कोटा. केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (Central Narcotics Bureau) की राजस्थान इकाई के सलाहकार समिति की बैठक शुक्रवार को कोटा में हुई. अगले सीजन में अफीम (Questions raised by MP Dushyant on the meeting) उत्पादन को लेकर किसानों को पट्टे जारी करने समेत कई मुद्दों को लेकर बुलाई गई इस बैठक के अस्तित्व पर ही बारां-झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह ने सवाल खड़े कर दिए.
उन्होंने कहा कि इस मीटिंग में सांसद, विधायक और किसान प्रतिनिधियों को बुला लिया जाता है, लेकिन उनसे जो प्रस्ताव लिए जाते हैं, उनको उपायुक्त कोटा ही आगे भेज देते हैं. इस मीटिंग्स का कोई महत्व नहीं रह जाता है. सभी इकाइयों के प्रस्ताव पर केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के आयुक्त ही निर्णय करते हैं. ऐसे में सांसद के इस मीटिंग में आकर बोलने का कोई महत्व नहीं रह जाता है. उन्होंने कहा कि इस मीटिंग में केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के आयुक्त का होना जरूरी है. जिससे हमारी तरफ से उठाए गए मुद्दों को अगले साल की अफीम उत्पादक नीति में शामिल किया जा सके. जब तक ऐसा नहीं होगा यह मीटिंग सार्थक नहीं होगी. केवल खानापूर्ति ही रह जाएगी. केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के अधिकारियों की ओर से ली गई इस बैठक में किसानों के साथ जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे. जिनमें चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी, खानपुर विधायक नरेंद्र नागर, डग से कालू लाल मेघवाल और कपासन से अर्जुन लाल जीनगर मौजूद थे.
किसान नहीं चाहते सीपीएस के पट्टेः चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने कहा कि किसान सीपीएस के पट्टे नहीं चाहते हैं, तो उन्हें नहीं दिया जाए. पुरानी लुवाई चिराई पद्धति से ही खेती करने की अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा कि हम भी सीपीएस के पक्ष में नहीं हैं. किसानों को लगता है कि पुरानी पद्धति में अफीम भी मिल जाती है. साथ ही पोस्ट दाना भी मिल जाता है.
केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के उपायुक्त राजस्थान विकास जोशी ने कहा कि जीपीएस को लेकर किसान ना खुश नजर आए. इसके अलावा ओलावृष्टि के पट्टे भी बहाल करने की बात की है. उन्होंने कहा कि अफीम के दाम बढ़ाने की मांग की है. वर्तमान रेट को अंतरराष्ट्रीय मार्केट का महज कुछ प्रतिशत ही किसानों में बताया है. साथ ही सभी किसानों ने यह भी मांग की है कि उन्हें समान आरी के पट्टे ही दिए जाएं.
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अफीम का दाम ऊंट के मुंह में जीरे के बराबरः भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति के संरक्षक मांगीलाल मेघवाल बिलोट ने कहा कि अफीम नीति 2022 के लिए हमने कई मांगे रखी हैं. जिसमें घटिया, वाटर मिक्स, सस्पेक्टेड, लो मार्फिन सहित सभी पट्टे बहाल किया जाए. मार्फिन नियम को समाप्त करें व सीजीएस पद्धति हटाकर परंपरागत लुवाई चिराई के पट्टे दिए जाएं. साथ ही अफीम का मूल्य अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार देने की मांग की है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार अभी अधिकांश किसानों को 1200 से लेकर 1800 रुपए किलो का भाव दे रही है. जबकि अंतरराष्ट्रीय भाव 1 लाख रुपए किलो है. ऐसे में सरकार भी 25 हजार रुपए किलो से खरीदें.
किसानों को नुकसान पहुंचा, कंपनी को निहाल कर रही सरकारः किसानों ने यह भी कहा कि हमारी आपत्ति यह है कि किसानों की अफीम घटिया नहीं है, लेकिन षडयंत्र कर घटिया बताया जा रहा है. किसानों को नुकसान व कंपनियों को निहाल किया जा रहा है. पहले 2008 के समय 1 लाख 60 हजार पट्टे अफीम किसानों के पास थे, यह कहीं पर बहाल हुए हैं. लेकिन अभी भी 60 हजार किसानों के पास पट्टे नहीं है, इनको भी जल्दी देने की मांग की है. किसान की फसल खरीद का समय एक सैंपल की बजाय दो सैंपल लिया जाए. जिससे कि पर इस विपरीत परिस्थिति में पारदर्शी जांच कर किसान को भ्रष्टाचार के शोषण से मुक्त किया जाए.