस्था
ईआरसीपी से ही राजस्थान के हाड़ौती के चारों जिलों बारां, बूंदी, कोटा और झालावाड़ के अलावा सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर तक भी इससे पानी पहुंचाया जाना है. इस प्रोजेक्ट के तहत कई उद्योगों और दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डीएमआईसी तक पानी पहुंचाया जाएगा. इस परियोजना में अभी केवल एक ही बांध का निर्माण चल रहा है. इसके बाद 5 नए डैम चंबल नदी पर बनाए जाएंगे. सवाई माधोपुर जिले में खंडार तहसील में भी एक बांध डूंगरी बनाया जाना है.

पढ़ें. Special : बिजली संकट दूर करने के लिए वरदान बन सकता है ये प्रोजेक्ट

नोनेरा बांध का काम 55 फीसदी पूरा, 2023 तक बनाने का लक्ष्य
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता राजेंद्र कुमार पारीक का कहना है कि कालीसिंध नदी पर ईआरसीपी प्रोजेक्ट के तहत बन रहे नोनेरा बांध में राज्य सरकार ने करीब 601 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं. जिसका निर्माण कार्य 2018 में शुरू हो गया था और यह 2023 में पूरा होना है. अधिकारियों ने बताा कि 55 फ़ीसदी काम इसका पूरा हो चुका है. इस बांध की क्षमता 227 मिलियन घन मीटर पानी स्टोर करने की है. बांध में 27 गेट बनेंगे, जिसमें 26 गेटों की स्किन प्लेटो का कार्य हो चुका है. जबकि 33 स्टाफ लॉक गेट का कार्य पूरा हो चुका है. बांध कुल 1404 मीटर लंबा होगा. इनमें से 522 मीटर कंक्रीट का बनाया जाएगा. बाकी नदी के दोनों छोरों के तरफ 842 मीटर का मिट्टी का बांध भी तैयार होगा.

लाखों की आबादी तक पहुंचेगा पीने का पानी
नोनेरा बांध के लिए राज्य सरकार ने 1595 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे. इनमें से 601 करोड़ रुपए से बांध का निर्माण करवाया जा रहा है. पीएचईडी के पंप हाउस भी बनेंगे जिनकी राशि करीब 445 करोड़ रुपए है. इससे कोटा जिले के इटावा, बूंदी जिले के कापरेन, केशोरायपाटन और लाखेरी के अलावा करीब 752 गांवों में पीने का पानी पहुंचाया जाएगा. कालीसिंध नदी पर इस बांध के बनने के बाद चंबल नदी में जाने वाला पानी भी रोका जा सकेगा. साथ ही उत्तर प्रदेश के कई जिलों में में यमुना नदी से बाढ़ की स्थिति बन जाती है उस पर भी नियंत्रण लगेगा.

पढ़ें. मंडल डैम क्षेत्र बना नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना, पांच दशक से अधूरी है परियोजना

सोलर प्लांट से मिलेगी परियोजना को बिजली
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता पारीक का कहना है कि कोटा, बारां और झालावाड़ जिले के लिए परवन वृहद सिंचाई परियोजना काफी महत्वकांक्षी है. इससे स्काडा नियंत्रित प्रेशराइज्ड पाइप से फव्वारा सिंचाई होगी. जिनके जरिए 637 गांव की दो लाख से ज्यादा हेक्टेयर एरिया में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा. इसके अलावा 1821 गांवों में पीने के पानी की सुविधा भी मिलेगी. हालांकि इससे कोटा बारां और झालावाड़ ही लाभान्वित हो रहे हैं. यह महत्वाकांक्षी परियोजना करीब 7500 करोड़ रुपए की है. जिसको भी राज्य सरकार ने 2018 में ही स्वीकृति दी थी. इस लिफ्ट केनाल परियोजना की खासियत है कि बिजली की आपूर्ति सोलर से होगी इसके लिए प्लांट भी लगाया जाएगा.

चट्टानों को खोदकर पानी निकालने के लिए बनाई सुरंग
परवन नदी पर खानपुर के नजदीक अकावद पर 38 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जा रहा है. 490 मिलीयन घन मीटर क्षमता के इस बांध में 15 गेट लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा इसके तहत दो मुख्य नहरें बन रहीं हैं. दोनों का 25 फीसदी काम हो गया है. दाईं मुख्य नहर 90 किलोमीटर लंबी है. यह झालावाड़ से बारां होती हुई कोटा जिले के सांगोद एरिया तक पहुंचेगी. 50 किलोमीटर लंबी बाईं मुख्य नहर बारां जिले के अंत तक पहुंचेगी. इसमें एक जगह पर नहर को टनल के जरिए भी निकाला गया है. जिसको चट्टानों को तोड़कर बनाया गया है. साथ ही लिफ्ट कैनाल यह परियोजना है. जिसमें लिफ्ट के जरिए पानी को पंप करके नहरों में डाला जाएगा इसके लिए 61 पंपिंग स्टेशन और लंबा लाइनों का नेटवर्क बनाया गया है.

Last Updated : Jan 21, 2022, 10:24 PM IST
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